Edited By swetha,Updated: 09 Jul, 2018 10:25 AM
पंजाब में सरकार द्वारा नशा विरोधी मुहिम चलाई जा रही है और लोगों को जागरूक करने संबंधित कई दावे किए जा रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ नशों की तस्करी करने वाले और नशाखोरी को शह देने वाले बड़े ‘मगरमच्छों’ को काबू करने में पुलिस को ज्यादा सफलता न हासिल होने के...
गुरदासपुर (हरमनप्रीत): पंजाब में सरकार द्वारा नशा विरोधी मुहिम चलाई जा रही है और लोगों को जागरूक करने संबंधित कई दावे किए जा रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ नशों की तस्करी करने वाले और नशाखोरी को शह देने वाले बड़े ‘मगरमच्छों’ को काबू करने में पुलिस को ज्यादा सफलता न हासिल होने के कारण आम लोगों में यह चर्चा बनी हुई है कि कहीं नशा विरोधी मुहिम कुछ दिन लोगों की आंखों में धूल झोंकने के बाद ठुस्स न हो जाए। आज हर व्यक्ति नशों का मुकम्मल खात्मा चाहता है क्योंकि नशों के प्रयोग, बिक्री के आंकड़े आदि बेहद चिंताजनक हैं।
नशा छुड़ाओ केन्द्रों में अधिक नहीं बढ़ी मरीजों की संख्या
गुरदासपुर शहर के काहनूवान रोड स्थित रैड क्रास नशा छुड़ाओ केंद्र में अब तक करीब 64 हजार मरीजों का इलाज किया जा चुका है। इस केंद्र के प्रोजैक्ट डायरैक्टर रोमेश महाजन ने बताया कि पहले इस केंद्र में हर सप्ताह करीब 4 या 5 मरीज आते थे परन्तु अब पिछले 10 दिनों में उन्होंने करीब 2 दर्जन मरीजों को दाखिल किया है। बटाला स्थित ओट सैंटर में भी आऊटडोर मरीजों की संख्या करीब 90 है। सरकार की तरफ से केंद्रीय जेल गुरदासपुर में भी एक ओट सैंटर चलाया जा रहा है, जहां जेल के हवालाती तथा कैदी अपना इलाज करवा रहे हैं। इस तरह नशा छुड़ाओ केन्द्रों में मरीजों की संख्या अधिक नहीं बढ़ी है।
रिकवरी बढ़ी परन्तु सजाओं की दर कम हुई
कैप्टन सरकार की तरफ से नशा विरोधी मुहिम को सख्ती से लागू करने के किए गए प्रयासों से पिछले पूरे वर्ष दौरान पंजाब में से बरामद की गई हैरोइन से ज्यादा हैरोइन इस वर्ष के पहले 6 महीनों में ही बरामद की गई है। आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष स्पैशल टास्क फोर्स, पंजाब पुलिस, बी.एस.एफ. तथा नार्कोटिक सैल सहित अलग-अलग एजैंसियों ने करीब 193.2 किलो ग्राम हैरोइन बरामद की थी। इस वर्ष पहले 6 महीनों दौरान ही इन एजैंसियों ने करीब 216 किलो हैरोइन बरामद की है। इसी तरह पिछले वर्ष बरामद किए गए करीब 1915 किलो गांजे के मुकाबले इस वर्ष अब तक 1817 किलो के करीब गांजा पकड़ा जा चुका है। पिछले वर्ष आरोपियों को सजा मिलने की दर सिर्फ 72 प्रतिशत थी। इससे पहले 2016 में 76.7, 2015 में 81.4 तथा 2014 में यह दर 80.4 प्रतिशत थी। 2002 से 2015 तक नशों के मामलों में सजा का ग्राफ लगातार पर ऊपर आ रहा है परन्तु पिछले 2 वर्षों में आई गिरावट ने इस मामलों में कई तरह की शंकाएं पैदा कर दी हैं।
सबसे ज्यादा नशा करने वाले 25 से 30 वर्ष के नौजवान
नशों के संबंध में अलग-अलग समाज सेवी जत्थेबंदियों के नुमाइंदों, पुलिस अधिकारियों तथा डाक्टरों के साथ की गई बातचीत दौरान आश्चर्यजनक और बेहद गंभीर तथ्य सामने आ रहे हैं कि बच्चों से लेकर नौजवानों सहित महिलाएं और लड़कियों के अलावा कोई भी वर्ग नशों की मार से बच नहीं सका है। यदि रैड क्रास नशा छुड़ाओ केंद्र गुरदासपुर में अब तक नशा छोडऩे आए नौजवानों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो इस केंद्र में नशा छोडऩे के लिए आने वाले मरीजों में सब से ज्यादा संख्या 25 से 30 वर्ष आयु वाले मरीजों की है।
इस केंद्र के प्रोजैक्ट डायरैक्टर रोमेश महाजन ने बताया कि अब तक करीब 35 हजार नौजवानों का इनडोर इलाज किया जा चुका है। इनमें से 10 से 15 वर्ष के मरीजों की संख्या 360, 15 से 20 वर्ष की आयु के 2736, 20 से 25 वर्ष के 5731, 25 से 30 वर्ष के 11361, 30 से 35 वर्ष के 4078, 35 से 40 वर्ष के 3383, 40 से 45 वर्ष के 2557, 45 से 50 साल के 2017, 50 से 55 वर्ष के 1112, 55 से 60 वर्ष के 637, 60 से 65 वर्ष के 623, 65 से 70 वर्ष के 272 और 70 से 80 वर्ष के करीब 57 मरीज थे।
महिलाएं और लड़कियां भी हैं नशे की जकड़ में
रोमेश महाजन ने बताया कि उन के इस केंद्र में अलग-अलग जिलों और प्रदेश की करीब 67 महिलाओं ने दाखिल होकर इलाज करवाया है। इसी तरह बब्बरी में सरकारी नशा छुड़ाओ केंद्र के डा. वरिन्द्र महाजन ने बताया कि कुछ दिन पहले उन के पास 2 महिलों शराब छुड़वाने के लिए आई थीं। रोमेश महाजन अनुसार चाहे इनडोर इलाज के लिए दाखिल होने वाली महिलाओं की संख्या कम है परन्तु आऊटडोर इलाज और नशे से बचने के लिए सलाह लेने आने वाली महिला मरीजों की संख्या इससे काफी ज्यादा है।