पराली को आग लगाने संबंधी सरकार व किसान जत्थेबंदियां हुईं ‘आमने-सामने’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Oct, 2017 12:08 PM

government and farmers  is face to face

मानवता को प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए जहां सरकार द्वारा किसानों को पराली न जलाने के लिए कहा जा रहा है.....

बधनी कलां (बब्बी): मानवता को प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए जहां सरकार द्वारा किसानों को पराली न जलाने के लिए कहा जा रहा है, वहीं कुछ किसान जत्थेबंदियों द्वारा पराली जलाने के लिए गांवों तथा कस्बों में किसानों को एकजुट करने का सिलसिला शुरू हो चुका है। किसान जत्थेबंदियों द्वारा विभिन्न बैठकें करके किसानों को सरकार से बेखौफ होकर पराली जलाने का आह्वान भी दिया जा रहा है। कई गांवों में पराली जलाई भी जा चुकी है।

किसान जत्थेबंदियां सरकार से 200 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने की मांग कर रही हैं। जत्थेबंदियों की यह मांग खाली पड़े खजाने कारण सरकार के गले से नहीं उतर रही, जिसको किसान जत्थेबंदियों ने आड़े हाथों लिया है। उनका कहना है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा सरकार को दिए निर्देशानुसार किसानों को 6 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा, मुफ्त मशीनरी तथा जिला स्तर पर लोङ्क्षडग व अनलोङ्क्षडग का प्रबंध करने को कहा जा चुका है लेकिन सरकार उस तरफ ध्यान देने की जगह अपनी जिम्मेदारियों से लगातार भागती आ रही है तथा बिना ठोस प्रबंधों के किसानों को पराली न जलाने के आदेश दिए जा रहे हैं। सरकार के इस अडिय़ल रवैये कारण किसान जत्थेबंदियों द्वारा पराली को आग लगाने का फैसला किया गया है।

दूसरी तरफ सरकार प्रदूषण से होने वाले नुक्सान से बचाव के लिए किसानों को पराली न जलाने की लगातार अपीलें कर रही है तथा राजस्व विभाग के पटवारियों व अन्य अधिकारियों को पराली जलाने वाले किसानों का चयन करके उनके खिलाफ जमीनों के रिकार्ड में एतराज दर्ज करने को भी कहा जा चुका है। प्रदूषण विभाग को भी चाहे हिदायतें बहुत सख्त हैं लेकिन वह सीधी कार्रवाई करने की जगह राजस्व विभाग द्वारा पकड़े केसों पर ही जुर्माने डालने तक सीमित है।

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