Edited By Vatika,Updated: 13 Mar, 2020 09:41 AM
कोरोना वायरस का डर लोगों में ही नहीं बल्कि उससे भी कई गुना ज्यादा इलाज करने वाले डाक्टरों में पाया जा रहा है।
फिल्लौर(भाखड़ी): कोरोना वायरस का डर लोगों में ही नहीं बल्कि उससे भी कई गुना ज्यादा इलाज करने वाले डाक्टरों में पाया जा रहा है। 4 सप्ताह पहले अपने परिवार के साथ इटली से आई बुजुर्ग महिला को किसी भी प्राइवेट अस्पताल वालों ने डर के मारे इसलिए दाखिल नहीं किया कि महिला विदेश से आई है, कहीं कोरोना वायरस से पीड़ित न हो।
परिवार के सदस्य मरीज को सिविल अस्पताल जालंधर ले गए, वहां भी डाक्टरों की तरफ से सही इलाज न होने से मरीज ने आज दम तोड़ दिया। परिवार के सदस्यों में डाक्टरों की लापरवाही के विरुद्ध भारी रोष है। मृतक महिला के पौत्र कोमल सिंह (32) ने बताया कि वह पत्नी पूजा (26) और उनका 6 माह का ब‘चा वृद्ध दादी निरंजन कौर (75) के साथ 4 सप्ताह पहले इटली से फिल्लौर में पड़ते अपने गांव गढ़ा में आए थे। जहां पिछले 4 सप्ताह से परिवार के पूरे सदस्य बिल्कुल स्वस्थ रहे। 2 दिन पहले वह दादी निरंजन कौर के साथ नूरमहल में पड़ते गांव में रिश्तेदार के यहां शादी में भाग लेने चले गए उसकी दादी शूगर की मरीज थी।
वहां मीठा खाने से उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। वह तुरंत दादी को नूरमहल के एक प्राइवेट अस्पताल में ले गए, जैसे ही उन्होंने अस्पताल के स्टाफ को बताया कि उनकी दादी निरंजन कौर इटली से आई है तो वहां का स्टाफ मरीज को देखते एक दम से अलर्ट हो गया और कुछ ही देर बाद बोला कि आपके मरीज की हालत खराब है आप इन्हें तुरंत किसी और अस्पताल ले जाओ। वह मरीज को एंबुलैंस में जालंधर के एक बड़े अस्पताल ले गए वहां के डाक्टरों ने भी इटली का नाम सुनते इलाज करने से मना कर दिया तो वह अपनी दादी को सिविल अस्पताल ले गए। इटली का नाम सुनते ही उनमें भी कोरोना वायरस का डर व्याप्त हो गया और सही इलाज के अभाव में मरीज ने आखिरकार दम तोड़ दिया।
सरकार के दावे हुए हवा-हवाई
परिवार वालों ने अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि एक तरफ तो यहां की सरकारें बड़े-बड़े दावे कर रही हैं कि उन्होंने कोरोना वायरस जैसी बीमारी से निपटने के लिए सभी अस्पताल के डाक्टरों को अलर्ट कर दिया है और पूरे प्रबंध मुकम्मल कर लिए गए हैं परंतु यहां तो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि लोगों से ज्यादा तो डाक्टरों में इस बीमारी का डर है। सरकारों द्वारा किए जा रहे सारे दावे हवा-हवाई होते दिखाई दिए। अगर प्रदेश के अस्पतालों में ऐसे ही हालात रहे तो विदेश से आए एन.आर.आई. अपना इलाज कैसे करवा सकेंगे।