Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Sep, 2017 12:40 AM
पंजाब सरकार द्वारा पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में दर्ज झूठे केसों का पता लगाने के लिए गठित...
जालंधर(धवन): पंजाब सरकार द्वारा पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में दर्ज झूठे केसों का पता लगाने के लिए गठित जस्टिस (सेवानिवृत्त) मेहताब सिंह गिल आयोग ने आज अपनी दूसरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह को सौंप दी, जिसमें सियासी रंजिश के 47 केसों का पता चला है।
आयोग ने इनमें से 37 एफ.आई.आर. को रद्द करने की सिफारिश की है, जबकि 4 मामलों में पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने के लिए कहा गया है जिन्हें अदालत ने रिहा कर दिया था। बकाया 6 मामलों में आयोग ने अदालतों में चालान पेश न करने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने आयोग द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट समीक्षा करने के लिए राज्य के गृह सचिव को भेज दी है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट में 172 मामलों पर विचार किया था। आयोग को झूठे मामलों से संबंधित 4200 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। आयोग में पूर्व जिला व सैशन जज बी.एस. मेहंदीरत्ता को बतौर सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। कैप्टन ने राज्य विधानसभा के आम चुनावों से पूर्व इन झूठे केसों को रद्द करने का वायदा किया था। आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह प्रत्येक शिकायत की गंभीरता से समीक्षा करे तथा उसके बाद सरकार को उचित कार्रवाई के लिए सिफारिश करे।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि आयोग द्वारा स्वीकार की गई, शिकायतों में उक्त 47 केस सूची नंबर 3 में शामिल थे। इन केसों में सीआर.पी.सी. के सैक्शन 173 के तहत अंतिम रिपोर्ट अभी तक प्रस्तुत नहीं की गई है तथा अभियुक्तों को अदालतों ने रिहा कर दिया है। सूची में सीरियल नंबर 1 से 37 तक आयोग ने गृह व न्यायिक विभाग को सिफारिश की है कि वह अदालतों में कानूनी तारीके से आवेदन लगाए ताकि एफ.आई.आर. को रद्द किया जा सके। अदालतों से अनुमति लेने के बाद केसों को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सीरियल नंबर 38 से 41 तक अभियुक्तों को मुआवजे का भुगतान करने के लिए कहा गया है। 42 से 47 नंबर केसों में संबंधित अदालतों में चालान पेश नहीं किए जाएंगे।
गिल आयोग द्वारा मुख्यमंत्री को सौंपी सूची नंबर 2 में आयोग ने 59 शिकायतों को डिसमिस कर दिया है, जिन्हें सही नहीं पाया गया, क्योंकि या तो ये मामले सिविल डिस्प्यूट से संबंधित थे या फिर वैवाहिक व सम्पत्ति से जुड़े हुए थे। आयोग के क्षेत्राधिकार में यह मामले नहीं आते थे। इन केसों को सियासी रंजिश से संबंधित नहीं पाया गया। आयोग ने दूसरे चरण में कुल 106 शिकायतों पर गौर किया। आयोग को कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी शिकायतें प्राप्त हुई थीं।