रहस्यमीय गुफा: एक गेट गर्ल्स होस्टल से तो दो सत्संग दरबार से जुड़े थे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Aug, 2017 09:31 AM

from a gate girls hostel two satsanga courts were connected

डेरे के अंदर गुरमीत आलीशान जिंदगी जीते थे। डेरे में उनके ऐशो-आराम के लिए अलग से कक्ष बने हुए....

चंडीगढ़: डेरे के अंदर गुरमीत आलीशान जिंदगी जीते थे। डेरे में उनके ऐशो-आराम के लिए अलग से कक्ष बने हुए हैं। बहुत कम ही लोग इनके बारे में जानते हैं। यही नहीं डेरे के अंदर एक ऐसी जगह है, जिसके बारे में गुरमीत के बेहद करीबियों को ही पता है। आश्रम के बीचों-बीच कांच और दीवारों से बना एक भवन है जिसे बाबा की गुफा कहा जाता है। यहां तक बाबा की गाड़ी सीधे जाती थी। 

जब गुरमीत गुफा में होते थे तो कुछ निजी लोगों को छोड़कर बाकी किसी को वहां जाने की इजाजत नहीं होती थी। यहां तब हर जगह सादे कपड़ों में बंदूक लिए लोग तैनात होते थे। जिस साध्वी ने गुरमीत पर बलात्कार का आरोप लगाया था, उससे वारदात गुफा में ही हुई थी। सी.बी.आई. जांच के लिए इस गुफा में दाखिल हुई थी। सी.बी.आई. की चार्जशीट के मुताबिक गुफा के तीन गेट हैं। इनमें से एक गेट गल्र्स होस्टल से जुड़ा हुआ है तथा दो गेट सत्संग दरबार की ओर खुलते हैं। गुरमीत की जिंदगी के कई राज इस आलीशान और शानदार गुफा में छुपे हुए हैं। 

शानदार सोफे पर बैठते थे
गुरमीत की गुफा की शान ही निराली है। एक बार इस गुफा में गए डेरे के एक अनुयायी ने बताया कि यहां शानदार सोफा और चमकदार पर्दे लगे हुए हैं। हर वक्त विदेशी इत्र की खुशबू यहां की हवा में रहती है। गुफा ऑटोमैटिक तरीके से वातानुकूलित है। कोई बाहर की आवाज गुफा के अंदर नहीं आती। गुरमीत जब इस गुफा में होते हैं तो उनके चेले अक्सर यही कहते हैं कि वह ध्यान में हैं। लेकिन अंदर वह क्या करते थे,यह किसी को पता नहीं चलता। 

पहचान से खुलते हैं दरवाजे 
गुफा में जाने के लिए बाकायदा पहचान और बायोमीट्रिक सिस्टम है, तभी दरवाजे खुलते हैं। इस समर्थक ने बताया कि वह गलती से गुफा के अंदर उस वक्त चला गया था, जब गुरमीत वहां नहीं थे, गुफा का दरवाजा किसी वजह से खुला था। उसे इस बात पर बहुत ही डांट लगी थी। चेतावनी दी गई थी कि आइंदा इधर आया तो डेरे से बाहर कर दिया जाएगा। इसके बाद वह कभी गुफा की ओर नहीं गया। 

खास शिष्याएं चुनी जाती थीं
डेरे की साध्वियों में से कुछ को ही इस गुफा में आने की इजाजत थी। ये साध्वियां खास गेरुआ या सफेद कपड़े पहनती थीं। इन्हें बाल खुले रखने होते थे। यही खास साध्वियां गुरमीत राम रहीम को खाना खिलाने, मुलाकात करवाने, सुबह शाम स्टेज तक लाने-ले जाने का काम भी करती थीं। गुरमीत के प्रवचन में भी बाईं तरफ इनके लिए एक खास जगह बनी होती थी। प्रवचन वाले हॉल में यही सब कुछ संभालती थीं और बाहरी हिस्से में दूसरे पुरुष कारसेवक काम करते थे। 

शाह सतनाम ने की थी 60 वर्ष तक गद्दी पर राज करने की घोषणा
राम रहीम के जेल जाते ही उसके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा छिड़ चुकी है लेकिन डेरा सूत्रों की मानें तो उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा क्योंकि शाह सतनाम ने जब उन्हें 1990 में 23 साल की उम्र में गद्दी सौंपी थी तो अनुयायियों के सामने इस बात की घोषणा की थी कि गुरमीत राम रहीम 60 वर्ष तक गद्दी पर विराजमान रहेंगे। यानी कि बाबा करीब 83 साल की उम्र तक गद्दी पर राज करेंगे। उसके बाद राम रहीम ने अपना उत्तराधिकारी घोषित करना था, ऐसे में उनके उत्तराधिकारी को लेकर अनुयायियों में कोई चर्चा नहीं हो रही। 

सात सितारा सुविधाएं हैं गुफा में 
गुफा के कमरों में सात सितारा सुविधाएं हैं। सारा सामान विदेशी है। डैकोरेशन के लिए भी विदेशी आर्किटैक्ट की मदद ली गई है। बाथरूम में विदेशी टाइलें लगी हैं। जकूजी और नहाने की विशेष बाथ टब है, इसके पानी में गुलाब डाल कर गुरमीत नहाते थे। बेहद खास लोगों से मिलने के लिए अलग कमरा भी है। बताया तो यहां तक जाता है कि यहीं से गुरमीत कई देशों में सीधे बात करते थे। गुफा में वह रेशम के कपड़े डालते थे, जिन्हें विदेशी डिजाइनर तैयार करते थे। 

डेरे में जो लड़की गुरमीत की सेवा में रहती थी, वह दूसरी लड़कियों से ज्यादा तवज्जो पाती थी। यहां बहुत-सी ऐसी लड़कियां हैं, जिन्हें होड़ लगी रहती थी कि कब उन्हें इस तरह की सेवा का मौका मिले। ज्यादातर लड़कियों को क्योंकि यह पता ही नहीं होता कि अंदर होता क्या है। उन्हें बाहर आकर भी अंदर की बात किसी को बताने की मनाही होती थी। वे चुप रहें, इसके लिए उन्हें बताया जाता था कि यदि वे अंदर की बात बाहर बताएंगी तो प्रभु नाराज हो जाएंगे। 

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