पंजाब में नकली शराब का कारोबार: गरीबों ने ही बनाई थी जहरीली शराब और गरीब ही गटक कर खो बैठे प्राण

Edited By Vatika,Updated: 03 Aug, 2020 09:33 AM

fake liquor business in punjab

पंजाब में कोरोना वायरस जहां रोजाना किसी न किसी को मौत की नींद सुला रहा है वहीं अचानक सूबे के ग्रामीण इलाकों में नकली शराब

जालंधर(सूरज ठाकुर): पंजाब में कोरोना वायरस जहां रोजाना किसी न किसी को मौत की नींद सुला रहा है वहीं अचानक सूबे के ग्रामीण इलाकों में नकली शराब से हुई 101 मौतों ने सबका दिल दहला दिया। हैरत की बात तो यह है कि इस जहरीली शराब को बनाने वाले भी गरीब लोग हैं और जिन्होंने इसे पीकर दम तोड़ा वे भी गरीब परिवारों से ही थे। नकली शराब बनाने का यह मामला पूरी तरह से सूबे की गरीब जनता से जुड़ा है। शराब बनाने वाले लोगों को किसी तरह की राजनीतिक शह भी नहीं है। पकड़े जाने के बाद ये लोग आबकारी कराधान के लचीले कानून की वजह से छूट जाते हैं। इसके लिए उन्हें वकील को ज्यादा पैसे भी नहीं देने पड़ते। सरकारों ने नकली शराब बनाने वालों और बेचने वालों के लिए विकल्प के तौर पर कोई रोजगार नीति ही तैयार नहीं की जिसके चलते यह सिलसिला जारी है। 

राज्य में कई तरह का है शराब कारोबार 
आम तौर पर देश के हर राज्य में शराब का कारोबार कई तरह का है। इसमें अवैध तरीके से शराब की फैक्टरियां चलाना और एक से दूसरे राज्यों में बड़े स्तर पर शराब की तस्करी करना भी शामिल है। इस तरह के मामलों में रंजिश के तौर पर शराब के कारोबारी और तस्कर एक- दूसरे की जान के प्यासे भी रहते हैं। कई बार झड़पों में जान भी चली जाती है। राज्य में इस तरह के मामलों में राजनेताओं पर मिलीभगत होने के भी आरोप लगते रहते हैं।

अवैध शराब और गुंडा टैक्स
कैप्टन सरकार की बात करें तो सत्ता में आने के बाद जनवरी 2019 में उनके अपने ही विधायक एक शराब कारोबारी ने अवैध शराब बेचने और गुंडा टैक्स वसूलने का आरोप लगाया था। कांग्रेस को अपनी सरकार की साख बचाने के लिए उन्हें पार्टी से निलंबित भी करना पड़ा था। इससे पहले इसी विधायक ने पंजाब पुलिस के एक टॉप अधिकारी पर अवैध शराब के व्यापार को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा था कि राज्य पुलिस तस्करों के हाथों में खेल रही है। शराब कारोबारी का आरोप था कि कांग्रेस विधायक ने उनसे गुंडा टैक्स के रूप में हर महीना में एक तय रकम मांग रहे थे और पिछले साल यानी 2018 में 15 लाख रुपए भी दिए थे। सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस कारोबार की जड़ें कितनी गहरी होंगी। 

गांवों में बनती नकली शराब
पंजाब के तरतारन जिला ही नहीं अधिकांश इलाकों में देसी शराब का प्रचलन आजादी से भी पहले का है। एक जमाने में लोग अपने पीने के लिए घरों में देसी शराब बनाते थे जिसे लाहन कहा जाता था। वक्त और हालात बदलने के बाद कुछ गरीब समुदाय के लोगों ने इसे रोजगार के तौर पर अपना लिया। हालात ये हैं कि नकली शराब का एक गिलास ये लोग 10 या 20 रुपए में बेचते हैं। इसे पीने वाले अधकांश लोग भी गरीब मजदूर ही होते हैं। नकली शराब बनाने के लिए वे प्योर अल्कोहल का इस्तेमाल करते हैं जोकि कई बार घातक सिद्ध होती है। एक लीटर अल्कोहल से ये लोग 500 से 1000 तक बोतलें बना लेते हैं। घरों में नकली शराब बनाने वालों के खिलाफ  पुलिस मामले तो दर्ज करती है लेकिन जमानती अपराध हाने के कारण वे छूट जाते हैं और फिर से इसी कारोबार को शुरू कर देते हैं। रोजगार के अभाव में इस कारोबार से एक परिवार 2 से 2.50 लाख रुपए तक कमा लेता है।

कैप्टन के फरमान पर नहीं हुआ अमल 
गांव में अधिकृत शराब के दुकानदार भी इन लोगों का विरोध करते हैं, क्योंकि इससे उनकी सेल पर असर पड़ता है। शिकायत करने पर वही सिलसिला रहता है कि पुलिस कार्रवाई के बाद ये लोग छूट जाते हैं। 16 मई को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पुलिस विभाग को शराब की हर तरह की तस्करी, नाजायज शराब बनाने और बेचने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री ने ऐसे सब-डिवीजन के डी.एस.पी. और एस.एच.ओज के विरुद्ध 23 मई तक कार्रवाई करने के निर्देश दिए जिनके इलाकों में ऐसी गतिविधियां सामने आती हैं। सरकारी फरमान कागजों में दफन हो गए। मुख्यमंत्री ने यह आदेश राजस्व को हो रहे नुक्सान को लेकर दिए थे। उन्हें अंदेशा ही नहीं था कि घटना में 101 लोगों की जानें चली जाएंगी।

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