Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 May, 2018 02:39 PM
धान का सीजन शुरू होने से कुछ ही समय पहले पंजाब राज्य बिजली निगम लिमिटेड (पावरकॉम) के लिए मुश्किल भरी खबर है कि भाखड़ा और रणजीत सागर समेत इसके सभी डैमों में पानी कम हो गया है।
चंडीगढ़/पटियाला (परमीत): धान का सीजन शुरू होने से कुछ ही समय पहले पंजाब राज्य बिजली निगम लिमिटेड (पावरकॉम) के लिए मुश्किल भरी खबर है कि भाखड़ा और रणजीत सागर समेत इसके सभी डैमों में पानी कम हो गया है। भाखड़ा डैम में पिछले साल मौजूदा समय में 1541.57 फुट पानी था जो इस बार घटकर 1498.24 फुट रह गया है। इस तरह तकरीबन 43 फुट पानी पिछले साल के स्तर की अपेक्षा कम है जो काफी ज्यादा माना जा रहा है।
इसी तरह डेहर डैम में पिछले साल 2925.32 फुट पानी था जो इस बार 2923.22 फुट है यानी तकरीबन 2 फुट कम है। पौंग डैम में पानी का स्तर जो पिछले साल 1294.99 फुट था, वह इस बार 1288.57 फुट है, जबकि रणजीत सागर डैम में पिछले साल 513.96 मीटर पानी था जबकि इस बार यह 498.84 मीटर है जो कि काफी कम माना जा रहा है।
इतना ही नहीं अन्य डैमों में भी पानी की आमद पिछले साल के मुकाबले घटी है। पिछले साल भाखड़ा डैम में मौजूदा समय में पानी की आमद 11244 क्यूसिक थी जोकि अब 110009 क्यूसिक रह गई है। इसी तरह डेहर डैम में 7353 क्यूसिक पानी पिछले साल आ रहा था जो इस बार कम होकर 5768 क्यूसिक रह गया है। पौंग डैम के मामले में भी ऐसी ही स्थिति बनी हुई है जहां पिछले साल 2369 क्यूसिक पानी की आमद थी जो इस बार घटकर 1424 क्यूसिक रह गई है।
रणजीत सागर डैम के मामले में भी स्थिति ऐसी ही है जहां पिछले साल 7886 क्यूसिक पानी की आमद थी जोकि अब 5591 क्यूसिक रह गई है। इस स्थिति को देखते इस बार डैमों में से पानी छोडऩे की मात्रा भी घटाई गई है। डेयर डैम में जहां पिछले साल मौजूदा समय में 6142 क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा था वहीं यह मात्रा इस बार 5369 क्यूसिक रखी गई है। पौंग डैम में से पिछले साल 5578 क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा था जिसे इस बार 4618 क्यूसिक पर सीमित किया गया है। रणजीत सागर डैम में से पिछले साल 10288 क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा था, जबकि इस बार इसकी मात्रा 5197 क्यूसिक पर यानी तकरीबन अद्र्ध पर ही सीमित कर दी गई है।
डैमों में से पानी का घटना पावरकॉम के लिए ङ्क्षचताजनक माना जाता है। पावरकॉम इस समय तक मांग और सप्लाई बराबर बरकरार रखने में सफल रहा है। मई के शुरू में जहां बिजली की मांग 1470 लाख यूनिट थी वह अब बढ़कर 1774 लाख यूनिट हो गई है और इस तरह इसमें 300 लाख यूनिट की वृद्धि दर्ज की गई है।