Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jul, 2017 06:00 PM
False cases, Lodged , former Akali government,canceled
जालंधर(धवन): पंजाब में पिछले 10 वर्षों के दौरान अकाली सरकार के समय कांग्रेसियों पर दर्ज किए गए झूठे पुलिस केसों को लेकर जांच करने के लिए अमरेंद्र सरकार द्वारा बनाए गए 2 सदस्यीय जांच कमीशन ने कांग्रेसियों को अपनी अपील दायर करने के लिए एक महीने का समय और दे दिया है। अब कांग्रेसी व अन्य लोग झूठे पुलिस केसों बारे अपने आवेदन 31 जुलाई तक दायर कर सकेंगे। इससे पहले उन्हें 30 जून तक अपने आवेदन देने के लिए कहा गया था।
जांच कमीशन में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने सेवानिवृत्त जस्टिस मेहताब सिंह गिल को चेयरमैन तथा सेवानिवृत्त जस्टिस बी.एस. मेहंदीरत्ता को बतौर सदस्य शामिल किया हुआ है। कांग्रेस जब विपक्ष में थी तो स्वयं कैप्टन अमरेंद्र सिंह कई पुलिस थानों में गए थे तथा उन्होंने झूठे केसों बारे अपना विरोध जताया था। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने उस समय ऐलान किया था कि इन केसों को कांग्रेस सरकार बनने के बाद रद्द कर दिया जाएगा जिस पर अमल करते हुए जांच कमीशन बैठा दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि जांच कमीशन के पास हजारों शिकायतें पहुंच चुकी हैं। एक अनुमान के अनुसार इन शिकायतों की गिनती 3000 से ज्यादा है। अगले एक महीने के दौरान इतनी ही और शिकायतें कमीशन के पास पहुंच सकती है। कई कांग्रेसियों व अन्य लोगों को अभी एफ.आई.आर. की कापी पुलिस थानों से नहीं मिली है। इसीलिए सरकार ने आवेदन करने के लिए कांग्रेसियों व अन्य लोगों को एक माह की और मोहलत दे दी।
शिकायतें मिलने की मियाद खत्म होने के बाद जांच आयोग द्वारा अपनी जांच शुरू की जाएगी। जांच कमीशन 6 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। उसके बाद मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह यह तय करेंगे कि इन झूठे केसों को किस तरह से रद्द करना है इसके लिए सरकार को क्या तरीका अपनाया जाना चाहिए। अभी तक जांच कमीशन को पहुंची शिकायतों में कांग्रेसियों ने अनेकों दस्तावेज साथ नत्थी किए हैं जिसमें बताया गया है कि किस तरह से पूर्व अकाली सरकार के समय उन पर मुकद्दमें दर्ज होते रहे। कुछ आवेदनों में तो यह भी बताया गया है कि पुलिस ने पूरे परिवार के सदस्यों के खिलाफ ही केस दर्ज कर दिए। कुछ अकाली पंचायतों ने भी कांग्रेसी कार्यकत्र्ताओं पर भी केस दर्ज करवाए। जांच कमीशन द्वारा सभी आवेदनों को स्वीकार किया गया है परंतु कमीशन का मानना है कि आवेदनकत्र्ता को अपनी शिकायत के साथ एफ.आई.आर. की कापी अवश्य लगानी चाहिए।