Edited By swetha,Updated: 05 Sep, 2018 08:15 AM
परिवहन विभाग में करप्शन कोई नई बात नहीं है। जिस दिन से निजी कम्पनी स्मार्ट चिप को बतौर बूट आप्रेटर नियुक्त किया गया है। लाइसैंस व आर.सी. से संबंधित अधिकतर कामकाज की जिम्मेदारी निजी कम्पनी के स्टाफ को सौंपी गई है, उसी दिन से करप्शन चरम सीमा को छूने...
जालंधर (अमित): परिवहन विभाग में करप्शन कोई नई बात नहीं है। जिस दिन से निजी कम्पनी स्मार्ट चिप को बतौर बूट आप्रेटर नियुक्त किया गया है। लाइसैंस व आर.सी. से संबंधित अधिकतर कामकाज की जिम्मेदारी निजी कम्पनी के स्टाफ को सौंपी गई है, उसी दिन से करप्शन चरम सीमा को छूने लगा है। कुछ साल पहले ‘पंजाब केसरी’ की तरफ से करोड़ों रुपए के हैवी लाइसैंस घोटाले का पर्दाफाश किया गया था जिसे कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से दबा लिया गया और दोषी कर्मचारी साफ बच गए थे। इसके बाद गलत काम करने वाले कर्मचारियों और एजैंटों के हौंसले और भी बुलंद हो गए।
उक्त घोटाले की तर्ज पर ही एक और लाखों-करोड़ों का घोटाला जो इन दिनों प्रदेशभर में पूरे जोर-शोर से जारी है, वह है बिना किसी पुराने लाइसैंस के किसी भी व्यक्ति को नया लाइसैंस जारी करवा देना जिसका हैडक्वार्टर जालंधर में ही है। निजी कम्पनी के कुछ कम्प्यूटर एक्सपर्ट कर्मचारी जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते काम से निकाला जा चुका है, कुछ एजैंटों के साथ मिलकर एक बड़े गिरोह की शक्ल में इस पूरे रैकेट को चला रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गलत बैकलॉग एंट्री करते समय जानबूझकर जालंधर का पुराना लाइसैंस नंबर दर्ज किया जाता है जिसके बाद ऑनलाइन एंट्री में आवेदक की असली जानकारी दर्ज करके उसे उसके असली पते पर लाइसैंस जारी करवा दिया जाता है। ऐसा करने से दोषी कर्मचारियों के पकड़े जाने की संभावना काफी कम हो जाती है, क्योंकि किसी कारणवश पकड़े जाने पर जालंधर के पुराने लाइसैंस नंबर (जो दरअसल होता ही नहीं) दर्शाए जाने की बात कहकर दोषी कर्मचारी आसानी से छूट सकते हैं।
बैकलॉग एंट्री बटाला से, डुप्लीकेट बना नकोदर से बाद में चेंज ऑफ एड्रैस हुआ फिरोजपुर से
लाइसैंस नं. पीबी-082011::::::4 की बैकलॉग एंट्री बटाला की किसी आई.डी. से की गई है, जबकि इसका डुप्लीकेट प्रिंट मार्च 2018 को नकोदर से निकाला गया है। इस लाइसैंस को जारी करते समय आर सीरीज का जो पुराना लाइसैंस नंबर इस्तेमाल किया गया है। वह अस्तित्व में ही नहीं है। नकोदर से डुप्लीकेट लाइसैंस आवेदन के पश्चात जुलाई, 2018 में फिरोजपुर से चेंज ऑफ एड्रैस के लिए अप्लाई करके असली आवेदक के आधार कार्ड व अन्य दस्तावेजों को अपलोड करके एक जाली लाइसैंस को ऑनलाइन असली लाइसैंस दर्शाने की कोशिश की गई है।
सोचने वाली बात है कि नकोदर में रहने वाले आवेदक को बटाला से बैकलॉग एंट्री करवाने की क्या जरूरत पड़ गई। अगर आवेदक ने 4 महीने में अपना एड्रैस बदला था तो इतनी जल्दी उसके बाकी के एड्रैस प्रूफ कैसे बन गए।
बैकलॉग एंट्री राजपुरा में डुप्लीकेट प्रिंट निकला अमृतसर में
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लाइसैंस नं. पीबी-022014::::::4 का डुप्लीकेट प्रिंट अमृतसर आर.टी.ए. दफ्तर से निकाला गया, मगर अमृतसर से बैकलॉग एंट्री करने की जगह बेहद चालाकी बरतते हुए राजपुरा से इस लाइसैंस की बैकलॉग एंट्री की गई। निजी कम्पनी के कर्मचारियों ने अपनी पुरानी गलतियों में सुधार करते हुए इस बार अपने काम का तरीका बदला और जालसाजी को अंजाम दिया, मगर एक बार फिर से आवेदक की फोटो एडिट करने की भूल कर बैठे।