Edited By Naresh Kumar,Updated: 31 Aug, 2018 11:19 AM
पंजाब में अवैध ट्रैवल एजैंट्स के खिलाफ पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई के चलते राज्य के कई ऐसे एजैंट्स भी परेशान हैं जिन्होंने अपने काम के लिए सरकार के पास बाकायदा रजिस्ट्रेशन करवाई हुई है। दरअसल इस इंडस्ट्री को रैगुलेट करने के लिए राज्य में कोई...
जालंधर(नरेश कुमार): पंजाब में अवैध ट्रैवल एजैंट्स के खिलाफ पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई के चलते राज्य के कई ऐसे एजैंट्स भी परेशान हैं जिन्होंने अपने काम के लिए सरकार के पास बाकायदा रजिस्ट्रेशन करवाई हुई है। दरअसल इस इंडस्ट्री को रैगुलेट करने के लिए राज्य में कोई रैगुलेटर (निगरानी संस्था) नहीं है, लिहाजा पुलिस इंडस्ट्री पर मनचाहे तरीके से कार्रवाई करती है जिससे इंडस्ट्री को काम करने में परेशानी हो रही है। पंजाब के रजिस्टर्ड ट्रैवल एजैंट्स और एजुकेशन कंसल्टैंट्स ने बाकायदा इस बारे में मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर इंडस्ट्री की निगरानी के लिए रैगुलेटर बनाने की मांग की है। इस पूरे मामले में इंडस्ट्री का एक डैलीगेशन तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मुलाकात भी कर चुका है।
अढ़ाई लाख लोगों को रोजगार दे रही है इंडस्ट्री
पंजाब के ट्रैवल एजैंट्स को लेकर सामान्य धारणा भले ही नकारात्मक बनाई जा रही हो लेकिन एक तथ्य यह भी है कि इस इंडस्ट्री के जरिए पंजाब के करीब अढ़ाई लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है। पंजाब में सरकार के पास 1818 एजैंट्स ने पंजीकरण करवाया है जबकि केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय के पास भी करीब 1167 ट्रैवल एजैंट्स पंजीकृत हैं। हर एजैंट के पास औसतन 20 लोगों का स्टाफ है लेकिन स्टडी वीजा का काम करने वाले पंजाब के बड़े एजैंट्स के पास 50 से 100 लोगों तक का स्टाफ है। इस प्रत्यक्ष स्टाफ के अलावा बड़ी संख्या में अप्रत्यक्ष रूप से भी इस इंडस्ट्री के जरिए लोगों को रोजगार मिलता है। इनमें बैंक खाता मैंटेन करने वाले, मैडीकल करवाने वाले, आईलैट्स के टीचर और आईलैट्स के एग्जामिनर शामिल हैं।
पिछले साल कैनेडा गए 1.24 लाख स्टूडैंट्स
स्टडी वीजा पिछले कुछ साल से वैध तरीके से विदेश जाने के सबसे बड़े माध्यम के रूप में सामने आया है। पिछले 20 साल में पंजाब के लाखों स्टूडैंट्स स्टडी वीजा के जरिए ही वैध तरीके से विदेश गए हैं और विदेशों में अ‘छा नाम भी कमा रहे हैं। इन सारे स्टूडैंट्स के स्टडी वीजा पर विदेश जाने वाले सफलता के झंडे गाडऩे का क्रैडिट इंडस्ट्री को अक्सर नहीं मिल पाता। अकेले कैनेडा ने पिछले साल 1.24 लाख भारतीय स्टूडैंट्स को वीजा दिया और इनमें से अधिकतर स्टूडैंट्स पंजाबी हैं। पंजाब के स्टूडैंट्स कैनेडा में न सिर्फ पढ़-लिख कर मेहनत करके अपने परिवार के लिए वित्तीय सहारा बने हैं बल्कि कैनेडा की पॉलिटिक्स में भी भाग्य आजमा रहे हैं और विधायक तक चुने गए हैं
समस्या सिर्फ कानूनी तरीके से काम कर रहे एजुकेशन कंसल्टैंट तक ही सीमित नहीं है, इसके शिकार तमाम स्टूडैंट्स भी हो रहे हैं जिनमें जागरूकता की कमी है। स्टूडैंट्स के साथ वादाखिलाफी की हालत में उनके पास पुलिस के पास जाने का ही विकल्प है, लिहाजा हम खुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से इस बात की मांग कर रहे हैं कि इंडस्ट्री को रैगुलेट करने के लिए एक संस्था होनी चाहिए। यदि सरकार एक संस्था का गठन कर दे तो इस संस्था की भी जवाबदेही तय हो जाएगी और साफ -सुथरा काम करने वाले हमारे जैसे पंजीकृत एजैंट्स को भी पता होगा कि हम किसके प्रति जवाबदेह हैं। आज स्थिति यह है कि हर सरकारी विभाग ट्रैवल इंडस्ट्री को धमकाने में लगा है और जवाबदेही तय न होने के कारण इंडस्ट्री सहमी हुई है।
—भवनूर सिंह बेदी, एजुकेशन कंसल्टैंट, पिरामिड ई सर्विसेज
सरकार रैगुलेटर का गठन करे तो सारे एजैंट्स सरकार के साथ सहयोग को तैयार हैं। हमने पहले भी सरकार के साथ सहयोग करते हुए खुद आगे बढ़ कर रजिस्ट्रेशन करवाई है और यदि सरकार किसी रैगुलटर का गठन करती है तो हम इसके गठन के ड्राफ्ट से लेकर अपनी तरफ से हर तरह की फीड बैक, जवाबदेही की शर्तें और अन्य प्रकार का सहयोग करेंगे।
—रणबीर संधू लैंग्वेज स्कूल आफ इंगलिश
हमने मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर कनूनी रूप से काम कर रहे कंसल्टैंट्स को कामकाजी माहौल मुहैया करवाने की मांग की है क्योंकि आजकल हर कोई एजैंट्स को लेकर नकारात्मक तरीके से सोचता है जबकि सच्चाई यह है कि एजुकेशन कंसल्टैंट्स के जरिए ही पिछले दस साल में लाखों स्टूडैंट्स विदेश जा कर अ‘छा रोजगार कमा रहे हैं और इससे रोजगार के मोर्चे पर सरकार का बोझ भी कम हुआ है लिहाजा सरकार को कानूनी तौर पर काम कर रहे कंसल्टैंट्स के बारे में सोचना चाहिए। —कमलप्रीत सिंह खैहरा, सी.डब्ल्यू.सी. इमिग्रेशन