मोदी जी! स्टील कार्टल पर नकेल कसो अन्यथा बर्बाद हो जाएगी देश की इंजीनियरिंग इंडस्ट्री

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 03:17 PM

engineering industry

स्टील की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से परेशान स्टील उपभोक्ता इंजीनियरिंग इंडस्ट्री में हाहाकार मचने लगी है। जी.एस.टी. लागू होने के बाद से अब तक स्टील के रेटों में करीब 7000 रुपए प्रति मीट्रिक टन की वृद्धि से विभिन्न उद्योग संगठनों ने सांझा प्लेटफार्म...

लुधियाना (बहल): स्टील की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से परेशान स्टील उपभोक्ता इंजीनियरिंग इंडस्ट्री में हाहाकार मचने लगी है। जी.एस.टी. लागू होने के बाद से अब तक स्टील के रेटों में करीब 7000 रुपए प्रति मीट्रिक टन की वृद्धि से विभिन्न उद्योग संगठनों ने सांझा प्लेटफार्म पर लामबंद होते हुए देश के बड़े स्टील प्लांटों द्वारा कार्टन बनाकर मनमर्जी के रेटों में वृद्धि के विरोध में सड़कों पर संघर्ष के लिए उतरने की घोषणा की गई। आज फास्टनर निर्माता संघ की एक आपात मीटिंग में प्रधान नरेंद्र भमरा और महासचिव कुलदीप सिंह ने कहा कि संघ द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व वित्तमंत्री अरुण जेतली को पत्र लिखकर स्टील निर्माता कम्पनियों ने मोनोपली कर स्टील के रेटों में वृद्धि पर नकेल कसने की मांग की।

मोदी सरकार ने अगर फास्टनर निर्माता संघ द्वारा स्टील के रेटों में वृद्धि रोकने बारे भेजे 5 सूत्रीय सुझाव एजैंडे पर कोई सुनवाई नहीं की तो 11 जनवरी को महानगर के प्रमुख उद्योग संगठन विश्वकर्मा चौक पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू करेंगे। प्रधान नरेंद्र भमरा, चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीयल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग्स के अध्यक्ष उपकार सिंह आहूजा, यू.सी.पी.एम.ए. के पूर्व अध्यक्ष चरणजीत विश्वकर्मा ने कहा कि स्टील के रेटों में तेजी से फास्टनर, आटो पार्ट्स, बाईसाइकिल एवं पार्ट्स इंडस्ट्री बंद होने की कगार पर पहुंच गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार की शह पर देश की चंद बड़ी स्टील कम्पनियां मुनाफाखोरी कर रही हैं, जिससे एम.एस.एम.ई. इंडस्ट्री बड़े स्टील घरानों के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है।

इंडस्ट्री द्वारा सरकार को भेजे गए सुझाव व मांगें
फास्टनर निर्माता संघ ने सरकार को भेजे सुझावों में स्टील की कीमतों को नियंत्रण में करने के लिए स्टील कम्पनियों द्वारा प्राइस स्टील के निर्यात पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने की मांग रखी है, क्योंकि गत वर्ष चीन से होने वाले सस्ते स्टील के आयात से घरेलू इंडस्ट्री को बचाने के लिए एम.आई.पी. लगाई गई थी। अब चीन में मार्च 2018 तक कई स्टील प्लांट बंद होने से भारतीय इंडस्ट्री को अंतर्राष्ट्रीय मार्कीट में निर्यात बढ़ाने का सुनहरा मौका मिलना चाहिए। भारत में स्टील बनाने के लिए आयरन व खनिज पदार्थ के रूप में भरपूर स्त्रोत है, जबकि इस कच्चे माल की बढिय़ा क्वालिटी चीन को निर्यात की जा रही है। इसी आयरन से सस्ता स्टील बनाकर चीन भारत में फिनिस्ड स्टील डम्प करता है। आयरन के निर्यात पर बैन लगाकर इसे घरेलू इंडस्ट्री को सस्ते रेटों पर उपलब्ध करवाया जाए।स्टील की कीमतों पर काबू पाने के लिए रैगुलेटरी कमीशन का गठन किया जाए और स्टील स्क्रैप के विदेशों से आयात पर कस्टम ड्यूटी 5 प्रतिशत रिवर्ट की जाए ताकि देश की जी.डी.पी. में भी वृद्धि हो। मीटिंग में कर्ण लांबा, जतिंद्र सिंह, बंटी ओबराय, हीरा सिंह, जुगल किशोर, जसविंद्र सिंह, नरेंद्र खुराना, अतुल सेबी व अनिल मित्तल आदि उपस्थित थे।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!