Edited By swetha,Updated: 05 Dec, 2018 10:42 AM
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के खिलाफ सांसद प्रताप सिंह बाजवा व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के आक्रामक तेवर भविष्य की रणनीति का एक हिस्सा है। प्रदेश में कांग्रेस का भविष्य किसके हाथ में होगा, यह 2019 के चुनावी नतीजे तय करेंगे।...
जालंधर(रविंदर): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के खिलाफ सांसद प्रताप सिंह बाजवा व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के आक्रामक तेवर भविष्य की रणनीति का एक हिस्सा है। प्रदेश में कांग्रेस का भविष्य किसके हाथ में होगा, यह 2019 के चुनावी नतीजे तय करेंगे। वहीं इसकी नींव बाजवा व सिद्धू ने अभी से रखनी शुरू कर दी है। मगर सबसे असमंजस में प्रदेश का कार्यकर्ता व नेतागण है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि ऊंट किस करवट में बैठने जा रहा है। एक तरफ सांसद प्रताप सिंह बाजवा प्रदेश में विकास न होने को लेकर कैप्टन अमरेंद्र सिंह पर तीखे हमले कर रहे हैं तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री को खुद का कैप्टन न मानने को लेकर सिद्धू ने अपने स्वर तेज किए हुए हैं।
अकालियों के खिलाफ कार्रवाई न करने से खफा है बाजवा
बाजवा तो इस बात से भी खफा हैं कि चुनावों से पहले अकालियों के खिलाफ कार्रवाई करने का जो वायदा कैप्टन ने किया था, वह पूरा नहीं किया जा रहा है। उनका कहना है कि अगर वायदे पूरे नहीं किए गए तो किस मुंह से जनता के बीच जाएंगे। खास तौर पर ड्रग मामले को लेकर अकालियों के खिलाफ चुनावों से पहले काफी कुछ कहा गया और जनता ने विश्वास भी किया, मगर सत्ता में आए हुए कैप्टन सरकार को डेढ़ साल से ज्यादा का समय हो गया है और इस कार्रवाई को आगे नहीं बढ़ाया जा सका है।
कैप्टन नहीं सुनते सिद्धू की बात
दूसरी तरफ कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू इस बात से अंदरखाते बेहद खफा हैं कि उनकी किसी बात को कैप्टन नहीं सुन रहे हैं। चाहे वह माइनिंग पॉलिसी की बात हो या अवैध कॉलोनियों को रैगुलर करने की पॉलिसी का मामला, हर बार कैप्टन ने सिद्धू को अहमियत नहीं दी। जनता की नजरों में यह साफ हो चुका है कि सिद्धू की अपनी ही सरकार में कोई सुनवाई नहीं हो रही जिसका असर यह है कि गाहे-बेगाहे सिद्धू भी अपने तेवर कैप्टन के खिलाफ तीखे कर जाते हैं।
सबकी नजर 2019 के चुनावों पर
अब सब कुछ टिका है 2019 के चुनावी नतीजों पर। अगर लोकसभा चुनावों में केंद्र में राहुल गांधी की सत्ता आती है तो पंजाब में भी सरकार के समीकरण बदलना तय है। राहुल गांधी के सत्ता में आते ही कैप्टन का काऊंटडाऊन शुरू हो जाएगा । सिद्धू व बाजवा समेत कोई अन्य नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार बन सकते हैं। वहीं अगर 2019 में दोबारा केंद्र में मोदी की सत्ता आती है तो कांग्रेस हाईकमान बैकफुट पर रहेगी और प्रदेश में कैप्टन की तूती बोलती रहेगी, यानी प्रदेश के कार्यकर्ताओं व नेताओं का भविष्य भी लोकसभा चुनावी नतीजों पर टिका हुआ है।