Edited By swetha,Updated: 04 Aug, 2018 12:05 PM
नशे की समस्या से जूझ रहे पंजाब को निजात दिलाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य कर दिया था। डोप टेस्ट ये पता लगाने के लिए होता है कि कहीं भर्ती होने वाला कर्मचारी- मॉर्फीन, एम्फेटामाइन,...
चंडीगढ़ः नशे की समस्या से जूझ रहे पंजाब को निजात दिलाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य कर दिया था। डोप टेस्ट ये पता लगाने के लिए होता है कि कहीं भर्ती होने वाला कर्मचारी- मॉर्फीन, एम्फेटामाइन, गांजा व अन्य प्रतिबंधित नशीली दवाओं के सेवन का आदी तो नहीं।
पर सरकार का यह टैस्ट कीमत से 5 गुणा अधिक वसूलने के कारण विवादों में घिर गया है। उल्लेखनीय है कि डोप टैस्ट पर यहां सरकार 300 रुपए खर्च कर रही हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों से इस टैस्ट के 1,500 रुपए चार्ज कर रहा है। इस प्रक्रिया से पंजाब पुलिस के साथ 3.25 लाख राज्य सरकारी कर्मचारियों के अलावा, हथियारों के लाइसेंस के लिए आवेदन करने वालों को गुजराना होगा।
हालांकि कर्मचारियों के लिए डोप टेस्ट पर अंतिम अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि कर्मचारियों को इस टैस्ट के लिए अपनी जेब से भुगतान करना होगा । उनको इसके पैसे सरकार से आवेदन करने के बाद मिल जाएंगे। आपको बता दें ति खुदरा बाजार में परीक्षण किट 200से 350 रुपए में मिलती है। अगर सरकार एक निविदा जारी कर इसे थोक कीमतों पर खरीदती है, तो यह किट 200 रुपए में मिल सकती है।
इस संबंधी सी.पी.आई. के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. जोगिंदर दयाल ने कहा कि इस टैस्ट से सिर्फ कर्मचारियों को नहीं बल्कि आम आदमी के लिए भी है। परीक्षण के लिए वास्तविक लागत से पांच गुना अधिक वसूलना गलत है। सरकार से ऐसे काम में मुनाफा कमाने की उम्मीद नहीं की जा सकती। कर्मचारियों का कहना है कि परीक्षण मुफ्त में होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो खाली खजाने से जूझ रही पंजाब सरकार पर 10 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।