Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 09:16 AM
गुजरात में हो रहे विधानसभा चुनावों में आजाद उम्मीदवारों की संख्या 700 के पार होने के बाद अब कांग्रेस को लग रहा है
जालंधर (पाहवा): गुजरात में हो रहे विधानसभा चुनावों में आजाद उम्मीदवारों की संख्या 700 के पार होने के बाद अब कांग्रेस को लग रहा है कि कहीं न कहीं आजाद उम्मीदवार भाजपा को फायदा दे सकते हैं। गुजरात के चुनावों में 2012 में 668 उम्मीदवार आजाद तौर पर मैदान में उतरे थे, जिनमें से 662 की जमानत जब्त हो गई थी, जबकि एक केतन इनामदार को सांवली विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल हुई थी। 27 सीटों पर आजाद उम्मीदवार तीसरे नंबर पर आए थे। इसका मतलब यह है कि इन्होंने विधानसभा क्षेत्र में इतने मत हासिल कर लिए थे कि किसी की भी स्थिति खराब हो सकती थी। इसका ज्यादा असर बड़े राजनीतिक दलों पर पड़ा था। 2012 में कांग्रेस के 14 उम्मीदवार आजाद उम्मीदावरों के कारण ही हारे थे, जबकि भाजपा के 13 लोगों को आजाद उम्मीदवारों के कारण हार का शिकार होना पड़ा। अब कांग्रेस इस बात को लेकर परेशान है कि आजाद तौर पर मैदान में उतारे गए अधिकतर उम्मीदवार भाजपा के गेम प्लान का हिस्सा हो सकते हैं जोकि कांग्रेस को नुक्सान पहुंचा सकते हैं।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में 42 सीटों पर आजाद उम्मीदवारों ने 12 प्रतिशत तक वोट बैंक में सेंध लगाई थी। इनमें से अधिकतर सीटें भाजपा के खाते में गई थी। भाजपा के उम्मीदवार 5000 से भी कम मतों के अंतर से जीते थे। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार भूषण भट्ट जोकि जमालपुर खाडिया सीट से खड़े थे, ने 48,058 हासिल किए तथा इस सीट पर कांग्रेस को हार मिली। आजाद उम्मीदवार शब्बीर खेडवाला ने 30,513 वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार समीर खान 6331 मतों से हारे थे। कांग्रेस को लगता है कि इतनी बड़ी संख्या में आजाद उम्मीदवारों का मैदान में आना भाजपा के लिए फायदे का सौदा हो सकता है।