राष्ट्रीय मुद्दों पर सहमति की नीति पर चलो न कि टकराव की नीति पर- प्रकाश सिंह बादल

Edited By Tania pathak,Updated: 03 Oct, 2020 03:41 PM

follow policy of consensus not on the policy of confrontation

टकराव ख़ास तौर पर जब हिंसक टकराव बन जाये तो फिर वह देश के लिए ख़तरनाक और हानिकारक हो सकता है। बादल ने कहा कि...

चंडीगढ़ (अश्वनी): पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भारत सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को कहा है कि वह आम सहमति और रचनात्मिक समझौतो की नीति का पालन करे न कि संवेदनशील मुद्दों पर सीधे राष्ट्रीय टकराव की नीति अपनाए। उन्होंने कहा कि देश की सरकार की असहनशील पहुँच के कारण देश की छवि को बिगाड़ना नहीं चाहिए। बादल ने कहा कि सभी राज्य में इस बात का उत्साह था कि अकाली लहर वास्तव में संकटग्रस्त किसानों का समर्थन किया था और वास्तव में पंथक लहर बन गई थी। उन्होंने कहा कि जो लोकतंत्र  परंपराओं की बात करते हैं, उनके लिए यह देखने वाला बड़ा मौका था।

जारी एक प्रैस बयान में उन्होंने कहा कि टकराव ख़ास तौर पर जब हिंसक टकराव बन जाये तो फिर वह देश के लिए ख़तरनाक और हानिकारक हो सकता है। बादल ने कहा कि वास्तव में सहकारी संघवाद के सम्मान की ज़रूरत एक तरफ है जबकि प्रजातांत्रिक बग़ावत दूसरी तरफ है। प्रकाश सिंह बादल ने चंडीगढ़ पुलिस की तरफ से अकाली वर्करों ख़ास तौर पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ख़िलाफ़ धक्केशाही करने को बेहद हैरानीजनक और गलत कार्यवाही करार दिया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों के विचार और मांगों में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण, प्रजातांत्रिक तरीको साथ अपनी बात सुनाना हर किसी का मौलिक अधिकार है। उन्होंने दोहराया कि यदि वह राज्यपाल के पद पर होते तो फिर वह नंगे पैर चलकर शांतिपूर्ण  विरोध प्रदर्शन करने वालों को जाकर मिलते। 

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