कैप्टन को राहत: सीपीएस सुरेश कुमार नियुक्ति मामले में कोर्ट ने लगाया स्टे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 12:39 PM

hc stays single bench order on suresh kumar s appointment

हाईकोर्ट की सिंगल बैंच द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसीपल सैक्रेटरी (सी.पी.एस.) सुरेश कुमार (रि. आई.ए.एस.) की संबंधित पोस्ट पर हुई नियुक्ति को रद्द करने के आदेशों पर पंजाब हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इस याचिका पर पंजाब सरकार ने डिवीजन बैंच...

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): पंजाब सी.एम. के चीफ पिं्रसीपल सैक्रेटरी के रूप में रि. आई.ए.एस. सुरेश कुमार ही फिलहाल अपनी इस पोस्ट पर बने रहेंगे।  बुधवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने पंजाब सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए सुरेश कुमार की संबंधित पद पर नियुक्ति को रद्द करने के सिंगल बैंच के  फैसले पर स्टे लगा दिया।  पूर्व वित्त मंत्री एवं सीनियर एडवोकेट पी. चिदम्बरम बुधवार को पंजाब सरकार की ओर से हाईकोर्ट में पेश हुए और संबंधित नियुक्ति को सही ठहराते हुए दलीलें पेश कीं। पंजाब सरकार की ओर से तर्क रखा गया कि याची द्वारा मुख्य याचिका में उठाए गए जिस मुद्दे पर सुनवाई के बाद निर्णय लिया गया था उसमें याची का केस दायर करने का वजूद गंभीर रूप से संदेह के दायरे में है। वहीं मामले में अन्य पक्षों द्वारा भी दलीलें पेश की गईं जिसके बाद जस्टिस महेश ग्रोवर व जस्टिस राजबीर सेहरावत की डिवीजन बैंच ने सिंगल बैंच के फैसले पर स्टे लगा दिया। वहीं मामले में सुरेश कुमार  की  नियुक्ति को  चुनौती  देने  वाले  मोहाली  के  रमनदीप सिंह व अन्यों को 17 अप्रैल के लिए नोटिस जारी किया है। 

 

यह अपील सुरेश कुमार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले मोहाली निवासी रमनदीप सिंह, केंद्र सरकार व अन्य को पार्टी बनाते हुए दायर की गई थी। अपील में सिंगल बैंच के 17 जनवरी, 2018 के सिंगल बैंच के फैसले को रद्द करने की मांग की गई थी जिसमें  कहा गया था कि वह फैसला न सिर्फ तथ्यों के विपरीत है बल्कि कानून के तय सिद्धांतों के भी खिलाफ है।  


पहले हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने अपने फैसले में सुरेश कुमार की इस पोस्ट पर नियुक्ति को लेकर 17 मार्च, 2017 को जारी आदेशों को रद्द कर दिया था। जस्टिस राजन गुप्ता ने 42 पन्नों के आर्डर में कहा था कि प्रतिवादी के रूप में सुरेश कुमार की ओर से कोई जवाब नहीं आया जबकि याचिका में मुख्य रूप से ऑफिस के अवैध या विवादास्पद अधिकारी के खिलाफ निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।

 

इसकी बजाय सरकार ने सुरेश कुमार की नियुक्ति को उचित ठहराने की कोशिश की। हाईकोर्ट ने केस के सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद पाया था कि सुरेश कुमार बिना कानूनी अथॉरिटी के पब्लिक ऑफिस संभाल रहे थे। इसे हाईकोर्ट ने साफ रूप से संवैधानिक योजना का उल्लंघन बताया था, विशेषकर अनुच्छेद 166(3) व इसके तहत तय नियमों का।सुरेश कुमार की नियुक्ति को अगस्त, 2017 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। मामले में सरकार का पक्ष था कि संबंधित नियुक्ति को लेकर मंत्री परिषद से लेकर गवर्नर तक फाइल गई थी। ऐसे में कानूनी दायरे व अधिकार क्षेत्र के तहत यह नियुक्ति किए जाने का दावा किया गया था।

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