आजादी के 7 दशक बाद भी गलियों-नालियों में उलझा पड़ा है गांवों का विकास

Edited By swetha,Updated: 18 Dec, 2018 09:07 AM

development of village

देश की आजादी के बाद 7 दशक से अधिक समय तक राज करने वाली विभिन्न सरकारें बेशक गांवों के विकास पर अरबों रुपए खर्च चुकी हैं, इसके बावजूद पंजाब के अधिकांश गांवों की स्थिति यह है कि कई गांव आज तक गलियों-नालियों के निर्माण के झमेले से ही नहीं निकल सके,...

गुरदासपुर (हरमनप्रीत): देश की आजादी के बाद 7 दशक से अधिक समय तक राज करने वाली विभिन्न सरकारें बेशक गांवों के विकास पर अरबों रुपए खर्च चुकी हैं, इसके बावजूद पंजाब के अधिकांश गांवों की स्थिति यह है कि कई गांव आज तक गलियों-नालियों के निर्माण के झमेले से ही नहीं निकल सके, जबकि समय की जरूरत के अनुसार आधुनिक सुविधाओं की बात इन गांवों से कोसों दूर प्रतीत हो रही है।

करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद नहीं बदली गांवों की नुहार
पंजाब के 12000 से भी अधिक गांवों के पंच-सरपंच चुनने के लिए प्रत्येक 5 साल बाद चुनाव होते हैं और लगभग हर बार बहुसंख्यक पंच-सरपंच उसी पार्टी के चुने जाते हैं जिस पार्टी की सरकार होती है। इसी कारण संबंधित सत्ताधारी विधायक अपनी पार्टी के पंचों-सरपंचों को ग्रांट के मोटे गफ्फे देकर गांवों का विकास करवाने का दावा करते हैं।पिछले 2 दशक के दौरान कई गांवे को करोड़ों रुपए की ग्रांट मिली है, परन्तु हैरानी की बात है कि इतनी ग्रांटों के बाद भी आज तक अनेक गांवों की गलियां-नालियां पक्की नहीं बनाई जा सकीं। कई गांवों को अब तक एक लेकर 3 करोड़ तक की ग्रांट भी मिल चुकी है, परन्तु संबंधित गांवों  में लोगों की सुविधा के लिए कोई विशेष प्रोजैक्ट बनाने की बजाय गांवों के पंचों-सरपंचों ने ये ग्रांट गलियां-नालियां बनाने पर ही खर्च कर दीं।

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आधुनिक सुविधाओं के लिए तरसते लोग
पंजाब के 90 प्रतिशत से अधिक गांवों की स्थिति यह बनी हुई है कि ग्रांट के गफ्फे मिलने के बावजूद पंचायतों ने गांवों में पुस्तकालय, पार्क, जिम, स्टेडियम और स्ट्रीट लाइट जैसी प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध करवाने की जरूरत नहीं समझी। जिन गांवों में ग्रांट से जिम बनाए गए हैं, उनकी हालत भी बेहद दयनीय है। उनमें न तो पूरा समाान है और ना ही अपेक्षित माहौल और सुविधाएं उपलब्ध हैं। बच्चों के खेलने के लिए अब गांवों में खुले स्थानों की कमी महसूस होने लगी है। इसी प्रकार सरकार ने जल आपूर्ति योजनाएं चला कर कई गांवों को साफ पानी की सुविधा दी है, परन्तु अधिकांश गांवों में यह योजनाएं सिर्फ बिजली के बिल जमा न करवाने के कारण बंद पड़ी हैं।
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गांवों में सफाई करने की कोई व्यवस्था नहीं
गांवों में यह बात भी सामने आई है कि शायद ही कोई पंचायत हो जिस ने गांवों में गलियों-नालियों की नियमित सफाई के लिए जरूरी उपाय किए हों, नहीं तो अधिकतर गांवों की गलियां-नालियां गंदगी से भरी दिखाई देती हैं। इतना ही नहीं, इन गांवों के छप्पड़  भी भरे होने के कारण बीमारियों ओर मुसीबतों को न्यौता देते हैं। इनकी गंदगी स्थाई रूप में खत्म करने के मुद्दे को भी अधिकतर पंचायतों ने नजर अंदाज किया हुआ है। जिस कारण गांव निवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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