Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jul, 2017 08:43 AM
कैप्टन अमरेंद्र सरकार का चौथा महीना किसानों, किसानी संस्थाओं, पंथक मर्यादाओं तथा संसदीय परंपराओं पर कहर बन बरपा है।
चंडीगढ़ (पराशर): कैप्टन अमरेंद्र सरकार का चौथा महीना किसानों, किसानी संस्थाओं, पंथक मर्यादाओं तथा संसदीय परंपराओं पर कहर बन बरपा है। जहां एक तरफ पंजाब विधानसभा के बजट सैशन में अपने वायदे अनुसार पूर्ण कर्जा माफ न कर, पंजाब के किसानों के साथ कैप्टन ने विश्वासघात किया, तो दूसरी तरफ ऋण वापस न मिलने से किसानों को कर्ज देने वाली सहकारी संस्थाएं, छोटे बैंक बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं।
भारतीय जनता पार्टी पंजाब के प्रदेशाध्यक्ष हरजीत सिंह ग्रेवाल व प्रदेश सचिव विनीत जोशी ने आज पत्रकारों को बताया कि पहले कैप्टन ने विधानसभा में अधूरी कर्जा माफी की घोषणा की, फिर वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने वाॢषक बजट में नाममात्र 1500 करोड़ रुपए रखे और अब तक बैंकों को सरकार ने लिखित रूप में कुछ नहीं भेजा और न ही इस संबंधित कोई आदेश दिया है। रेत और खेत में उलझी कैप्टन सरकार के 120 दिन के राज में 129 किसान आत्महत्याएं कर चुके हैं।
वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण कैप्टन पूर्ण कर्ज माफी नहीं कर पा रहे हैं, पर यह समझ नहीं आ रहा कि जिन चुनावी वायदों में ज्यादा वित्तीय भार नहीं पड़ता, वे क्यों नहीं पूरे किए जा रहे? जैसे कि प्राकृतिक आपदा का मुआवजा 20 हजार रुपए प्रति एकड़, आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को 10 लाख मुआवजा तथा उस घर में एक नौकरी देने, सबसिडी किसानों के खातों में डालना, प्राइसिस स्टैबेलाइज फंड बनाना तथा हर किसान को 5 लाख तक लाइफ व हैल्थ इंश्योरैंस देने के अपने वायदे को भी पूरा नहीं किया गया। शायद सरकार की नीयत खराब है, इसलिए किसानों से किए वायदे पूरे नहीं हो रहे।