पंजाब में ‘आप’ खो न ले अपने विधायक,मान और अरोड़ा का इस्तीफे वापस लेने से इंकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Apr, 2018 07:40 AM

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यद्यपि आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसौदिया को पंजाब का प्रभारी बना दिया है मगर प्रदेश ‘आप’ समिति अभी भी नेतृत्वहीन है

जालंधर  (विशेष): यद्यपि आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसौदिया को पंजाब का प्रभारी बना दिया है मगर प्रदेश ‘आप’ समिति अभी भी नेतृत्वहीन है और पार्टी नेताओं द्वारा दिए इस्तीफों पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। वहीं पार्टी की अंतर्कलह के चलते ‘आप’ के कुछ विधायकों ने दूसरी पाॢटयों का हाथ थामने की तैयारी कर ली है। ‘आप’ संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगने के विरोधस्वरूप ‘आप’ के सांसद भगवंत मान और पार्टी नेता अमन अरोड़ा ने 4 सप्ताह पहले अपने पदों से इस्तीफे दे दिए थे। ये दोनों नेता राज्य में ‘आप’ के प्रमुख नेता हैं।  शाहकोट विधानसभा का उपचुनाव होने जा रहा है मगर राज्य में पार्टी के प्रदेश प्रधान भगवंत मान और अमन अरोड़ा के इस्तीफों पर फैसला नहीं किया गया है। ये दोनों नेता अपनी ड्यूटी नहीं निभा रहे हैं। 

 

मान और अरोड़ा का इस्तीफे वापस लेने से इंकार 
यद्यपि पार्टी के कई विधायकों ने अरविंद केजरीवाल और पंजाब प्रभारी मनीष सिसौदिया से अनुरोध किया है कि इस्तीफे नामंजूर किए जाएं मगर पार्टी नेतृत्व ने अभी तक इस पर कोई विचार व्यक्त नहीं किया है। न ही दोनों नेताओं के इस्तीफे मंजूर किए गए हैं और न ही उनके उत्तराधिकारियों की घोषणा की गई है। वहीं मान और अरोड़ा ने इस्तीफे वापस लेने से इंकार कर दिया है। अरोड़ा जो कि विदेश यात्रा पर गए हैं, ने कहा है कि अभी उन्होंने इस मामले पर पार्टी नेता का कोई फैसला नहीं सुना है। साथ ही यह भी कहा है कि मैंने इस्तीफा वापस लेने के लिए नहीं दिया है। ‘आप’ के सह-प्रधान डा. बलबीर सिंह ने कहा कि मान और अरोड़ा के इस्तीफे पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति के पास लंबित हैं। जोनल प्रधानों ने भी पार्टी नेतृत्व से दोनों नेताओं के इस्तीफे नामंजूर करने को कहा है।

 

डा. सिंह पर पार्टी के विस्तार की जिम्मेदारी
डा. सिंह पिछले महीने संकट के समय पदोन्नत किए गए थे। वह कोई फैसला नहीं होने के कारण राज्य इकाई का संचालन कर रहे हैं। वह पटियाला निर्वाचन क्षेत्र से कै. अमरेन्द्र सिंह के खिलाफ ‘आप’ के उम्मीदवार थे। उन्हें पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में विस्तार की जिम्मेदारी दी गई है। मान और अरोड़ा के अलावा भी कई अन्य विधायकों ने माफी के मुद्दे पर खुला विद्रोह कर दिया था। लुधियाना में ‘आप’ की सहयोगी पार्टी ‘लिप’ के 2 विधायक हैं, उन्होंने भी केजरीवाल के संगठन से संबंध तोड़ लिया है।

 

‘आप’ का शाहकोट विधानसभा उपचुनाव लडऩे का फैसला
आम आदमी पार्टी ने शाहकोट विधानसभा उपचुनाव लडऩे का फैसला किया है। यह सीट शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और शाहकोट से विधायक अजीत सिंह कोहाड़ के निधन के बाद खाली हो गई थी। यह तीसरा मौका है जब 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद सबसे बड़े विरोधी दल के रूप में उभरी आम आदमी पार्टी शाहकोट में उपचुनाव लड़ रही है। इससे पहले गुरदासपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई थी। उसके बाद पंजाब में हुए लोकल बॉडीज चुनावों में भी ‘आप’ कोई बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। 
पंजाब में पार्टी के सह-प्रभारी डा. बलबीर सिंह ने बातचीत में कहा है कि ‘आप’ शाहकोट विधानसभा उपचुनाव लड़ेगी। उम्मीदवार के चयन के लिए 7 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। 

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