Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Mar, 2018 10:53 PM
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल भी करप्शन के आगे बौने साबित हो गए हैं। इन्होंने इंडस्ट्री से वायदा किया था कि बीते 1 मार्च से सेल टैक्स विभाग की ओर से किए जा रहे वैट स्क्रूटनी असैस्मैंट के केसों को बंद करवा देंगे। इसके लिए वह मुख्यमंत्री...
लुधियाना(धीमान): पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल भी करप्शन के आगे बौने साबित हो गए हैं। इन्होंने इंडस्ट्री से वायदा किया था कि बीते 1 मार्च से सेल टैक्स विभाग की ओर से किए जा रहे वैट स्क्रूटनी असैस्मैंट के केसों को बंद करवा देंगे। इसके लिए वह मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह से मिलेंगे और उन्हें बताएंगे कि असैस्मैंट से कोई टैक्स तो एकत्रित हो नहीं रहा, बल्कि कारोबारी जरूर परेशान हो रहे हैं और आफिसर अपनी जेबे भर रहे हैं।
इतना सब कुछ जानते हुए भी वित्तमंत्री बादल आज तक असैस्मैंट के केसों के संबंध में कोई आर्डर नहीं जारी करवा पाए। वित्त मंत्री बीते दिनों लुधियाना में उद्यमियों से मिलने आए थे। इस दौरान उन्होंने माना था कि उनकी जानकारी में है कि अधिकारी असैस्मैंट की आड़ में किस तरह करप्शन कर रहे हैं। उन्होंने इसे बंद करवाने का भरोसा दिया था। उद्यमी पूछने के लिए फोन करते हैं तो जवाब मिलता है कि साहब व्यस्त है। हमने भी जब उनका पक्ष जानने के लिए कई बार फोन किया तो यही जवाब मिला कि साहब मीटिंग में हैं। सवाल है कि जब कुछ काम ही नहीं हो रहा तो साहब कौन-सी मीटिंग में व्यस्त रहते है।
फोकल प्वाइंट फेस-4 शेड एसोसिएशन के प्रधान रजनीश आहूजा और फोपसिया के प्रधान बदीश जिंदल कहते है कि असैस्मैंट के केसों को बंद करने के लिए उद्यमियों को पहले वकीलों को फीस देनी पड़ती हैं फिर अधिकारियों की नाजायज फीस अदा करनी पड़ रही है। उद्यमी सारा कारोबार छोड़कर दफ्तरों के चक्कर लगाने में जुट गए हैं। पिछली बादल सरकार के समय सुखबीर बादल ने नोटिफिकेशन जारी किया था कि असैस्मैंट के केस चंडीगढ़ से तय होंगे। लेकिन कांग्रेस की नई सरकार आते ही अधिकारियों ने वर्ष 2010-11 तक के भी सारे केस खोल दिए जबकि इन केसों को देखने और समझने के लिए विभाग के पास इतना स्टाफ भी नहीं है।
इसके बावजूद विभाग ने अंदाजन 40 हजार केस इसी वर्ष के खोले गए हैं। इसी से समझा जा सकता है कि कम संख्या वाले अधिकारी अधिक संख्या के केसों का कैसे निपटारा करते होंगे। वैसे भी वित्त मंत्री बादल खुद मान चुके हैं कि करप्शन के लिए केसों को खोला जा रहा है। फिर कांग्रेस सरकार इस पर क्यों नहीं गौर कर रही। जबकि यह विभाग खुद मुख्यमंत्री कैप्टन के पास है। इन्ही कारणों से वैट रिफंड भी जारी नहीं हो पा रहा। उद्यमियों का सारा पैसा सरकारी खजाने में फंस कर रह गया है। समझ नहीं आ रहा कि उद्यमी किस तरह कारोबार करे। उक्त नेताओं ने मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या कांग्रेस सरकार तब जागेगी जब उद्यमी किसानों की तरह खुदकुशी करना शुरू कर देंगे। किसानों का कर्ज माफ करने से उद्यमियों को कोई ऐतराज नहीं। लेकिन सरकार को उद्यमियों का वैट रिफंड भी देना होगा। साथ ही उक्त नेताओं ने वित्त मंत्री बादल से कहा कि यदि उनकी सरकार में चलती नहीं तो वह झूठे वायदे क्यों करते है।