Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Sep, 2017 02:01 AM
उत्तर-प्रदेश के लखनऊ में स्थित एक निजी मैडीकल कॉलेज जी.सी.आर.जी. इंस्टीच्यूट ऑफ मैडीकल साइंस को राम रहीम के डेरे .....
जालंधर(अमित): उत्तर-प्रदेश के लखनऊ में स्थित एक निजी मैडीकल कॉलेज जी.सी.आर.जी. इंस्टीच्यूट ऑफ मैडीकल साइंस को राम रहीम के डेरे द्वारा दान में दी गई 14 डैड-बॉडीज को लेकर जिस प्रकार कोताहियां पाई गई थीं ठीक वैसे ही पिम्स में डेरा अनुयायी परिवारों से दान स्वरूप आई हर डैड-बॉडी भी संदेह के घेरे में आ गई है क्योंकि मैडीकल कॉलेज द्वारा इस मामले में भी भारी कोताहियां किए जाने की बात सामने आ रही है।
सूत्रों के अनुसार पिम्स में आई डैड-बॉडीज को रिसीव करते समय बरती गई लापरवाही का मामला सामने आते ही पूरे पिम्स में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में प्रबंधन ने डैड-बॉडीज डोनेशन संबंधी पूरा रिकार्ड अपने कब्जे में ले लिया। डेरा सच्चा सौदा के बाबा राम रहीम के साथ कनैक्शन सामने आने और मृत-देहों को दान में लेते समय किसी प्रकार की कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने पर इस पूरे मामले की सी.बी.आई. जांच की भी मांग उठने लगी है। आने वाला समय ही बताएगा कि इस पूरे मामले में कितनी परतें अभी खुलनी बाकी हैं। पूरे मामले में सरकार की ढील भी उसके लिए कई तरह की मुसीबतें खड़ी कर सकती है।
क्या-क्या हैं खामियां, कहां बरती गई लापरवाही?
पिम्स प्रबंधन द्वारा अपनी गाड़ी भेज कर डैड-बॉडीज मंगवाने के मामले में भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं क्योंकि इस संबंध में कानूनी प्रक्रिया का सही ढंग से पालन किया गया है या नहीं, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। पिम्स में लाई गई डैड-बॉडीज के साथ अनिवार्य दस्तावेजों की कमी को लेकर भी चर्चा है। डैड-बॉडीज डोनेशन मामले में संंबंधित विभागों से परमिशन और जरूरी दस्तावेजों को पूरा करने संबंधी भी पिम्स प्रबंधन पर कई सवालिया निशान लगते हैं, क्योंकि डैड-बॉडीज प्राप्त करते समय और उसका रिकार्ड मैंटेन करने में जो लापरवाहियां बरती गई हैं, उसकी तरफ पिम्स के किसी भी अधिकारी ने आज तक कोई ध्यान ही नहीं दिया है जिसकी वजह से इतने बड़े स्तर पर गड़बड़ी होने की बात सामने आ रही है।
इस मामले में एक और बात हैरान करने वाली है कि लगभग सारी डैड-बॉडीज की डोनेशन के समय लिया गया लैटर अंग्रेजी में लिखा गया है, जबकि उसके ऊपर हस्ताक्षर पंजाबी में हैं। इतना ही नहीं मृतक के साथ उनका संबंध स्थापित करने के लिए किसी किस्म की पहचान को स्थापित करने वाले प्रूफ भी नहीं लिए गए हैं जिससे संदेह उत्पन्न होना स्वाभाविक है। इतना ही नहीं डैड-बॉडीज डोनेशन लैटर में मृतक के परिजनों का कोई फोन नंबर तक नहीं दिया गया है, जिससे इस पूरे मामले में किसी बड़े घोटाले की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
मामले को दबाने के लिए लग रहा एड़ी-चोटी का जोर
इतने बड़े स्तर पर हुई कोताही की बात सामने आते ही पूरे पिम्स प्रबंधन की तरफ से मामले को दबाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगने लगा है और अपने बचाव के लिए तरह-तरह के जुगाड़ लगाए जाने की भी चर्चा है। सूत्रों की मानें तो पिम्स प्रबंधन द्वारा अपनी गलती को छिपाने के लिए डोनेशन में आई डैड-बॉडीज के अधूरे दस्तावेजों को गलत ढंग से बनाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं अस्पताल प्रशासन द्वारा शनिवार को पूरे अस्पताल परिसर में अतिरिक्त सख्ती बरतनी आरंभ कर दी गई है, ताकि किसी किस्म की लापरवाही की बात जनता के सामने न जा सके।