भाजपा की अंदरूनी कलह गर्माई, शाह अब गडकरी के निशाने पर

Edited By swetha,Updated: 27 Dec, 2018 08:28 AM

dispute in bjp

5 राज्यों के हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को कांग्रेस के हाथों मिली करारी हार और 3 हिंदी भाषा राज्यों में सफाया होने के बाद भाजपा की अंदरूनी कलह तेज होती जा रही है। शाह अब गडकरी के निशाने पर हैं।

अमृतसर(संजीव): 5 राज्यों के हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को कांग्रेस के हाथों मिली करारी हार और 3 हिंदी भाषा राज्यों में सफाया होने के बाद भाजपा की अंदरूनी कलह तेज होती जा रही है। शाह अब गडकरी के निशाने पर हैं। इस हार का ठीकरा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सिर फोडने में उनके विरोधी कोई भी मौका नहीं चूक रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की तानाशाही से परेशान पार्टी के कई मंत्री और सीनियर संसद सदस्य जोकि लंबे समय से ऐसे मौके की तलाश में थे, अब एक दम से आगे आकर बयानबाजी कर रहे हैं। उनके समर्थक सोशल मीडिया और पार्टी का नेतृत्व करने वालों पर उंगलियां भी उठा रहे हैं। 

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मोदी व शाह विरोधियों के राडार
पार्टी के सीनियर नेता लाल कृष्ण अडवानी, मुरली मनोहर जोशी, प्रवीण तोगडिया, यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा आदि को दर-किनार करने में कामयाब रहे मोदी व शाह अब विरोधियों के राडार पर हैं। अपनी अलग कारगुजारी कारण चर्चा में रहने वाले केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस हार के बाद पार्टी का नेतृत्व करने वालों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। महाराष्ट्र में हुए एक समारोह दौरान गडकरी ने कहा कि यदि जीत का सेहरा अपने सिर सभी बांधते हैं तो हार की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने फिर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि कोई संसद सदस्य और विधायक बेहतर प्रदर्शन नहीं करता तो इसकी जिम्मेदारी पार्टी प्रमुख की होती है। उन्होंने कहा कि सिर्फ अच्छा बोलने से ही चुनाव नहीं जीता जा सकता। इस तरह के बयान देकर गडकरी ने भाजपा में हलचल मचा दी है। 

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गडकरी को प्रधानमंत्री तो संजय जोशी को पार्टी की कमान सौंपने की मांग

उधर दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर गडकरी को प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश करने की भी मांग उठाई जा रही है। किसी समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ गुजरात में इकट्ठे काम करने वाले पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री संगठन संजय जोशी के समर्थकों ने भी सोशल मीडिया पर जोशी को पार्टी की कमान देने की बात कही है। जोशी समर्थक कहो ‘दिल से संजय जोशी फिर से और संजय जोशी लाओ भाजपा बचाओ’। ऐसे कमैंट सोशल मीडिया पर पढऩे कारण पार्टी में काफी चर्चा हो रही है। जोशी समर्थकों को मोदी और अमित शाह के विरोधियों की हिमायत हासिल है और इस सब के चलते आर.एस.एस. प्रमुख मोहन भागवत पर यह दबाव डाला जा रहा है कि भाजपा की बागडोर अब अमित शाह के हाथों से ली जाए। गडकरी और जोशी के आपसी संबंध व मित्रता भी अमित शाह के लिए खतरे की घंटी है। संघ अब ऐसा फार्मूला ढूंढ रहा है कि कैसे पार्टी में संजय जोशी और गडकरी सहित अमित शाह विरोधी पक्षों को शांत किया जा सके। 

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कौन है संजय जोशी 

995 और 1998 में गुजरात में भाजपा की सरकार बनाने में संजय जोशी का अहम योगदान रहा है और उन्होंने 9 राज्यों में भाजपा को सत्ता दिलाने में अहम रोल निभाया। संजय जोशी 13 वर्षों तक गुजरात में रहे। गुजरात में रहते संजय जोशी और मोदी के बीच मन-मुटाव शुरू हो गया था। इसी के चलते 2012 में संजय जोशी को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और यू.पी. इंचार्ज से इस्तीफा देना पड़ा था परन्तु वह लगातार संघ के साथ जुड़े रहे। 

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