इंडस्ट्री के सामने नई चिंता: रेलगाडिय़ां या बसें चलाई गई तो कहीं लेबर अपने प्रदेशों में भाग ही ना जाए

Edited By Riya bawa,Updated: 27 Apr, 2020 11:43 AM

if trains or buses are run then labor should not run away in its states

कोरोना वायरस इस समय विश्व के 200 से ज्यादा देशों को अपनी चपेट में ले चुका है, इस वायरस के प्रकोप के चलते जहां पूरे भारतवर्ष में लॉकडाउन और कई प्रदेशों में कफ्र्यू जैसी स्थिति है, वही हर कोई काम धंधा, कारोबार तथा उद्योग वर्ग बंद पड़ा हुआ है...

जालंधर, (खुराना):  कोरोना वायरस इस समय विश्व के 200 से ज्यादा देशों को अपनी चपेट में ले चुका है, इस वायरस के प्रकोप के चलते जहां पूरे भारतवर्ष में लॉकडाउन और कई प्रदेशों में कफ्र्यू जैसी स्थिति है, वही हर कोई काम धंधा, कारोबार तथा उद्योग वर्ग बंद पड़ा हुआ है । ऐसे में जहां अर्थव्यवस्था समक्ष गंभीर संकट आन खड़ा हुआ है, वही इंडस्ट्री को अब एक नई चिंता सताने लगी है कि लॉकडाउन के बाद भी काफी समय तक प्रदेश या देश के हालात सामान्य नहीं रहेंगे।  इंडस्ट्री के समक्ष इस समय सबसे बड़ी परेशानी लेबर को लेकर है। 

गौरतलब है कि पूरे देश में अचानक तथा एक साथ लॉकडाउन घोषित कर दिए जाने के बाद उच्च वर्ग तथा मध्यम वर्ग को तो कम तकलीफों का सामना करना पड़ा  परंतु सबसे ज्यादा बुरी हालत श्रमिक तथा गरीब वर्ग की हुई जो अपने-अपने प्रदेशों में भी नहीं थी और रहने की प्रतिकूल स्थितियों के चलते उसे दूसरे प्रदेशों में कोई खास वित्तीय या अन्य सहायता भी नहीं मिल पाई ।

ऐसे माहौल में एक महीने से ज्यादा लंबे समय तक जो लॉकडाउन चला, उससे श्रमिक तथा प्रवासी वर्ग को अपने-अपने घर जाने की चिंता सताने लगी । अब अगर लॉक डाउन खुलते ही सरकार ने रेल गाडिय़ां या बसें चलाने की घोषणा कर दी तो कहीं पंजाब तथा दूसरे प्रदेशों में बैठी लेबर अपने अपने मूल राज्यों में जाना शुरू ना हो जाए। हालांकि कई सप्ताह पहले जब लॉकडाउन की घोषणा हुई तो उसके बाद के कई दिनों तक लेबर और श्रमिक प्रवासी वर्ग अपने अपने घरों को जाने को बेताब रहा तथा कईयों ने तो सैंकड़ों किलोमीटर सफर पैदल ही करने का फैसला लिया। ऐसे में अब अगर लेबर अपने-अपने राज्यों की ओर आकॢषत होती है तो इंडस्ट्री व कारोबार जगत के समक्ष लेबर का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। 

हम सब का हिंदुस्तानी वाला जज्बा कहां गया : अजय महाजन 
इस के संबंध में जब औद्योगिक संगठन पी.एच.डी. चैंबर ऑफ  कॉमर्स के जिला जालंधर के कन्वीनर तथा प्रमुख निर्यातक अजय महाजन से संपर्क किया गया तो उन्होंने माना कि इस समय लेबर को लेकर इंडस्ट्री में कई परेशानियां पनप रही हैं। उद्योग वर्ग ने लॉकडाउन के निर्देशों का पूरी तरह पालन किया और अपनी-अपनी लेबर को हर संभव सहायता भी उपलब्ध करवाई परंतु अब कई राज्यों की सरकारें ऐसा रवैया अपना रही है जो इंडस्ट्री के हित में नहीं है ।
उन्होंने बताया कि बिहार, यू.पी. तथा महाराष्ट्र जैसी सरकारें अब अपने मूल निवासियों को दूसरे राज्यों से वापस लाने के लिए तरह तरह की घोषणाएं कर रही हैं और उन्हें नगद तथा अन्य इंसैंटिव भी दिए जाने की घोषणा हो चुकी हैं। ऐसी सूरत में अगर दूसरे राज्यों में बैठे प्रवासी या लेबर वर्ग से संबंधित लोग अपने मूल राज्यों में चले गए तो जहां उन राज्यों में कई समस्याएं खड़ी होंगी, वहीं  उद्योग वर्ग को भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा । उन्होंने कहा कि हम सब हिंदोस्तानी हैं, का जज्बा आज गायब सा हो गया है जबकि देश के हर नागरिक को एक माना जाना चाहिए परंतु यहां लोगों को बिहारी, यू.पी. निवासी और महाराष्ट्रीयन के तौर पर देखा जाने लगा है और यह जज्बा खतरनाक है ।

इसकी बजाय केंद्र तथा राज्य सरकारों को चाहिए कि वह लेबर वर्ग के लिए जहां वह रह रहे हैं, वहीं टिके रहने की घोषणा करें और उनके लिए पैकेज इत्यादि का ऐलान करें और उन्हें अपनी कर्म भूमि पर ही रहकर काम धंधा करने की ओर प्रेरित करें। अगर लेबर कर्मठ होकर अपनी कर्मभूमि पर काम शुरू करती है तो जल्द ही अर्थव्यवस्था के संकट पर काबू पाया जा सकता है परंतु इसके लिए राज्य सरकारों को अपना रवैया बदलना होगा ।

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