हाल-ए-सरकारी स्कूल, अध्यापिकाएं बच्चों को बाजार भेजकर मंगवाती हैं यह सामान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jul, 2017 11:46 AM

in the name of education these messengers fizzle with life

इस भीषण गर्मी में सरकारी स्कूलों में पढ़ते बच्चे अध्यापकों से पढ़ाई व शिक्षा ग्रहण करने की जगह उनके लिए सामान खरीदते अक्सर ही बाजार में देखे जाते हैं। सरकारी प्राइमरी स्कूल नजदीक मंडी वाला गुरुद्वारा साहिब के 2 विद्यार्थी जोकि अपने आप को 5वीं कक्षा...

गिद्दड़बाहा(संध्या): इस भीषण गर्मी में सरकारी स्कूलों में पढ़ते बच्चे अध्यापकों से पढ़ाई व शिक्षा ग्रहण करने की जगह उनके लिए सामान खरीदते अक्सर ही बाजार में देखे जाते हैं। सरकारी प्राइमरी स्कूल नजदीक मंडी वाला गुरुद्वारा साहिब के 2 विद्यार्थी जोकि अपने आप को 5वीं कक्षा के विद्यार्थी बता रहे थे, ने बताया कि 5वें पीरियड में उनकी कक्षा की अध्यापिका ने उनको 100-100 रुपए के 2 नोट देकर एक कच्चा नारियल व आधा किलो जामुन खरीदने के लिए घंटा घर के पास स्थित सब्जी व फ्रूट मंडी भेजा, जहां उन्होंने बाबू राम मार्बल फल विक्रेता की दुकान से 50 रुपए का नारियल खरीदा।

क्या कहना है छात्रों का
छात्रों ने बताया कि उनको अक्सर ही स्कूल टाइम में पढ़ाई से वंचित रखकर सब्जी मंडी या किसी अन्य मार्कीट से सब्जी व अन्य घरेलू वस्तुएं खरीदने के लिए भेजा जाता है। उक्त स्कूल के नजदीक दुकानें करने वाले दुकानदारों ने भी बताया कि सरकारी स्कूल में पढऩे वाले विद्यार्थियों को अक्सर ही मार्कीट में से सामान खरीदने के लिए भेजा जाता है। उक्त सड़क से विभिन्न गांवों व शहरों को जाने वाली बसें भी निकलती हैं। ऐसे में यदि इन बच्चों के साथ कोई अनहोनी होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।

क्या कहते हैं सरकारी अध्यापक
जब नारियल व जामुन खरीदने आए विद्यार्थियों को भेजने वाली सरकारी अध्यापिका से बातचीत की गई तो उन्होंने बात को टालते कहा कि बच्चों को फल-सब्जी वालों व राशन वाले आदि का मोबाइल नंबर हाथ पर लिखवाने के लिए भेजा गया था। स्कूल में शिक्षा हासिल करने के लिए भेजे जाने वाले बच्चों के माता-पिता को भी क्या पता कि उनका बच्चा मार्कीट में अध्यापिका के लिए शापिंग करने गया है।

अगर कोई भी अनहोनी घटना इन बच्चों के साथ हो जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा क्योंकि माता-पिता तो यही समझते हैं कि उनके बच्चे स्कूल समय स्कूल में सुरक्षित हैं। जिला शिक्षा अधिकारी को इस संदर्भ में कड़ा संज्ञान लेकर नन्हे-मुन्ने बच्चों से स्कूल टाइम में बाजार भेजकर निजी खरीदारी करवाने पर पाबंदी लगानी चाहिए ताकि लोगों का सरकारी स्कूलों पर विश्वास बना रहे व लोग अच्छी शिक्षा की इच्छा लेकर अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिल भी करवाएं।

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