Edited By Vatika,Updated: 25 May, 2018 10:24 AM
लंगर की प्रथा सिख धर्म की महान देन और बाकी सभी धर्मों की अपेक्षा विलक्षणता की निशानी भी है परन्तु अफसोस कि मानवता के आध्यात्मिक केंद्र, भाईचारे के प्रतीक श्री हरिमंदिर साहिब जहां सब अपना सिर झुकाते हैं और हर कोई दर्शन करने आने वाला एक ही पंगत में...
अमृतसर(अनजान): लंगर की प्रथा सिख धर्म की महान देन और बाकी सभी धर्मों की अपेक्षा विलक्षणता की निशानी भी है परन्तु अफसोस कि मानवता के आध्यात्मिक केंद्र, भाईचारे के प्रतीक श्री हरिमंदिर साहिब जहां सब अपना सिर झुकाते हैं और हर कोई दर्शन करने आने वाला एक ही पंगत में बैठ कर लंगर छक कर तृप्त होता है, को भी केंद्र सरकार ने जी.एस.टी. के दायरे में से बाहर नहीं रखा और आज इस स्थान को करोड़ों रुपए का जी.एस.टी देना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि अकेले श्री हरिमंदिर साहिब में ही रोजाना करीब एक लाख संगत लंगर छक कर जाती है और त्यौहारों में यह संख्या सवा से डेढ़ लाख और कभी कभार इससे भी ज्यादा हो जाती है। उल्लेखनीय है कि गुरुघरों की आमदन का मुख्य साधन संगत द्वारा चढ़ावे के रूप में गोलक में डाली जाती माया है, जो शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से गुरुद्वारा एक्ट 1925 के नियमों के अनुसार गुरुद्वारा साहिब के प्रबंध, लंगर, गरीब और पीड़ितों की सहायता, कैंसर मरीजों का इलाज, धर्म प्रचार, विद्या, खेल आदि समाज भलाई के कामों के लिए इस्तेमाल की जाती है।
पंजाब सरकार पहले ही माफ कर चुकी है जी.एस.टी.
गुरुद्वारा साहिब के लिए लंगर समेत अन्य सामान की खरीद करने को पंजाब सरकार ने 2005 और 2008 में नोटीफिकेशन जारी कर वैट से मुक्त किया था परंतु अब देश में जी.एस.टी. लागू कर दिया गया है जिसके कारण गुरुद्वारा साहिब पर लगभग 10 करोड़ रुपए का आर्थिक बोझ पड़ता है। अगर यह टैक्स बचे तो यही रकम जरूरतमंदों की सहायता के लिए लगाई जा सकती है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मौजूदा प्रधान गोबिन्द सिंह लौंगोवाल और पूर्व प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर ने भी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेतली, अलग-अलग सांसदों और जी.एस.टी. कौंसिल के सदस्यों के साथ बातचीत की। इसमें पहलकदमी करते पंजाब सरकार ने श्री हरिमंदिर साहिब के लंगर के लिए राज्य का जी.एस.टी. माफ करके बहुत ही सराहनीय कार्य किया है।