Edited By Vatika,Updated: 20 Mar, 2019 01:01 PM
गुरु अंगद देव वैटर्नरी व एनिमल साइंसिस यूनिवर्सिटी के वैटर्नरी मैडीसन विभाग ने होली के अवसर पर इस बात के लिए सावधान किया है कि होली के रंगों को सोच-समझ कर इस्तेमाल करें, कहीं यह रंग आपके पालतू जानवरों पर भारी न पड़ जाएं।
लुधियाना (सलूजा): गुरु अंगद देव वैटर्नरी व एनिमल साइंसिस यूनिवर्सिटी के वैटर्नरी मैडीसन विभाग ने होली के अवसर पर इस बात के लिए सावधान किया है कि होली के रंगों को सोच-समझ कर इस्तेमाल करें, कहीं यह रंग आपके पालतू जानवरों पर भारी न पड़ जाएं। वैटर्नरी मैडीसन विभाग के प्रोफैसर डा. कीर्ति दुआ ने कहा कि होली रंगों का त्यौहार है। लेकिन किसी भी तरह की लापरवाही आपके पालतू जानवरों की सेहत के लिए समस्या पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर यह देखने को मिलता है कि सूखे रंग नुक्सान रहित होते हैं लेकिन कई बार इन रंगों में बहुत घातक रसायन पाए जाते हैं।
बाजार में मिलते हैं अधिक रंग रसायन युक्त
बाजार में मिलते अधिक रंग रसायन युक्त हैं। यह सारे रंग जहरीले होते हैं जिनसे चमड़ी, आंखों व सांस सहित अन्य कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पालतू जानवर कई बार इन रंगों को चाट लेते हैं, जिससे यह और घातक हो जाते हैं। पानी वाले गुब्बारे भी उनके शरीर व आंखों को चोट पहुंचाते हैं। डा. दुआ ने कहा कि ऐसे त्यौहारों के अवसर पर मालिकों को अपने जानवरों को बच्चों से दूर रखना चाहिए। यदि कोई उस पर रंग या गुब्बारा फैंकता हैं तो उसको साफ कर देना चाहिए। यदि आपका पालतू जानवर बाहर निकले तो ध्यान रखें कि वह सड़क या पार्क में पड़े रंगों को न चाटे।
जानवर को साफ करने के लिए साधारण साबुन का करें इस्तेमाल
यदि जानवर को किसी तरह की कोई परेशानी हो तो बिना किसी देरी के वैटर्नरी डाक्टर के पास लेकर जाएं। होली के बाद अपने जानवर को साफ करने के लिए कपड़े धोने वाले पाऊडर, मिट्टी के तेल या अन्य किसी रसायन का इस्तेमाल न करें। इससे चमड़ी का बहुत नुक्सान होता है और खारिश भी हो सकती है। साधारण साबुन का इस्तेमाल करें और किसी अ‘छी नमी वाली क्रीम को चमड़ी पर लगाएं। सिर्फ अपने पालतू जानवर का ही नहीं बल्कि इलाके में घूम रहे आवारा जानवरों संबंधी भी जिम्मेदारी से काम लेना चाहिए। लोगों को इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि त्यौहार की खुशी में इजाफा करें न कि जानवरों की परेशानी को बढ़ाएं।