राज्य की नुहार बदलने के लिए हाईकमान ने दी कैप्टन को खुली छूट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Aug, 2017 03:36 AM

high commission allowed the captain to change the state

10 सालों के बाद प्रदेश की सत्ता संभालने वाली कांग्रेस पार्टी छोटे से अंतराल में ही अपनी छवि खोने लगी...

जालंधर(रविंदर शर्मा): 10 सालों के बाद प्रदेश की सत्ता संभालने वाली कांग्रेस पार्टी छोटे से अंतराल में ही अपनी छवि खोने लगी है। ऐसे में यह पार्टी हाईकमान के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। प्रदेश में सरकार की छवि में निखार लाने व राज्य की नुहार बदलने के लिए अब हाईकमान ने मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह को खुली छूट दे दी है। 

हाईकमान के दिशा-निर्देश के बाद अब कैप्टन राज्य सरकार की नीतियों में बदलाव लाएंगे। इसके लिए कैप्टन ने अपनी खास लॉबी के साथ विचार-विमर्श भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस के थिंक टैंक अब सरकार को 4 प्रमुख बिंदुओं पर फोकस करने को यीजना पर काम कर रहे हैं। प्रदेश में कांग्रेस को 10 साल बाद सत्ता में लाने में कै. अमरेंद्र सिंह की अहम भूमिका रही है। 2002 से 2007 तक अपने कार्यकाल में कैप्टन ने राज्य में वित्तीय व कृषि हालातों को सुधारने के लिए खास प्रयत्न किए थे। इन प्रयत्नों में कैप्टन को कामयाबी भी मिली, मगर अपने कार्यकाल के अंत तक आते-आते वह पार्टी की अंदरूनी लड़ाई में फंस कर रह गए।

अंदरूनी लड़ाई का फायदा अकाली दल ने उठाया और इसका सीधा फायदा 2007 चुनावों में अकालियों को मिला। सत्ता में आने पर अकालियों से लोगों को काफी आशाएं थी परन्तु जब उन्होंने अपने कार्यकाल में कार्य करना आरम्भ किया तो वह जनविरोधी नीतियों पर उतर आए। उन्होंने कैप्टन सरकार की ओर से शुरु किए गए सभी जारी राज्यहित प्रोजैक्टों को रोक दिया, जिनसे राज्य में शहरी-ग्रामीण लोगों में सामंजस्य बनना था। अकाली हाईकमान ने मात्र अपना पेट भरने की ओर ध्यान केन्द्रित किया और लोगों के हित दाव पर लगा दिए जिसमें राज्य की ट्रांसपोर्ट सुविधा, किसानों की अनदेखी आदि शामिल हैं।

राज्य की इन सुविधाओं को अकालियों ने पसर्नल प्रापर्टी समझ लिया और अपना ही बिजनैस शुरू कर लिया। अकाली दल की इन्हीं जनविरोधी नीतियों के कारण 2017 में अकाली दल को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि सत्ता में आने के 4 माह के भीतर ही कैप्टन सरकार अपना वजूद खोने लगी है, जिसको लेकर पार्टी हाईकमान ङ्क्षचतित नजर आ रही है। अब अपनी छवि को राज्य में निखारने के लिए कैप्टन सरकार मुख्य तौर पर करीब 4 बिंदुओं पर काम करने जा रही है। 

सरकार जनता की जरूरतों के तहत करेगी काम: कै. अमरेंद्र सिंह
कै. अमरेंद्र सिंह कहते हैं कि सरकार अपना काम गंभीरता से कर रही है। सरकार के काम अभी जमीनी स्तर पर जनता के बीच नहीं जा पा रहे हैं, जिससे कुछ निराशा जरूर दिखाई देती है। मगर पिछली सरकार ने जिस तरह से राज्य के मूलभूत ढांचे को ध्वस्त किया था, उसे दोबारा ढर्रे पर लाने का प्रयास किया जा रहा है और जल्द ही प्रदेश की जनता की जरूरतों के तहत सरकार हर काम करेगी। 

कृषि सैक्टर
एक समय था जब पंजाब को देश भर में कृषि के क्षेत्र में सिरमौर माना जाता था। मगर पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान राज्य का कृषि स्तर बेहद नीचे जा चुका है। किसान कर्जदार हो गया है और लगातार आत्महत्या की तरफ बढ़ रहा है। राज्य की कृषि देश के बेरोजगारों के लिए लाभदायक है। 2005-06 में जो जी.डी.पी. करीब 10 प्रतिशत थी वह घटकर 2015-16 में मात्र 5.96 प्रतिशत रह गई है, जोकि देश की न्यूनतम से भी कम है। 

एजुकेशन सैक्टर
इसी कड़ी में शिक्षा सैक्टर को पिछली सरकार ने ध्यान न देकर निचले स्तर तक पहुंचा दिया है जिसका ताजा उदाहरण मौजूदा अकादमिक वर्ष के 10वीं व 12वीं कक्षा के नतीजे हैं। एजुकेशन सैक्टर का म्यार कायम करने के लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है। 

हैल्थ सैक्टर 
पिछले 10 सालों में हैल्थ सैक्टर का मूलभूत ढांचा ध्वस्त हो चुका है। हैल्थ सैक्टर को आत्याधुनिक बनाने की तरफ प्रयास तक नहीं किए गए। आज भी बड़ी बीमारी के लिए दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है। दस सालों में सरकार सिर्फ एक एम्स प्रोजैक्ट भटिंडा में लाने में सफल रही, उस पर भी अभी काम शुरू नहीं हो सका है। कैप्टन सरकार अब हैल्थ सैक्टर पर ज्यादा फोकस करेगी और बंद हो चुकी हैल्थ सेवाओं को दोबारा ढर्रे पर लाने का प्रयास करेगी। 

नशा
पिछली सरकार के ताबूत में अंतिम कील ठोकने का काम नशे के मुद्दे ने किया था। नशे को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पंजाब का नाम बदनाम हो गया था। कैप्टन सरकार ने अपने शुरूआती समय में नशे पर कुछ अच्छा काम किया, मगर अब फिर इसको लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। कैप्टन सरकार अब नशे को पूरी तरह से खत्म करने व युवाओं को रोजगार देने की तरफ अपने कदम बढ़ाने जा रही है। 

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