पंजाब में नोटा का बटन दबाने में फरीदकोट ने रचा इतिहास

Edited By Vaneet,Updated: 25 May, 2019 06:23 PM

faridkot created history in press note of punjab

लोकसभा चुनाव में फरीदकोट हलके ने इतिहास रचते हुए नोटा का बटन दबाने में पंजाब में पहला स्थान हासिल किया। इस बार पिछले साल से नोटा बटन...

निहाल सिंह वाला/बिलासपुर(बावा, जगसीर): लोकसभा चुनाव में फरीदकोट हलके ने इतिहास रचते हुए नोटा का बटन दबाने में पंजाब में पहला स्थान हासिल किया। इस बार पिछले साल से नोटा बटन का प्रयोग कई गुणा अधिक हुआ। चुनाव कमीशन के आंकड़ों के अनुसार गत संसदीय चुनाव के मुकाबले इस बार अढ़ाई गुणा अधिक नोटा का प्रयोग किया गया। गत लोकसभा चुनाव दौरान पंजाब के 58754 वोटरों के मुकाबले इस बार 154423 वोटरों ने नोटा द्वारा उम्मीदवारों प्रति नापसंदगी जाहिर की। कई समाजसेवी तथा जागरूक लोगों ने लोगों को नोटा के प्रयोग के लिए आखिरी बटन दबाने बारे जागरूक किया था, लेकिन उम्मीदवारों की गिनती बढऩे के कारण रखी 2 मशीनों ने लोगों को असमंजस में डाल दिया।

पिछले साल के मुकाबले नोटा की गिनती में भारी बढ़ोतरी
लोकसभा हलका फरीदकोट में पिछली लोकसभा चुनाव में 3816 वोटरों ने नोटा दबाया था। इस बार 19053 वोटरों ने नोटा दबाकर इतिहास रचा तथा पंजाब में पहला स्थान प्राप्त किया। इस बार निहाल सिंह वाला हलके में 1682 वोटरों ने नोटा दबाया है। संसदीय हलके में कुल 20 उम्मीदवार थे तथा 21वां बटन नोटा का था। हलका निहाल सिंह वाला के लोपों गांव में सबसे अधिक 28 वोटरों तथा दौधर गर्बी व दौधर शर्की में सबसे कम 1-1 वोटर ने नोटा बटन दबाया। लोकसभा हलके में नोटा की गिनती में बड़ा इजाफा होना भारत की रिवायती तथा पीढ़ी दर पीढ़ी व दूषित हो रही राजनीति पर अंगुली उठाती है।

कई लोग आज भी नोटा से हैं अनजान
आम लोगों में धारणा है कि यदि 25 फिसदी से अधिक नोटा बटन दबाया जाए, तो वोटें दोबारा पड़ सकती हैं, लेकिन इस संबंधी मुफ्त कानूनी सेवाएं अथारिटी के एडवोकेट राजेश शर्मा ने कहा कि ऐसा कोई कानून अभी होंद में नहीं आया तथा नोटा की गिनती बढऩे से आने वाले समय में ऐसा कानून बनने की संभावना है। इस बार नोटा का बटन कईयों के लिए फायदेमंद साबित भी हुआ। सरकारी हिदायतों अनुसार नोटा बटन आखिरी नंबर पर था। लेकिन उम्मीदवारों की गिनती बढ़कर 20 होने के कारण 2 वोटिंग मशीनें लगने के कारण एक मशीन पर 16 उम्मीदवार होने के चलते 16वें नंबर के उम्मीदवार को भी फायदा जरूर पहुंचा होगा। कुछ लोगों का कहना है कि अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे वोटर 2 मशीनों के कारण नोटा दबाते समय घबरा जाते हैं, जिस कारण नोटा बटन पहले नंबर पर होना चाहिए।

2013 में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ प्रयोग
माननीय सुप्रीम कोर्ट के 2013 में चुनाव कमीशन को इलैक्ट्रानिक मशीनों पर नोटा का बटन लगाने के आदेश दिए थे। नोटा का उद्देश्य जो लोग वोट राजनीति में विश्वास रखते हैं, लेकिन उनको कोई उम्मीदवार पसंद नहीं, वह अपनी नापसंदगी नोटा का बटन दबाकर जाहिर कर सकता है। कई जनतक जत्थेबंदियों द्वारा लोगों को नोटा का बटन दबाने का आह्वान किया गया था, लेकिन अभी भी लोगों में इस प्रति जागरूकता की बड़ी कमी है।

ब्रांड एम्बैसडर नहीं पहुंचे गांवों में
पता लगा है कि जिले में इस संबंधी प्रचार करने के लिए अदाकार सोनू सूद, महिला क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर तथा खिलाड़ी भगवान सिंह को ब्रांड एम्बैसडर चुना गया था, लेकिन यह शख्स किसी गांव या इलाके में नहीं पहुंचे।

क्या है फरीदकोट सीट का इतिहास
अब तक हुए संसदीय चुनाव में लोकसभा हलका फरीदकोट से 6 बार अकाली, 1 बार अकाली दल (अमृतसर), 4 बार कांग्रेस तथा 1 बार आम आदमी पार्टी के हाथ ताकत आई। यह भी खास है कि सिमरनजीत सिंह मान के समय गांवों में टैंकियां आदि आई या गत समय के प्रो. साधु सिंह ने ग्रांट का 25 करोड़ बांटकर अपना कद ऊंचा किया। आजकल बसों, अड्डों, विवाह, शादियों में चुनाव नतीजे चर्चा का विषय बने हुए हैं, वहीं लोग डा. धर्मवीर गांधी, बिहार का कन्हैया तथा सिमरनजीत बैंस का चुनाव जीतने से रह जाने पर चिंता तथा निराशा का इजहार करते हुए कहते हैं कि ऐसे शख्सों का जीतना जरूरी था। देश भर में अच्छे किरदार वाले लोक पक्षीय सोच वाले धर्म निष्पक्ष व नौजवान उम्मीदवारों को आगे लाना समय की जरूरत है। गांवों के लोग यह भी कहते हैं कि यदि कन्हैया पंजाब से खड़ होता, तो जरूर जीत जाता।
 

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