Edited By swetha,Updated: 08 May, 2019 08:58 AM
पंजाब विधानसभा चुनावों में शिकस्त खाने वाले 2 पूर्व आई.ए.एस. अधिकारियों को फिर से कांग्रेस और अकाली-भाजपा पार्टी द्वारा लोकसभा क्षेत्र फतेहगढ़ साहिब से उम्मीदवार घोषित किया गया है।
फतेहगढ़ साहि (बख्शी): पंजाब विधानसभा चुनावों में शिकस्त खाने वाले 2 पूर्व आई.ए.एस. अधिकारियों को फिर से कांग्रेस और अकाली-भाजपा पार्टी द्वारा लोकसभा क्षेत्र फतेहगढ़ साहिब से उम्मीदवार घोषित किया गया है। इससे मुकाबला काफी दिलचस्प बन चुका है। लोकसभा हलका फतेहगढ़ साहिब रिजर्व से कांग्रेस पार्टी की तरफ से पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी डा. अमर सिंह को, अकाली-भाजपा द्वारा दरबारा सिंह गुरु, आप की तरफ से बनदीप सिंह दूलो, लोक इंसाफ पार्टी की तरफ से इंजीनियर मनविंदर सिंह ग्यासपुरा को उम्मीदवार बनाया गया जबकि अन्य पार्टियों और आजाद सहित 20 उम्मीदवार मैदान में हैं।
पूर्व आई.ए.एस. डा. अमर सिंह रायकोट मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के प्रिंसीपल सचिव और पूर्व आई.ए.एस. दरबारा सिंह गुरु पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के प्रिंसीपल सचिव रह चुके हैं। इन दोनों पूर्व अधिकारियों को गत 2017 के विधान सभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। अकाली दल के दरबारा सिंह गुरु विधान सभा क्षेत्र बस्सी पठाना से और कांग्रेस के डा. अमर सिंह हलका रायकोट से चुनाव हार गए थे। यह दोनों पूर्व अधिकारी अपनी-अपनी पार्टियों में सरगर्म भूमिका निभाते रहे जिस कारण इनको लोकसभा क्षेत्र फतेहगढ़ साहिब से टिकटें देकर नवाजा
गया है।
लोकसभा चुनाव फतेहगढ़ साहिब में पड़ते 9 विधान सभा क्षेत्रों के 14 लाख 74 हजार 947 वोटर बन चुके हैं, जिनमें 7 लाख 85 हजार 807 पुरुष, 6 लाख 89 हजार 104 महिलाएं और 36 अन्य लिंग के वोटर हैं। इन 9 क्षेत्र बस्सी पठाना, फतेहगढ़ साहिब, अमलोह, खन्ना, समराला, साहनेवाल, पायल, रायकोट और अमरगढ़ में वोटरों के लिए 1750 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। लोकसभा क्षेत्र फतेहगढ़ साहिब में चुनाव स्टाफ के 8753 कर्मचारी और 2904 पुलिस अधिकारी/कर्मचारी तैनात होंगे। लोकसभा में पड़ते 9 विधान सभा क्षेत्रों में से 7 क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं, जबकि 2 क्षेत्रों में अकाली दल के विधायक हैं।
डा. अमर सिंह कांग्रेस -पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी
पक्ष में बातेें
- हलते में पड़ते 9 क्षेत्रों में से 7 में कांग्रेसी विधायक।
- निजी जिंदगी पर कोई दोष न लगना।
- ईमानदारी और प्यार के साथ बात करनी।
- लोगों की सांझी समस्याओं को दूर करने का अनुभव।
- आई.ए.एस. बनकर उच्च पद पर काम का अनुभव।
खामियां
- डा. अमर सिंह कांग्रेस के नाराज नेताओं तक नहीं कर सके पहुंच।
- क्षेत्र विधायकों या इंचार्जों के विरोधी कांग्रेसियों के पास न जाना।
- चुनाव भाषण दमदार न होना।
- टिकट न मिलने कारण कांग्रेस से बागी होकर खड़े उम्मीदवार।
दरबारा सिंह गुरु अकाली दल-पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी
पक्ष में बातें
- अकाली दल के नेता गुटबाजी भूलकर गुरु को जिताने के लिए एक हुए।
- लोगों की समस्याओं संबंधी जागरूक होना और दूर करने के वायदे करना।
- कांग्रेस की बढ़ी हुई गुटबाजी का लाभ मिलना।
- सभी को साथ चलाने की कोशिश।
- आई.ए.एस. रहते उच्च पद पर कार्य करने का अनुभव।
खामियां
- बेअदबी और अन्य मामलों में घिरे रहना।
- अकाली दल के ज्यादातर नेताओं की तरफ से बठिंडा और फिरोजपुर में डेरे लगाने।
- निचले स्तर पर पोस्टरों और अन्य चुनाव प्रचार में कमी होना।
बनदीप सिंह दूलो आप
पक्ष में बाते
- कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शमशेर सिंह दूलो का सुपुत्र होना।
- नौजवान होने के कारण भागदौड़ में सभी उम्मीदवारों से आगे रहना।
- नौजवानों को साथ चलाने के सामथ्र्य होना।
खामियां
- आप के निचले स्तर के ज्यादातर नेताओं का दूसरी पार्टियों में शामिल होना।
- निचले स्तर के आप नेताओं के साथ आपसी तालमेल की कमी।
- नेताओं और वर्करों द्वारा चल रहे चुनाव प्रचार की कमी।
मनविन्दर सिंह ग्यासपुरा लोक इंसाफ पार्टी
पक्ष में बातें
- इंजीनियरिंग की होने के कारण लोगों को अपनी बात समझाने में सफल होना।
- होद चिल्लड़ कांड को उजागर करते हुए पीड़ितों को मुआवजा दिलाने में रोल अदा करने कारण सिखों में हरमन प्यारा।
- कांग्रेस और अकाली बागी नेताओं की तरफ से ग्यासपुरा का साथ देना।
- पी.डी.ए. का सांझा उम्मीदवार होने के कारण लाभ मिलना।
खामियां
- सरगर्म नेताओं और वर्करों की कमी।
- चुनाव प्रचार में कमी।
- चुनाव सामग्री का कम दिखना।