RO के अंधाधुंध इस्तेमाल से पंजाब में पानी का संकट

Edited By Vatika,Updated: 20 Sep, 2018 05:48 PM

haphazard ro usage adding to punjab water woes ppcb

पंजाब में धान की बिजाई से जहां भूमीगत पानी का स्तर कम हो रहा है यहीं नहीं पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पी.पी.सी.बीं) ने राज्य में लग रहे अंधाधुंध आर.ओ. सिस्टमों को लेकर चिंता व्यक्त की है। 16 प्रमुख शहरों में यद्यपि 75 प्रतिशत पानी पीने योग्य...

चंडीगढ़ः पंजाब में धान की बिजाई से जहां भूमीगत पानी का स्तर कम हो रहा है यहीं नहीं पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पी.पी.सी.बीं) ने राज्य में लग रहे अंधाधुंध आर.ओ. सिस्टमों को लेकर चिंता व्यक्त की है। 16 प्रमुख शहरों में यद्यपि 75 प्रतिशत पानी पीने योग्य स्पलार्इ किया जाता है। 

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पी.पी.सी.बी के चैयरमेन के.एस. पन्नू ने बताया कि बोर्ड द्वारा एकत्रित किए गए आकंड़ें दिखार्इ देते है कि राज्य में अधिकांश भूमीगत जल पीने के मकसद के लिए स्वीकृत सीमा के भीतर सभी प्रमुख मापदंड के अनुसार है  और यह पीने के लिए उचित है । घरों में इस्तेमाल किए जा रहे आर.ओ सिस्टम द्वारा व्यर्थ किया जा रहा 3 से 7 प्रतिशत पीने वाला पानी बर्बाद हो रहा है जिसेसीवर ट्रीटमेंट प्लांट पर बोझ  बढ़ रहा है और इसके साथ ही जमीन से अधिक पानी निकाला जा रहा है।पन्नू ने कहा कि राज्य में लोगों ने अब शुद्धू पानी के लिए आर.ओ. सिस्टम का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है  और इसके बिना पानी साफ नहीं समझा जाता । 

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वे इस बात को महसूस नहीं करते कि आर.ओ.पानी की अपनी ही कुछ चुनौतियां हैं और इस पहलू पर विचार नहीं किया जाता । राज्य में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और विश्व विद्यालयों के विशेषज्ञों ने इस तथ्य का महत्वपूर्म बताया है। पंजाब विश्व विद्यालय के जियोलोजी के पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर नरेश  कोचड़ ने भी कहा कि पंजाब के अधिकांश शहरों में आर.ओ. सिस्टम के जरिए पानी काफी मात्रा में बर्बाद होता है। राज्य के दक्षिण-पश्चिम हिस्से को छोड़कर नगर निगमों द्वारा सप्लार्इ किए जाने वाले पानी की गुँणवता अच्छी है और घरों और कार्यालयों में आर.ओ. सिस्टम की कोर्इ जरूरत नहीं। ऐसे बहुमूल्य पानी को बर्बाद किया जा रहा है और इससे केर्इ स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती है।

PunjabKesariगवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज पटियाला में भी पी.पी.सी.बी. के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि 600 एस.जी./लीटर कम के संपूर्ण घुले हुए ठोंस पदार्थ के साथ पानी का स्वाद आमतौर पर अच्छा समझा जाता है जब  यह 1200 एम.जी. लीटर से बढ़ जाता है तो यह पीने के योग्य नहीं रहता । आर.ओ. सिस्टम पानी से मिनरल खासकर कैल्शियम और मैग्नीशियम को कम कर देता है जो हड्डियों को कमजोर बनाने जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण होता है। इसी तरह गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर केप्रोफेसर ने कहा कि उन स्थानोें पर पीने के पानी के लिए आर.ओ, लगाने की जरूरत नहीं जहां टी.डी.एस. का स्तर 500 एस.जी./लीटर से कम है। आर.ओ. के इस्तेमाल से पानी बार्बाद होता है जो नालों में जा गिरता है। 

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