Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Jul, 2017 11:55 AM
रेडक्रास भवन में बने पंगूड़े में अभी तक 151 बच्चे अा चुके हैं। 2011 में शुरू हुए पंगूड़े में जब भी कोई नया मेहमान आता है
अमृतसरः रेडक्रास भवन में बने पंगूड़े में अभी तक 151 बच्चे अा चुके हैं। 2011 में शुरू हुए पंगूड़े में जब भी कोई नया मेहमान आता है, उसे अपनाने के लिए कई हाथ आगे बढ़ते हैं लेकिन पूरे प्रोसेस का पता न होने के कारण वे हाथ मलते रह जाते हैं।
इसके लिए मात्र आपको सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट cara.nic.in पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद बनने वाली मेरिट लिस्ट और मंजूरशुदा अनाथालयों में पहुंचने वाले बच्चों की उपलब्धता के आधार पर बच्चा जरूरतमंद दंपति को दे दिया जाता है। देश के विभिन्न शहरों में बने पंगूड़े में बच्चा आने के बाद कारा से मंजूरशुदा अनाथालयों में भेज दिया जाता है।
कारा ने पंजाब में पांच संस्थाओं पटियाला के लाहौरी गेट स्थित यादविंद्रा पूरण बाल निकेतन, जालंधर के नकोदर रोड पर शिशु गृह ट्रस्ट नारी निकेतन, जालंधर के ही पिंगला घर गुलाब देवी अस्पताल रोड स्थित चिल्ड्रन वेल्फेयर सोसायटी, लुधियाना के पखोवाल रोड स्थित ढाब गांव में निष्काम सेवा आश्रम, लुधियाना के ही गांव तलवंडी खुर्द में स्वामी गंगा नंद भूरीवाले इंटरनेशनल फाउंडेशन धाम को मान्यता दे रखी है।
यह सभी संस्थाएं बच्चा आने के बाद जानकारी कारा की ही वैबसाइट पर डाल देते हैं।सबसे पहले अप्लाई करने वाले व्यक्ति से संपर्क किया जाता है और लीगल प्रोसेस के जरिए बच्चा दंपति को सौंप दिया जाता है। संस्था के पास बच्चा पहुंचते ही सबसे पहले उसकी जानकारी इसी वैबसाइट पर अपलोड की जाती है। पहले आवेदन करने वाले से कारा के सदस्य संपर्क करते हैं। दंपति को बच्चे की फोटो भेजी जाती है। अगर वह हामी भरते हैं तो अगली प्रक्रिया शुरू होती है। इसके बाद कारा की टीम दंपति द्वारा दी गई सारी जानकारी की खुद पड़ताल करती है। फिर मामला कोर्ट में पहुंचता है। पुलिस विभाग भी नो आब्जेक्शन सर्टीफिकेट जारी करता है जिसके बाद अदालत कानूनी तौर पर बच्चे को दंपती के हवाले कर देती है।
पैन नंबर से रजिस्ट्रेशन
वैबसाइट पर पैन नंबर की मदद से ही रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। इसके बिना व्यक्ति रजिस्टर्ड नहीं हो सकता। इसके बाद दंपति की फोटो, रेसिडेंट प्रूफ, एज प्रूफ, मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट, अगर तलाकशुदा हैं या दंपती में से एक की मौत हो चुकी है तो डायवोर्स पेपर्स या डेथ सर्टीफिकेट भी अपलोड करना पड़ता है। दंपती का फिटनेस सर्टीफिकेट भी अपलोड किया जाता है। आवेदनकर्ता से तीन राज्य भी पूछे जाते हैं,जहां के बच्चे को गोद लेना चाहते हैं। रजिस्ट्रेशन होने के बाद जो व्यक्ति पहले अप्लाई करेगा, वे मेरिट लिस्ट में रहेगा।