वायरल तस्वीर: श्मशान में चिता तैयार कर उपर लेट जीते जी किया अंतिम समय में मोक्ष प्राप्ति का अनुभव

Edited By Mohit,Updated: 07 Jul, 2020 08:51 PM

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सनातन धर्म सभा के प्रधान व शहर के प्रमुख समाजसेवी सुभाष खुल्लर की बहादुरपुर स्थित..............

होशियारपुर (अमरेन्द्र मिश्रा): सनातन धर्म सभा के प्रधान व शहर के प्रमुख समाजसेवी सुभाष खुल्लर की बहादुरपुर स्थित श्मशान घाट में चिता पर लेटे तस्वीर आज सोशल मीडिया पर वायरल होते ही शहर व आसपास के इलाके में चर्चा का विषय बन गया। मंगलवार को दिनभर लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी इस अनोखी बात को लेकर लोग एक दूसरे से पूछते रहे कि आखिर ऐसी क्या बात हो गई कि खुल्लर साहब स्वंय अपने हाथों तैयार श्मशान घाट में चिता पर आंखे बंद कर लेटे हुए हैं। मंगलवार सायं जब यही बात पंजाब केसरी की तरफ से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मेरे मन में काफी दिनों से द्वंद चल रहा था कि जब इंसान अपना शरीर छोड़ देता है व मोक्ष मार्ग की तरफ चल पड़ता है तो उसके मन में किस तरह का विचार आता होगा। यही जानने के लिए वह श्मशान में चिता पर कुछ देर लेट मोक्ष प्राप्ति के अनुभव को अपने जीवन में हासिल करने के लिए लेट गया था और कुछ नहीं।

अपने जन्मदिन पर हार साल श्मशान में जमा करते हैं लकड़ी
सुभाष खुल्लर ने बताया कि श्मशान में अब चिता पर लेटने से पहले भी वह हर साल श्मशान घाट में लकड़ी का रसीट काट पैसे जमा करवाता हूं ताकी लकड़ी के अभाव की वजह से किसी पुण्य आत्मा को मोक्ष व सदगति प्राप्ति हो। आखिर एक दिन हमें भी तो इस नाश्वर दुनियां को छोड़ उस परमपिता के चरणों में जाना है तो क्यों न वह उस दिन तक अपनी तरफ से इस दिशा में अपनी तरफ से कुछ ना कुछ करू । यही कारण है कि वह अपने हर जन्मदिन पर श्मशान घाट में पहुंच ना सिर्फ सकडिय़ों का पर्ची कटाते हैं बल्कि घंटों वहां पर बैठ ध्यान लगा मनन भी करता रहा हूं।

चिता पर लेट ध्यानमग्न कर मन को मिली है अपार शांति
बहादुरपुर श्मशानघाट में चिता पर लेटने के बाद मिले अपने अनुभाव के बारे में सुभाष खुल्लर ने बताया कि बरसों से यह दिन देखने की तमन्ना थी जो अब जाकर पूरी हुई है। भले ही वह चिता पर चंद मिनट ही गुजारे लेकिन इस दौरान चिता पर ध्यानमग्न होने के दौरान मन को अपार शांति मिली है। उन्होंने दार्शनिक अंदाज में बताया कि भगवान शिव और मां काली को श्मशान घाट का भगवान कहा गया है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि चाहे मनुष्य हो या जानवर, हर किसी को अपने कर्मों के अनुसार जन्म के चक्रों में बंधना पड़ता है जब तक कि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति ना हो जाए। अगर जीवन चक्र बिना किसी पाप के पूरा कर लिया जाए तो मोक्ष की प्राप्ति के करीब पहुंचा जा सकता ह। अगर किसी जन्म में अच्छे कर्म किए जाएं तो अगले जन्म में ज्यादा अच्छे रूप में जन्म मिलता है। 

 

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