Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 09:08 AM
भारत में चाहे सरकारी महकमा हो या निजी सब भगवान भरोसे ही चल रहे हैं। जब सरकारी महकमों को किसी फैक्टरी को चलाने के लिए लाइसैंस देना होता है तो छोटे से छोटा अधिकारी भी फैक्टरी मालिक को उंगलियों पर कानून गिना देता है
लुधियाना (धीमान): भारत में चाहे सरकारी महकमा हो या निजी सब भगवान भरोसे ही चल रहे हैं। जब सरकारी महकमों को किसी फैक्टरी को चलाने के लिए लाइसैंस देना होता है तो छोटे से छोटा अधिकारी भी फैक्टरी मालिक को उंगलियों पर कानून गिना देता है लेकिन जब कोई हादसा घट जाए तो सभी डिपार्टमैंट के अधिकारी कानून भूल जाते हैं और अपनी जान बचाने के लिए एक-दूसरे पर जिम्मेदारी फैंकना शुरू कर देते हैं।
लुधियाना की फैक्टरी में लगी आग के हादसे के बाद ‘पंजाब केसरी’ ने जब जानना चाहा कि आग किस कैमिकल से लगी है और वह कितना खतरनाक था या कैमिकल को कितनी मात्रा में स्टोर किया जा सकता है, उसकी परमिशन किसने देनी होती है तो सभी विभाग जिसमें इंडस्ट्री, लेबर, डायरैक्टर फैक्टरी, फायर ब्रिगेड, पंजाब पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड सब भाग खड़े हुए। सबने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपनी शुरू कर दी। यहां तक की जिलाधीश को भी नहीं पता कि ऐसे कैमिकल के लिए कौन-सा विभाग परमिशन देगा। सवाल है कि क्या ऐसे कैमिकल की देख-रेख के लिए भारत में कोई विभाग है भी या नहीं।
विस्फोटक कई तरह के होते हैं जिसमें पटाखे वगैरा रखने या बनाने की परमिशन जिलाधीश कार्यालय ने देनी होती है। पैट्रोल, कैरोसिन आदि की परमिशन भी जिलाधीश कार्यालय देता है लेकिन लुधियाना की फैक्टरी में किस कैमिकल से आग लगी है इसकी परमिशन किस विभाग ने देनी है, उसकी जिम्मेदारी जांच के बाद ही तय हो पाएगी। फिलहाल इंडस्ट्री विभाग और पॉल्यूशन विभाग को सैंपङ्क्षलग करने के लिए कह दिया गया है। -प्रदीप अग्रवाल, डी.सी. लुधियाना
फायर आफिस का काम इक्युप्मैंट चैक करना है। इसमें यह देखना होता है कि फैक्टरी में कितने फायर एक्सटिंग्युशर चाहिए तथा कितनी कैपेसिटी के चाहिए। रेत का इंतजाम है या नहीं। फस्र्ट ऐड के लिए दवाइयां या बड़ी फैक्टरियों में एम्बुलैंस का इंतजाम है या नहीं। इनकी जांच के बाद फायर से एन.ओ.सी. मिलता है। लुधियाना में जो हादसा हुआ है उसकी जांच इंडस्ट्री डिपार्टमैंट ने करनी होती है कि कौन-सा कैमिकल इस्तेमाल होना है या नहीं। -भूपिंदर सिंह, ए.डी.एफ.ओ. फायर
इंडस्ट्री डिपार्टमैंट ने सरकार की स्कीमों को इंडस्ट्री तक पहुंचाना होता है। किस स्कीम से किसे फायदा होगा उसके बारे में जानकारी देनी होती है। जहां तक कैमिकल रखने की बात है यह पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने देखना होता है।
-अमरजीत सिंह, जी.एम. इंडस्ट्री
पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की जिम्मेदारी सिर्फ यह देखना होता है कि कोई फैक्टरी धुआं तो नहीं छोड़ रही या जहरीले पानी को सीवरेज में तो नहीं फैंक रही। जिस फैक्टरी में आग लगी वह ग्रीन कैटागिरी की फैक्टरी थी। इसलिए इसमें रखे जाने वाले कैमिकल के बारे में हमारे विभाग ने कोई परमिशन नहीं देनी होती। इसकी जिम्मेदारी डायरैक्टर फैक्टरी की है। -काहन सिंह पन्नू, चेयरमैन पी.पी.सी.बी.
डायरैक्टर फैक्टरी ने इंडस्ट्री चलाने के लिए जो नियम हैं उन्हें देखकर एन.ओ.सी. देनी होती है। कैमिकल रखने या कैसा कैमिकल इस्तेमाल करने के बारे में पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की जिम्मेदारी होती है। इसमें डायरैक्टर फैक्टरी का कोई रोल नहीं होता। -सुखमिंद्र सिंह भट्टी, असिस्टैंट फैक्टरी डायरैक्टर
लेबर डिपार्टमैंट ने लेबर से संबंधित समस्याएं जैसे उन्हें समय पर वेतन मिल रहा है या नहीं। जितनी लेबर काम कर रही है उसे फैक्टरी मालिक ने कागजों के दिखाया है या नहीं, यह देखना होता है। जहां तक कैमिकल रखने या न रखने की परमिशन की बात है यह जिलाधीश कार्यालय ने देखना होता है। -एस.एस.भट्टी, असिस्टैंट लेबर कमिश्नर