Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Sep, 2017 09:42 AM
प्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को खत्म करने के उद्देश्य से डी.टी.ओ. दफ्तरों को बंद कर सारा काम आर.टी.ए. दफ्तरों और एस.डी.एम्ज के
जालंधर(अमित) : प्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को खत्म करने के उद्देश्य से डी.टी.ओ. दफ्तरों को बंद कर सारा काम आर.टी.ए. दफ्तरों और एस.डी.एम्ज के अधीन लाने के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं, क्योंकि जालंधर में ए.टी.ए. (असिस्टैंट ट्रांसपोर्ट अफसर) बलबीर सिंह की चौकसी से आधुनिक ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक पर चल रहा जाली ट्रैक टैस्ट स्कैंडल पकड़ में आया है। इस स्कैंडल में कुछ एजैंटों द्वारा ट्रैक पर टैस्ट देने के पश्चात निकलने वाले पिं्रट को कम्प्यूटर में स्कैन कर उस पर आर.टी.ए. दफ्तर की जाली मोहर लगाकर व जाली हस्ताक्षर कर फाइलें पास करवाने का काम बदस्तूर जारी था। इस मामले की जांच फिलहाल जारी है और इसके मास्टर-माइंड को पकड़ा नहीं जा सका है। यह स्कैंडल पकड़ में आने से ट्रैक पर गलत ढंग से बिना गाड़ी चलवाए टैस्ट पास करवाने का जो गोरखधंधा जारी था, उस पर अंकुश अवश्य लग गया है।
कैसे पकड़ में आया स्कैंडल?
गत दिवस ए.टी.ए. बलबीर सिंह के पास एक आवेदक टैस्ट पास कर अपनी फाइल साइन करवाने पहुंचा। ए.टी.ए. ने जैसे ही टैस्ट रिपोर्ट वाला पेज देखा तो उन्हें थोड़ा शक हुआ, जिसके बाद उन्होंने आवेदक से जानकारी मांगी और कहा कि उसने किस गाड़ी पर टैस्ट दिया और कैसे दिया। ए.टी.ए. के पूछने पर आवेदक ने कहा कि उसने तो कोई टैस्ट दिया ही नहीं, बल्कि उसने अपनी फाइल एक एजैंट को दी थी, जिसने उसे फाइल देकर आपके पास साइन करवाने के लिए भेजा है। आवेदक की बात सुनते ही ए.टी.ए. के होश उड़ गए और उन्होंने फौरन क्लर्क जसविंदर सिंह, निजी कंपनी के इंचार्ज अमरिंदर सिंह मान और टैस्ट लेने वाले कर्मचारी को अपने पास बुलाया, जिन्होंने मामले की जांच के बाद पाया कि उनके कम्प्यूटर में तो उक्त आवेदक का कोई रिकार्ड ही मौजूद नहीं है और न ही आवेदक की कोई फोटो हुई है। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि किसी ने बड़ी होशियारी से टैस्ट रिपोर्ट वाले पेज की स्कैनिंग कर उसकी नकल वाला जाली प्रिंट आवेदन फाईल के साथ लगाकर पासिंग के लिए भेजा है। ए.टी.ए. ने बिना विलंभ मामले की जानकारी आर.टी.ए. दरबारा सिंह को दी, जिन्होंने फाइल कब्को में लेकर उसकी जांच के आदेश जारी कर दिए।
आवेदन पर गाड़ी नंबर और आवेदक के हस्ताक्षर किए अनिवार्य
जाली टैस्ट रिपोर्ट स्कैंडल सामने आते ही आर.टी.ए. ने ट्रैक पर मौजूद ए.टी.ए. बलबीर सिंह को हिदायतें जारी कीं, जिसके अनुसार हर आवेदन पर आवेदनकर्ता की गाड़ी का नंबर और उसके हस्ताक्षर अनिवार्य किए गए हैं। इसके साथ ही ए.टी.ए. हर आवेदक से निजी तौर पर पूछताछ कर ही उसके लाइसैंस की पासिंग करने का काम कर रहे हैं।
लंबे समय से चल रहा था जाली टैस्ट रिपोर्ट स्कैंडल
आर.टी.ए. दफ्तर के सूत्रों की मानें तो जिस दिन से ट्रैक बना है उस दिन से ही बिना वाहन चलाए पासिंग किए जाने की खबरें आती रही हैं और जाली टैस्ट रिपोर्ट स्कैंडल भी डी.टी.ओ. दफ्तर में लंबे समय से चल रहा था, जिसके चलते बहुत से लाइसैंस ऐसे ही जाली टैस्ट रिपोर्ट के आधार पर बनाकर फर्जीवाड़ा किया गया है।