Edited By Mohit,Updated: 30 Jan, 2019 03:43 PM
इंसान के दुनिया से चले जाने के बाद उसकी अस्थियां धार्मिक रीति रिवाजों से जल प्रवाह की जाती हैं लेकिन गांव बुर्ज ढिलवां के एक परिवार ने अपने बुजुर्ग जोरा सिंह (111) की अस्थियां खेत में दबाकर उसपर पौधे लगाए।
बठिंडा (मित्तल): इंसान के दुनिया से चले जाने के बाद उसकी अस्थियां धार्मिक रीति रिवाजों से जल प्रवाह की जाती हैं लेकिन गांव बुर्ज ढिलवां के एक परिवार ने अपने बुजुर्ग जोरा सिंह (111) की अस्थियां खेत में दबाकर उसपर पौधे लगाए। द थिंकर्ज ग्रुप बुर्ज ढिलवां के मीडिया सलाहकार हरजिंदर सिंह ढिल्लों ने बताया कि ग्रुप की तरफ से लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि अस्थियां जल प्रवाह करने से हमारा पानी खराब हो रहा है और वातावरण भी दूषित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि दूषित हो रहे वातावरण को बचाने के लिए हर संस्था का आगे आना जरुरी है। इस जागरूकता से प्रेरित होकर गांव के सबसे अधिक उम्र के 111 वर्षीय बुजुर्ग जोरा सिंह की मौत होने के बाद परिवार ने उसकी अस्थियां खेत में दबाकर वातावरण प्रेमी होने का सबूत दिया है। पौधे लगाने की रसम उनके पोते बूटा सिंह ने निभाई थी। इस समय बड़ी मात्रा में ग्रुप मैंबर और गांव वासी मौजूद हैं।