सड़कों के विकास की आड़ में Green बैल्ट गायब

Edited By swetha,Updated: 24 Jan, 2019 08:22 AM

green belt

पंजाब समेत देश के विभिन्न हिस्सों में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए भले ही राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल और राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं।  मगर दूसरी तरफ पिछले करीब 10 वर्षों के दौरान पंजाब में चौड़ी की गई सड़कों के किनारों से काटे गए...

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): पंजाब समेत देश के विभिन्न हिस्सों में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए भले ही राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल और राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं।  मगर दूसरी तरफ पिछले करीब 10 वर्षों के दौरान पंजाब में चौड़ी की गई सड़कों के किनारों से काटे गए करीब 10 लाख पेड़ों की जगह पर नए पेड़ लगाने का मामला संबंधित विभाग ने ठंडे बस्ते में डाला हुआ है। इसी के चलते स्थिति यह बन चुकी है कि नैशनल हाईवे अथारिटी की ओर से बनाई गई 4 मार्गीय और 6 मार्गीय सड़कों के निर्माण उपरांत भी सड़कोंके किनारे कई वर्ष बीत जाने के बाद भी पेड़ों से वंचित हैं। 

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यहां बनाई जाने वाली ग्रीन पट्टी का दूर-दूर तक नामो-निशान नजर नहीं आता। यहां तक कि पंजाब के वन विभाग ने पुरानी सड़कों के किनारे लगे पेड़ों की कटाई से पहले ही राष्ट्रीय अथारिटी से नियमानुसार मोटी रकम जमा करवा ली थी ताकि पेड़ों की कटाई के बाद फिर से नए पेड़ लगाकर इनकी कमी को पूरा किया जा सके।  उसके बावजूद यह विभाग अनेक सड़कों के किनारों पर पेड़ नहीं लगा सका और न ही हाईवे अथारिटी ने इस मामले में अपनी जिम्मेदारी निभाई है।

50 वर्षों में 1 करोड़ का लाभ देता है 1 पेड़
विभिन्न तरह के पेड़ मानव और अन्य जीव-जंतुओं को आक्सीजन प्रदान करने के अलावा पर्यावरण को गंदा होने से बचाते हैं। खासकर गर्मियों में धूप से बचाने व प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के अलावा पेड़ मानवों की अनेक आवश्यकताएं पूरी करते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार एक पेड़ अपने करीब 50 वर्षों के जीवनकाल में लगभग 1 करोड़ का लाभ देता है। इसमें आक्सीजन, प्रदूषण घटाने, जमीन को उपजाऊ बनाने, पशु-पक्षियों की शरणस्थली, पानी के शुद्धिकरण जैसे कई अहम कार्य हैं। देश की पर्यावरण नीति अनुसार मैदानी इलाकों में 22 फीसदी पेड़ होने चाहिए, जबकि पहाड़ी इलाकों का 66 फीसदी हिस्सा पेड़ों से ढका होना जरूरी है, मगर पंजाब में पेड़ों की जरूरत से करीब 4 गुणा कम पेड़ हैं।

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6 वर्षों में 10 लाख से अधिक पेड़ों की कटाई
पिछले करीब 5 वर्षों के दौरान करीब 9 लाख पेड़ों की कटाई की गई, जिसमें 75 हजार पेड़ साल 2011-12 के दौरान, 1 लाख 92 हजार पेड़ वर्ष 2012-13 के दौरान, 2 लाख 40 हजार पेड़ वर्ष 2013-14, 2 लाख 12 हजार पेड़ वर्ष 2014-15 के दौरान और 2 लाख से अधिक पेड़ 2016 के दौरान काटे गए थे।पंजाब के वन में रकबे को दक्षिण सर्कल, उत्तरी सर्कल, शिवालिक सर्कल, फिरोजपुर सर्कल, बिस्त सर्कल पर आधारित 5 जोन में बांटा गया है, जिसमें से दक्षिण जोन में 2.50 लाख से अधिक पेड़ सरकारी प्रोजैक्ट्स के कारण काटे गए। इसी तरह करीब सवा 2 लाख पेड़ शिवालिक, पौने 2 लाख उत्तरी सर्कल, पौने 2 लाख फिरोजपुर सर्कल और करीब 1 लाख पेड़ बिस्त सर्कल में काटे गए थे।

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पंजाब के वन विभाग ने पैसे तो लिए, मगर नहीं लगाए पेड़
पंजाब में विभिन्न जगहों पर बनाए गए प्रमुख राष्ट्रीय मार्गों को चौड़ा करके आधुनिक छवि तो दे दी है, मगर हैरानी की बात यह है कि इन मार्गों के निर्माण उपरांत कई वर्ष बीत जाने के बाद भी पंजाब के करीब सभी हाईवे के किनारे पेड़ों से वंचित हैं। यहां तक पता चला है कि जब भी राज्य की किसी सड़क के किनारों से पेड़ों की कटाई की जाती है तो पहले संबंधित अथारिटी द्वारा राज्य के वन विभाग को काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या अनुसार राशि अदा करनी पड़ती है, जिस राशि से दोबारा नई जगह पर पौधे लगाए जाने होते हैं, मगर हैरानी की बात है कि अमृतसर-पठानकोट नैशनल हाईवे के अलावा अन्य ऐसे कई मार्ग हैं, जहां काटे गए पेड़ों के कारण वन विभाग ने राष्ट्रीय हाईवे अथारिटी से मोटी राशि तो वसूल ली, मगर उसके बाद यह राशि खर्च नहीं हुई।

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‘राष्ट्रीय मार्ग स्टेट के वन विभाग के अधीन नहीं’
इस संबंध में जिला गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नर विपुल उज्जवल के साथ संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि पेड़ों का अस्तित्व प्रत्येक इंसान के लिए जरूरी है। वह इस बात की जांच करेंगे कि अमृतसर-पठानकोट हाईवे पर अभी तक पेड़ न लगाए जाने का क्या कारण है? दूसरी तरफ वन विभाग के डी.एफ.ओ. विल्बर्ट सैमसन ने कहा कि स्टेट के अधीन जो सड़कें हैं, उनके किनारों पर तो वन विभाग ने पूरी संख्या में पेड़ लगाए हैं, मगर राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य के वन विभाग के अधीन नहीं है, जिससे अभी तक इस पर पेड़ नहीं लगाए जा सके। उन्होंने कहा कि अमृतसर-पठानकोट हाईवे भी राष्ट्रीय हाईवे अथारिटी के अधीन है, मगर इस मार्ग पर पेड़ लगाने के लिए कुछ अधिकारियों की केंद्र के साथ बातचीत चल रही है, जिससे जल्द ही इस मार्ग पर पौधे लगाए जाने की संभावना है।

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