Edited By swetha,Updated: 26 Mar, 2019 09:17 AM
नशा प्रदेश की ही नहीं बल्कि देश की सबसे बड़ी समस्या है। पंजाब में नशे की जड़ें इस कदर फैल चुकी हैं कि गत वर्ष प्रदेश सरकार को नशा तस्करों को मौत की सजा की सिफारिश तक करनी पड़ी है।
जालंधरः नशा प्रदेश की ही नहीं बल्कि देश की सबसे बड़ी समस्या है। पंजाब में नशे की जड़ें इस कदर फैल चुकी हैं कि गत वर्ष प्रदेश सरकार को नशा तस्करों को मौत की सजा की सिफारिश तक करनी पड़ी है। अभी इस पर केंद्र सरकार की मुहर बाकी है। 2012 के विधानसभा चुनावों, इसके बाद 2014 में हुए जालंधरः लोकसभा चुनावों और 2017 में हुए दोबारा विधानसभा चुनावों में दूसरे मुद्दों के साथ-साथ नशा भी एक सबसे बड़े मुद्दे के रूप में उभर कर सामने आया था। इसकी जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि इसका असर सरकारें बनाने और गिराने तक पहुंच गया।
पंजाब सहित दूसरे राज्यों में जब भी नशे की बात उठती है तो सरकार में बैठे लोग इसे राज्य को बदनाम करने की साजिश करार देने लग जाते हैं। नशा इन चुनावों में कितना बड़ा मुद्दा है इस बारे जब पंजाब केसरी ने विभिन्न पार्टियों से संबंधित नेताओं से बात की तो कुछ नेताओं ने इसे राज्य सरकार की नाकामी कहा तो कुछ ने इसके लिए केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया। वहीं कुछ नेता नशे को गंभीर मुद्दा तो मानते हैं। मगर इसे चुनावी मुद्दा नहीं मानते हैं। अब लोकसभा चुनावों के दौरान जनता की अदालत में यह कितना बड़ा मुद्दा बनकर उभरेगा और जनता क्या फतवा देगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा, फिलहाल नेताओं ने जो कहा वह इस प्रकार है-
क्या कहना है सांसदों का
*डा. धर्मवीर गांधी सांसद पटियाला: नशे की बिक्री को लेकर कोई हालात नहीं बदले, सिर्फ ड्रामेबाजी हुई है। सही अर्थों में पंजाब में अकाली-भाजपा नेताओं की राजनीतिक अध्यक्षता तले पुलिस के बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से चल रही नशे की दुकानों को अब कांग्रेसी नेताओं ने संभाल लिया है। पंजाब के डी.जी.पी. ने खुद 122 थानों में नशे की बिक्री की बात मीडिया के समक्ष कबूली है। कांग्रेस के विधायक कुलबीर सिंह भी नशे के कारोबार के खिलाफ कांग्रेस के मंच पर ही आवाज उठा चुके हैं। न तो केंद्र सरकार पंजाब में नशों को रोकने में कोई दिलचस्पी दिखा रही है और न ही पंजाब के कांग्रेसी नेता। मीडिया की रिपोर्टें स्पष्ट करती हैं कि सुल्तानपुर में 9 युवाओं की मौत नशे के कारण हुई। पंजाब में 2 बूटे डोडे के लगाने वाले गरीब किसान को तो पुलिस ने अंदर कर दिया लेकिन रोजाना हजारों किलो भुक्की जो बाहर से लाकर पंजाब में बेची जा रही है। उसके बारे में सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। एक भी नशा तस्करी करने वाला बड़ा मगरमच्छ पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया और न ही कोई पुलिस अधिकारी की मिलीभगत को सार्वजनिक किया गया है। जो 22 हजार नशा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार व्यक्तियों की बात की जा रही है वह गांवों के छोटे-मोटे रिवायती नशा करने वाले व्यक्ति हैं। पंजाब सरकार और केंद्र सरकार दोनों नशों की तस्करी को रोकने में विफल रहे।
*हरिन्द्र सिंह खालसा सांसद फतेहगढ़ साहिब-देश में नशा खत्म न होने का कारण कई राजनीतिक नेता और कुछ भ्रष्ट अधिकारी हैं। कई राजनीतिक नेता ही नशों के सौदागरों को गिरफ्तारी से बचाने के लिए पुलिस के कार्यों में दखलंदाजी करते हैं। नशे का खात्मा तभी संभव है जब नशे की सप्लाई बंद हो। यह भी बड़ा सवाल है कि कुछ भ्रष्टाचारियों कारण ही बार्डर से नशा पंजाब और अन्य क्षेत्रों में जाता है।
*संतोख सिंह चौधरी, सांसद जालंधर-पंजाब में नशा अब चुनावी मुद्दा नहीं रह गया है। पंजाब सरकार की कार्रवाई ने नशे पर काफी हद तक कंट्रोल किया है। कई बड़े तस्कर पंजाब छोड़कर भाग चुके हैं। जो नशा बार्डर से पाकिस्तान द्वारा भारत आ रहा है वह पंजाब की जवानी को बर्बाद करने की एक साजिश है। पंजाब सरकार बार्डर पार से आ रहे नशे संबंधी कई बार केन्द्र सरकार को कह चुकी है।
*भगवंत मान, सांसद संगरूर-एक तरफ प्रदेश सरकार पंजाब में 80 प्रतिशत नशे की रोकथाम की बातें करती है जबकि दूसरी तरफ नशा छुड़ाओ केंद्र खोले जा रहे हैं। पंजाब में लड़कियों के लिए नशा छुड़ाओ केंद्र स्थापित करके सरकार ने साबित कर दिया है कि पंजाब का नौजवान वर्ग ही नहीं बल्कि पंजाब की बेटियों को भी नशों की दलदल से निकालने की जरूरत है। यदि नशा बार्डर से आता है तो पंजाब की अपेक्षा राजस्थान का डेढ़ गुणा लम्बा बार्डर एरिया लगता है, पर वहां से चिट्टा या अन्य नशा क्यों नहीं आता? आज तक केंद्र और पंजाब सरकार की तरफ से बार्डर व पंजाब में पकड़े नशों की बड़ी खेपों को जनतक तौर पर नष्ट करने की कोई जानकारी क्यों नहीं दी गई? आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में नशों का विरोध करेगी।
*सुनील जाखड़ सांसद गुरदासपुर-पंजाब सरकार ने नशों के विरुद्ध विशेष अभियान शुरू कर रखा है। यदि आंकड़े देखे जाएं तो पंजाब में जब से कांग्रेस सरकार बनी है नशा तस्करों के विरुद्ध विशेष अभियान चलाने के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। कई बड़े तस्करों सहित कुछ राजनेताओं को भी पकड़ा गया है। इस समय नशीले पदार्थ पाकिस्तान से आ रहे हैं तथा इन सीमा पार से आने वाले नशीले पदार्थों की भारत में सप्लाई को रोकने के लिए केन्द्र सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिएं। सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों पर पंजाब सरकार का नहीं, बल्कि केन्द्र सरकार का नियंत्रण है। पंजाब में बड़े स्तर पर नशीले पदार्थों का पकड़ा जाना पंजाब सरकार की उपलब्धि ही माना जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर केन्द्र सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिएं तथा पंजाब सरकार हर सहयोग करेगी। लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा जरूर हावी रहेगा। बीते समय में हुए विधानसभा चुनाव तथा वर्ष 2017 के लोकसभा चुनाव में नशों का मुद्दा काफी हावी था। कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव नशों के मुद्दे पर लड़ा था और आगामी लोकसभा चुनाव भी नशों के मुद्दे पर लड़ा जाएगा।
*रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा सांसद खडूर साहिब- मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह पंजाब में नशा रोकने में असफल साबित रहे हैं और कांग्रेस निकम्मी सरकार साबित हुई है। कांग्रेस सरकार चाहे तो पंजाब में नशा 10 दिनों के भीतर बंद हो सकता था। नशा इसलिए बंद नहीं हो रहा क्योंकि इसमें सियासी दखलंदाजी व हिस्सेदारी अभी तक जारी है। घरों के चिराग बुझ रहे हैं व नशा गली-मोहल्ले में बिक रहा है। ब्रह्मपुरा ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बॉर्डर पार से नशे के अलावा हथियार व गलत तत्व दाखिल हो रहे हैं जिसको रोकने के लिए केंद्र द्वारा कुछ खास कदम नहीं उठाए गए जिससे देश बर्बाद हो रहा है व देश के जवान शहीद हो रहे हैं।
*गुरजीत सिंह औजला सांसद अमृतसर-पंजाब सरकार को नशों के खिलाफ चलाई गई मुहिम में बड़ी कामयाबी मिली है। नशा बेचने वालों में डर पैदा हुआ है और जो नशे पंजाब में आ रहे हैं उसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। केंद्र सरकार के नियंत्रण में बी.एस.एफ., कस्टम और सुरक्षा एजैंसियां हैं। इसके चलते यदि बार्डर पार से नशीले पदार्थ आ रहे हैं तो उसको रोकने की जिम्मेदारी सुरक्षा एजैंसियों की है। इसमें फेल्योर केंद्र सरकार का है।
455 प्रतिशत देश में बढ़ा ड्रग्स का बाजार
*5 राज्यों हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की गत वर्ष चंडीगढ़ में बैठक में जताई गई चिंता
*3,647 आत्महत्या के मामले सामने आए थे 2014 में देश के सामने
*4,000 से ज्यादा 2012 में
*2013 में मौतों की संख्या बढ़कर 4,500 तक पहुंची
पंजाब सरकार का एक्शन
*जून 2018 में पुलिस इंस्पैक्टर के घर से हैरोइन की बरामदगी
*जुलाई 2018 में लड़कियों को नशा देने के आरोप में एक डी.एस.पी. की बर्खास्तगी और आला अधिकारी का तबादला
*जुलाई 2018 में पंजाब सरकार ने नशा तस्करों के लिए मौत की सजा का प्रावधान करने की केंद्र सरकार से सिफारिश की
*फरवरी 2019 में ड्रग रैकेट के जगदीश सिंह भोला समेत 25 लोगों को सजा
*वर्ष 2014 से 2017 तक करीब 37 हजार नशा तस्करों को जेल भेजा