GST के कारण पंजाब के राजस्व में 10,000 करोड़ की कमी आने की आशंका

Edited By Vatika,Updated: 25 Dec, 2018 09:00 AM

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केन्द्र द्वारा पिछले साल देश में लागू की गई नई कर प्रणाली जी.एस.टी. के कारण पंजाब के राजस्व में मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान 10,000 करोड़ रुपए की कमी आने की आशंका जाहिर की जा रही है जिसे देखते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के...

जालंधर (धवन): केन्द्र द्वारा पिछले साल देश में लागू की गई नई कर प्रणाली जी.एस.टी. के कारण पंजाब के राजस्व में मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान 10,000 करोड़ रुपए की कमी आने की आशंका जाहिर की जा रही है जिसे देखते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस मामले को जी.एस.टी. कौंसिल में उठाया है।
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मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह काफी समय से यह कहते आ रहे हैं कि जी.एस.टी. लागू होने के बाद रा’यों के राजस्व में आ रही कमी को देखते हुए इसकी भरपाई केन्द्र सरकार को करनी चाहिए क्योंकि राज्य सरकारों के संसाधन सीमित हैं। सरकारी हलकों ने बताया है कि पंजाब ही नहीं देश के कई अन्य राज्यों में भी जी.एस.टी. से होने वाले राजस्व में कमी आने की बात कही जा रही है। पंजाब में लगभग 36 प्रतिशत राजस्व में कमी आने की आशंका जाहिर की जा रही है। पंजाब के अलावा इस सूची में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, गोवा, ओडिशा, कर्नाटक व बिहार भी शामिल हैं। पंजाब ने जी.एस.टी. कौंसिल में यह तर्क रखा है कि जी.एस.टी. कलैक्शन में पंजाब के अंदर कोई सुधार नहीं हो रहा है।
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मुख्यमंत्री की तरफ से वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने यह मामला जी.एस.टी. कौंसिल के सामने रखा, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि मंत्रियों का समूह इस बात का अध्ययन करेगा कि कुछ राज्यों में जी.एस.टी. कलैक्शन में सुधार क्यों नहीं हो रहा है। खाद्यान्नों पर परचेज टैक्स को भी जी.एस.टी. के तहत लेने के बाद पंजाब का लगभग 40 प्रतिशत टैक्स आधार कम हो गया है। पंजाब सरकार ने जी.एस.टी. कौंसिल को बताया है कि राज्य में करदाताओं की गिनती काफी अधिक है तथा पंजाब में वैट कलैक्शन भी अ‘छी होती रही है। हमें यह देखना होगा कि पंजाब में अब जी.एस.टी. से होने वाला राजस्व क्यों नहीं बढ़ रहा है। इससे जुड़ी समस्याओं का समाधान करने की जरूरत है। पंजाब में उपभोग होने वाली वस्तुओं को लेकर भी समीक्षा की जरूरत है क्योंकि यह भी हो सकता है कि इन वस्तुओं पर टैक्स की दर अधिक हो।

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