Edited By swetha,Updated: 19 Mar, 2019 10:31 AM
2014 में देश में हुए लोकसभा के आम चुनावों में हर तरफ गुजरात के आर्थिक मॉडल का नारा गूंज रहा था परन्तु 2019 में अब होने जा रहे आम चुनावों में गुजरात मॉडल का नारा गायब ही नजर आ रहा है।
जालंधर(धवन): 2014 में देश में हुए लोकसभा के आम चुनावों में हर तरफ गुजरात के आर्थिक मॉडल का नारा गूंज रहा था परन्तु 2019 में अब होने जा रहे आम चुनावों में गुजरात मॉडल का नारा गायब ही नजर आ रहा है। भाजपा ने पिछले चुनाव में गुजरात मॉडल को मतदाताओं के बीच में ले जाकर भारी लाभ अर्जित किया था। उस समय प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी थे, जो गुजरात के लगातार मुख्यमंत्री चले आ रहे थे। मोदी ने गुजरात के आर्थिक मॉडल को देश की जनता के सामने रखा था परन्तु पिछले 5 वर्षों में परिस्थितियों में काफी बदलाव आ चुका है। अब न तो मोदी और न ही भारतीय जनता पार्टी द्वारा गुजरात मॉडल के नारे की चर्चा की जा रही है।
गुजरात में 2002-03 से लेकर 2013-14 तक ग्रास स्टेट डोमैस्टिक प्रोडक्ट (जी.एस.डी.पी.) लगभग 29 प्रतिशत रही थी। इसी अवधि में मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। मोदी 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने तथा अगर 2016-17 तक की देश की आर्थिक वृद्धि दर को देखा जाए तो वह गुजरात की तुलना में काफी कम दिखाई देती है। दिलचस्प बात यह है कि केन्द्र में मोदी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान देश में आर्थिक विकास दर में ज्यादा तेजी नहीं आ सकी, इसीलिए न तो मोदी और न भाजपा द्वारा गुजरात मॉडल की चर्चा की जा रही है क्योंकि अगर दोनों का तुलनात्मक अध्ययन कर लिया जाए तो देश आर्थिक विकास दर की दृष्टि से काफी पीछे दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस के प्रवक्ता व राज्यसभा सांसद राजीव गौड़ा का मानना है कि गुजरात के आर्थिक मॉडल की पोल खुल चुकी है और यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में गुजरात मॉडल की चर्चा नहीं की है। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के सहायक प्रो. हिमांशु का मानना है कि 2014 के चुनावों के समय भी अनेकों अर्थशास्त्रियों ने मोदी के नेतृत्व में गुजरात के आर्थिक मॉडल की कई खामियों को उजागर कर दिया था परन्तु उस समय इसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया।
विधानसभा चुनावों में देहाती क्षेत्रों में नहीं दिखा गुजरात मॉडल का असर
गुजरात मॉडल केवल गुजरात के शहरी क्षेत्रों तक ही सिमट कर रह गया था क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों में गुजरात के देहाती क्षेत्रों में किसानों की दुर्दशा का मामला उभर कर सामने आया। देहाती क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधाएं कृषि क्षेत्र तक नहीं पहुंच पाई। इसीलिए पिछले राज्य विधानसभा चुनावों के बाद गुजरात मॉडल की चर्चा तो देश में बिल्कुल बंद ही हो गई। उसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव हुए परन्तु कहीं भी गुजरात मॉडल की चर्चा या गूंज सुनाई नहीं पड़ी।