Edited By swetha,Updated: 02 Sep, 2018 01:03 PM
पंजाब में विधानसभा चुनाव के बाद हुए उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी अब ब्लॉक समिति व जिला परिषद के चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। चुनाव आयोग ने 4 दिन पहले जिला परिषद व ब्लॉक समितियों के चुनाव को लेकर तिथि का ऐलान किया...
चंडीगढ़ः पंजाब में विधानसभा चुनाव के बाद हुए उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी अब ब्लॉक समिति व जिला परिषद के चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। चुनाव आयोग ने 4 दिन पहले जिला परिषद व ब्लॉक समितियों के चुनाव को लेकर तिथि का ऐलान किया है। विपक्ष में बैठने के बाद भी आप की पंजाब में यह हालत हो गई है कि अब आप के ज्यादातर नेता पंचायतों व जिला परिषदों के चुनाव लड़ने के हक में नहीं है। उनका मानना है कि इन चुनावों में हार हुई तो लोकसभा चुनाव पर इसका प्रभाव पड़ेगा। इसलिए सीधे लोकसभा चुनाव की तैयारी की जाए।
विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने का सपना देखने वाली आप का ग्राफ विस चुनाव के मतदान से एक सप्ताह पहले गलत नीतियों के चलते ऐसे गिरा कि 90 सीटें लेने का दावा करने वाली आप 20 सीटों पर ही सिमट गई। उसके बाद हुए गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव, जालंधर, पटियाला, अमृतसर, लुधियाना निगम चुनाव और शाहकोट विस उपचुनाव में आप को करारी हार का सामना करना पड़ा था। शाहकोट उपचुनाव में आप अपने उम्मीदवार की जमानत भी नहीं बचा पाई थी, जबकि इसी सीट पर विस चुनाव में आप के उम्मीदवार को करीब 50 हजार वोट पड़े थे।
उसके बाद से ही लगातार पार्टी में खुद मुख्तियारी (अपने फैसले लेने का अधिकार) की आवाज और तेजी से उठने लगी। सुखपाल सिंह खैहरा पहले से ही इस बारे में आवाज उठा रहे थे। शाहकोट उपचुनाव में भी खैहरा व भगवंत मान ने अलग-अलग बयान देकर पार्टी को राय दी थी कि उपचुनाव की बजाय पार्टी लोकसभा चुनाव पर फोकस रखे। इसके बाद भी अरविंद केजरीवाल की टीम ने किसी की नहीं सुनी थी और जमानत जब्त हो गई। नतीजतन अब पार्टी पंजाब में होने वाले पंचायत व जिला परिषदों के चुनाव लड़ने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रही है।