Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Oct, 2017 12:30 PM
गुरदासपुर उप चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने सभी पत्ते खोल दिए थे। कांग्रेस ने जीत के लिए हर वह दाव खेला, जिससे भाजपा को धूल
जालंधर (रविंदर शर्मा): गुरदासपुर उप चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने सभी पत्ते खोल दिए थे। कांग्रेस ने जीत के लिए हर वह दाव खेला, जिससे भाजपा को धूल चटाई जा सकी। मतदान से पहले तक कांग्रेस के हक में माहौल भी नजर आने लगा था और अंदरखाते कांग्रेस खेमे में जीत की सुगंध नेताओं को आने लगी थी।
मगर गुरदासपुर उप चुनाव में हुए कम मतदान ने कांग्रेस के पसीने छुड़ा दिए हैं।
कांग्रेस को अंदरखाते डर सताने लगा है कि कम मतदान का उसे नुक्सान हो सकता है। कांग्रेस के धुरंधर इस बात का अंदाजा लगा रहे थे कि केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ ज्यादा लोग बाहर निकल कर वोट करेंगे और जितनी ज्यादा वोटिंग होगी, उसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलेगा मगर मात्र 56 प्रतिशत वोटिंग ने कांग्रेस के सभी समीकरण बिगाड़ कर रख दिए हैं। कांग्रेस ने मतदान से पहले अपने वालंटियर की ड्यूटी लगाई थी कि ज्यादा से ज्यादा वोटरों को जागरूक कर मतदान केंद्रों तक पहुंचाया जाए ताकि इसका सीधा फायदा पार्टी प्रत्याशी उठा सके। ज्यादा मतदान का सीधा मतलब था कि केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ जनता का गुस्सा। मगर कांग्रेस अपने वालंटियर के माध्यम से भी वोटरों को मतदान केंद्रों तक लाने में सफल नहीं हो सकी।
सबसे ज्यादा मतदान बार्डर एरिया डेरा बाबा नानक में 65 प्रतिशत तो सबसे कम मतदान दिग्गज कांग्रेसी नेता प्रताप सिंह बाजवा व अश्विनी सेखड़ी के हलके बटाला में मात्र 50 प्रतिशत रहा। कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस के अंदर ही माझा की लॉबी नहीं चाहती थी कि मालवा से आए सुनील जाखड़ चुनाव जीत सके और इसके लिए अंदरखाते कम से कम मतदान करवाने का खेल भी खेला गया। कम मतदान ने कांग्रेस के ङ्क्षथक टैंक की नींद उड़ा कर रख दी है और वहीं भाजपा खेमे में इसको लेकर खुशी पाई जा रही है। खैर क्यास कुछ भी हों, मगर जीत का श्रेय किसको मिलेगा यह तो 15 अक्तूबर को मतपेटियां खुलने के बाद ही लग पाएगा। मगर तब तक दोनों खेमे अपनी जीत व हार के दावे तो जरूर करते रहेंगे।