Edited By Updated: 20 Dec, 2016 09:10 AM
चुनाव दौरान एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए राजनीतिक पार्टियां अक्सर विवादों को जन्म देती हैं। राजसी विरोध के चलते डेरे के खिलाफ बाकायदा
भटिंडा (बलविंद्र): चुनाव दौरान एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए राजनीतिक पार्टियां अक्सर विवादों को जन्म देती हैं। राजसी विरोध के चलते डेरे के खिलाफ बाकायदा एक पंजाबी फिल्म ‘मोटर मित्तरां दी’ रिलीज की जा रही है। इसकी एतराजयोग्य कहानी और डायलॉग के कारण एक बार फिर ‘डेरा विवाद’ भड़क सकता है। सूझवान लोगों की मांग है कि इस फिल्म पर रोक लगनी चाहिए। गौर हो कि 2007 से 2009 तक पंजाब में हरियाणा स्थित एक डेरे का बहुत अधिक विरोध हुआ, जिस कारण पंजाब को संताप झेलना पड़ा, जबकि पंजाब और हरियाणा में जानी व माली नुक्सान भी हुआ तथा वह आग आज भी सुलग रही है।
उक्त डेरे द्वारा धार्मिक फिल्में बनाई जाती हैं, जिसके हीरो डेरा प्रमुख होते हैं। अब एक नई पंजाबी फिल्म ‘मोटर मित्तरां दी’ 30 दिसम्बर को रिलीज हो रही है, जोकि एक बड़े विवाद का कारण बन सकती है। इसमें एक डायलॉग ‘कातिल कभी भी गॉड का मैसेंजर नहीं हो सकता’ एतराजयोग्य हो सकता है, क्योंकि डेरा मुखी की एक फिल्म का नाम ‘मैसेंजर ऑफ गॉड’ था। उक्त डायलॉग भी किसी आम हीरो द्वारा नहीं, बल्कि गुरप्रीत सिंह ‘घुग्गी’ द्वारा कहा गया है, जोकि इस समय ‘आप’ के राज्य प्रमुख भी हैं। चर्चा है कि डेरा मुखी भाजपा के समर्थक हैं जिस कारण डेरा प्रेमियों का समर्थन भी अपने गुरु को होना स्वाभाविक है।
सैंसर बोर्ड रोक लगा सकता है : गुरप्रीत
‘आप’ के प्रमुख गुरप्रीत सिंह का कहना है कि यह फिल्म उन्होंने करीब डेढ़ वर्ष पहले बनाई थी, जब वह सिर्फ एक हीरो थे। किसी भी फिल्म में डायलॉग या कहानी से एक हीरो का कोई संबंध नहीं होता है। उन्होंने सिर्फ एकिं्टग की है। उनका उद्देश्य किसी भी डेरे का विरोध करना नहीं था। अगर कुछ एतराजयोग्य है तो उसको सैंसर बोर्ड काट सकता है, जबकि फिल्म रिलीज करना या न करना निर्माता का अधिकार है, हीरो का नहीं।
फिलहाल कुछ नहीं कहना चाहते 45 सदस्यीय कमेटी के सदस्य
डेरे की 45 सदस्यीय कमेटी के सदस्य गुरदेव सिंह का कहना है कि उन्हें फिल्म के बारे में पता जरूर लगा है लेकिन उन्होंने अभी तक ट्रेलर नहीं देखा इसलिए कुछ कहना नहीं चाहते हैं।