लंगर पर जी.एस.टी. हटवाने में विफल रहा अकाली दल

Edited By swetha,Updated: 01 Apr, 2018 10:46 AM

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा एस.सी./एस.टी. एक्ट में नरमी लाने के आदेश जारी किए गए थे ताकि बिना जांच के किसी पर भी इस एक्ट का डंडा न चल सके। इस बात को लेकर पंजाब सहित अन्य राज्यों में दलित समुदाय के लोगों में रोष व्याप्त है।

जालंधर(बुलंद):सुप्रीम कोर्ट द्वारा एस.सी./एस.टी. एक्ट में नरमी लाने के आदेश जारी किए गए थे ताकि बिना जांच के किसी पर भी इस एक्ट का डंडा न चल सके। इस बात को लेकर पंजाब सहित अन्य राज्यों में दलित समुदाय के लोगों में रोष व्याप्त है।

इस मामले बारे जहां विभिन्न दलित संगठनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त किया है वहीं अकाली दल के सिर पर बड़ी जिम्मेवारी आ गई है कि अगर दलित वोट बैंक को बचाना है तो इस एक्ट में हुए बदलाव वापस करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना जरूरी है परन्तु लंगर पर जी.एस.टी. हटवाने व धारा 25-बी में संशोधन करवाने में अकाली दल विफल रहा है। दूसरी ओर अपनी गठबंधन पार्टी व केंद्र सरकार चला रही भाजपा के खिलाफ खुलकर बोलने से भी अकाली दल घबरा रहा है। 

 

इसी के चलते अकाली दल के विधायक आदमपुर व प्रवक्ता पवन टीनू तथा विधायक बलदेव खैहरा की ओर से प्रैस बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एस.सी./ एस.टी. एक्ट के मुद्दे को पुख्ता तरीके से न उठाने वाले वकीलों की कार्यशैली की जांच की जाए कि कहीं ये कार्यशैली राजनीतिक साजिश का शिकार तो नहीं रही। साथ ही कहा गया कि देखा जाए कि कैसे इन वकीलों ने सारे केस को हैंडल किया कि सुप्रीम कोर्ट ने एस.सी./एस.टी. एक्ट को नरम करने के आदेश दिए। 

 

टीनू ने कहा कि इस सारे केस को गहनता से जांचना चाहिए क्योंकि इस आदेश से देश के दलितों में भय व रोष पैदा हो गया है कि कहीं यह फैसला एस.सी./एस.टी. एक्ट को संविधान में कमजोर करने की ओर पहला कदम तो नहीं है। जिस प्रकार पिछले कुछ समय में देश में दलितों पर हमले और अत्याचार बढ़ा है, ऐसे में अगर एस.सी./एस.टी. एक्ट को कमजोर किया गया तो इसका दलित समुदाय पर गंभीर असर होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की कि वह इस मामले में दखल दें और अगर जरूरत पड़े तो संसद में एस.सी./एस.टी. एक्ट को मजबूत करने के लिए नया कानून लेकर आएं।

 

उधर, इस मामले में राजनीतिक जानकारों की मानें तो अकाली दल इस मामले में भी भाजपा का खुलकर विरोध करने से परहेज ही कर रहा है क्योंकि केंद्र में हरसिमरत की कुर्सी को खतरा न पड़े इसलिए अकाली दल की ओर से किसी बड़े नेता ने न तो हरिमंदिर साहिब के लंगर पर लगाए जी.एस.टी. के मुद्दे पर केंद्र सरकार का खुलकर विरोध किया और न ही सिखों को अलग पहचान देने बारे संविधान की धारा 25-बी में संशोधन करने की अपनी मांग मनवा सका है।

 

ऐसे मामलों को लेकर ही अकाली दल के राज्यसभा मैंबर नरेश गुजराल कई बार भाजपा के साथ अकाली दल के गठबंधन का विरोध कर चुके हैं। अल्पसंख्यक आयोग में सदस्यता बारे केंद्र सरकार द्वारा अकाली दल से कोई राय न लेने के मुद्दे पर भी गुजराल ने भाजपा का खुलकर विरोध किया था। अब एस.सी./एस.टी. एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लाई गई नरमी को अकाली दल अपनी गठबंधन पार्टी भाजपा पर कितना और कैसे दबाव बनाती है यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा पर अकाली दल के एक बड़े नेता का मानना है कि ऐसे केंद्र सरकार के इस प्रकार के फैसलों ने अकाली दल को पंजाब में बेहद मायूस किया है।

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