तत्कालीन ADC, डीलिंग क्लर्क और बी.एल.एस. सॉल्यूशन्स प्रा. लि. को जुर्माना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Sep, 2017 11:01 AM

dealing clerks and bls solutions pvt  ltd fines

कमिश्नर पंजाब राइट-टू-सॢवस कमीशन चंढीगढ़ आर.पी. मित्तल (रिटायर्ड आई.पी.एस.) द्वारा पंजाब राइट-टू-सॢवस एक्ट 2011 की धारा 17(2) और 17(3) के अंतर्गत सॉलेमनाइजेशन ऑफ.......

जालंधर(अमित): कमिश्नर पंजाब राइट-टू-सॢवस कमीशन चंढीगढ़ आर.पी. मित्तल (रिटायर्ड आई.पी.एस.) द्वारा पंजाब राइट-टू-सॢवस एक्ट 2011 की धारा 17(2) और 17(3) के अंतर्गत सॉलेमनाइजेशन ऑफ मैरिज अंडर स्पैशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत आए एक आवेदन पर कार्रवाई में हुई अनावश्यक देरी को लेकर की गई गहन जांच-पड़ताल में एक ऐतिहासिक और बेहद कड़ा फैसला सुनाते हुए तत्कालीन ए.डी.सी. (जनरल), डीङ्क्षलग क्लर्क और सेवा केन्द्र चलाने वाली निजी कंपनी बी.एल.एस. सॉल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड को 16,000 रुपए का जुर्माना लगाया और इसके साथ ही विभागीय व कानूनी कार्रवाई किए जाने की सिफारिश भी की है। 

क्या है मामला, क्यों हुआ जुर्माना?
सॉलेमनाइजेशन ऑफ मैरिज अंडर स्पैशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत आए एक आवेदन में सेवा केन्द्र माडल टाऊन की तरफ से आवेदन की डिलीवरी के लिए 6 महीने की अनावश्यक देरी हुई थी। इसके साथ ही सेवा का अधिकार कानून की जबरदस्त अवहेलना की गई थी।

इतना ही नहीं हकीकत में गलत और झूठे एफीडेविट तक दिए गए थे जिससे आवेदक को काफी परेशानी सहनी पड़ी थी। आर.टी.एस. कमीशन द्वारा अपनी जांच में पाया गया कि एक्ट के सारे प्रावधानों का पालन नहीं किया गया था। इसके साथ ही सर्विस की डिलीवरी में 6 महीने की देरी साबित हुई थी इसलिए दोषियों को जुर्माना लगाया गया।

क्या है निजी कंपनी का कसूर?
कमीशन ने अपनी जांच में पाया कि निजी कंपनी के सेवा केन्द्र द्वारा सबसे पहले 19 अक्तूबर, 2016 को आवेदन स्वीकार करते समय गलत ब्यौरा दर्ज किया गया। उसके पश्चात संबंधित अधिकारी के पास 12 दिन की देरी (27-10-16) से आवेदन भेजा गया जिसके पश्चात 6 मार्च, 2017 को सी.आर.एफ. (चेंज रिक्वैस्ट फार्म) लेकर उसे अगले दिन भेजने की जगह 35 दिन की देरी  से 11-04-17 को सबमिट किया गया। कंपनी के उच्च-अधिकारियों को मामले की जानकारी होने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई इसलिए निजी कंपनी को दोषी मानते हुए 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया।

क्लर्क का क्या पाया गया दोष?
आर.टी.एस. कमीशन ने अपनी पड़ताल के दौरान पाया कि संबंधित डीङ्क्षलग हैंड क्लर्क ने न केवल सर्विस में देरी की बल्कि इसके साथ ही पुलिस रिपोर्ट को गुम करने व अन्य तथ्य छिपाने और केस में जानबूझकर गड़बडिय़ां करने का दोषी पाते हुए उसे 1,000 रुपए का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही क्लर्क के खिलाफ प्रदेश सरकार से धारा 17(1)(डी) के तहत बनती विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश भी की गई है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!