अवैध कालोनियों के प्रति कब खुलेगी निगम की नींद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 03:51 PM

illegal colonies

पिछले समय दौरान ग्लाडा ने अवैध कालोनियों पर बुल्डोजर चलाने सहित पुलिस केस दर्ज करने के लिए तो लिखा ही है, उनकी रजिस्ट्रियां बंद करवाने के लिए भी पूरी जद्दोजहद की गई है। लेकिन नगर निगम है कि अपने इलाके में लगी अवैध कालोनियों की भरमार को लेकर ग्लाडा...

लुधियाना(हितेश): पिछले समय दौरान ग्लाडा ने अवैध कालोनियों पर बुल्डोजर चलाने सहित पुलिस केस दर्ज करने के लिए तो लिखा ही है, उनकी रजिस्ट्रियां बंद करवाने के लिए भी पूरी जद्दोजहद की गई है। लेकिन नगर निगम है कि अपने इलाके में लगी अवैध कालोनियों की भरमार को लेकर ग्लाडा से सबक लेने को तैयार नहीं है। अगर नगर निगम की बात करें तो उसके एरिया में ग्लाडा के मुकाबले कहीं ज्यादा अवैध कालोनियां बन रही हैं लेकिन कार्रवाई नाममात्र भी नहीं। इसके तहत लंबे समय से निगम द्वारा अवैध कालोनी बनने से रोकने या वहां बुल्डोजर चलाने की कोई खबर नहीं है। न ही बिना मंजूरी के बनी कालोनियों से बनती कम्पाऊंङ्क्षडग फीस वसूलने का कोई रिकार्ड है। ग्लाडा द्वारा अपनाए जाते पैटर्न से मुकाबला करें तो सरकार के आदेश होने के बावजूद एक भी केस में अवैध कालोनी काटने वाले के खिलाफ पुलिस केस दर्ज करवाने के लिए नहीं लिखा गया। जबकि अवैध कालोनियों की रजिस्ट्रियां बंद करवाने को लेकर ग्लाडा की जिला प्रशासन के साथ चल रही रस्साकशी का मामला सुर्खियां में रहने के बावजूद निगम अफसरों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

अवैध निर्माण भी है धड़ल्ले से जारी 
अवैध कालोनियां बनने से न रोकना तो एक बात है, वहां हो रहे मकानों के निर्माणों के प्रति भी नगर निगम की बिल्डिंग शाखा के स्टाफ द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। यहां तक कि कई जगह अवैध कालोनियों में बनी उन बिल्डिंगों को चालान डालने के नाम पर बचाने की कोशिश की जाती है जबकि उन मकानों से जुर्माना वसूलने से पहले पब्लिक स्ट्रीट डिक्लेयर होना लाजमी है।  

बिना मंजूरी के हुए पानी-सीवरेज कनैक्शन
निगम एरिया में जितनी भी अवैध कालोनियां बनी हैं, उनमें पानी-सीवरेज की सुविधा भी मिल रही है। इसका प्रबंध कालोनाइजर ने अपने तौर पर नहीं किया। बल्कि नगर निगम की लाइनों के साथ अवैध रूप से कनैक्शन किए गए हैं। जिनको काटने की कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि कई जगह पब्लिक स्ट्रीट डिक्लेयर न होने बारे बिल्डिंग ब्रांच से रिपोर्ट न होने कारण मकानों को नंबर न लगने से उनसे पानी-सीवरेज के बिलों की वसूली भी नहीं की जा रही। 

रैगुलराइजेशन के आवेदनों की पैंङ्क्षडग फीस का भी नहीं ध्यान
जब सरकार ने 2 बार रैगुलराइजेशन पॉलिसी लागू की तो उसके तहत प्लाट होल्डरों के अलावा बड़ी संख्या कालोनी मालिकों ने भी आवेदन किया। जिनको 10 से 25 फीसदी फीस जमा करवाने पर एन.ओ.सी. दे दी गई। इसके आधार पर कालोनाइजरों द्वारा रजिस्ट्री करवाने व बिजली कनैक्शन लेने सहित निगम से नक्शे तक पास करवाए जा रहे हैं। लेकिन किसी ने यह चैक करने की जहमत नहीं उठाई कि क्या सारे आवेदनों पर पूरी फीस जमा हो गई है या नहीं। जबकि ग्लाडा ने पूरी फीस जमा न करवाने वालों के आवेदन रद्द करके उनको फिर से अवैध कालोनियों की कैटागरी में डाल दिया है। 

कंगाली के दौर में करोड़ों के रैवेन्यू का हो रहा नुक्सान
अवैध कालोनियों की वजह से निगम को उस समय करोड़ों का नुक्सान हो रहा है, जब वह कंगाली के दौर से गुजर रहा है। क्योंकि कालोनी बनाने पर चेंज ऑफ लैंड यूज व डिवैल्पमैंट चार्जिस के अलावा कम्पाऊंङ्क्षडग फीस ही काफी बन जाती है। इसी तरह पानी-सीवरेज के कनैक्शन जोडऩे पर शेयर चार्जिस लेने का भी प्रावधान है लेकिन निगम के खजाने में यह पैसा जमा करवाने की जगह अफसरों को अपनी जेबें भरने की चिंता ज्यादा लगी हुई है। 

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