कर्फ्यू का Positive Effect: पंजाब में 80 हजार नौजवानों ने जताई नशा छोड़ने की इच्छा

Edited By Vatika,Updated: 04 May, 2020 01:30 PM

curfew positive effect

नशा कोई भी हो, न सेहत के लिए सही होता है और न ही परिवार के लिए। एक बार कोई व्यक्ति नशे की गिरफ्त में आ जाता है तो फिर उससे

जालंधर(सोमनाथ): नशा कोई भी हो, न सेहत के लिए सही होता है और न ही परिवार के लिए। एक बार कोई व्यक्ति नशे की गिरफ्त में आ जाता है तो फिर उससे पीछा छुड़ा पाना मुश्किल हो जाता है। नशे के कारण न केवल सेहत का नुक्सान होता है, बल्कि नशा पारिवारिक कलह का कारण भी बन जाता है। कोरोना वायरस के कारण देशभर में लागू लॉकडाऊन और कफ्र्यू के कारण नशे की आपूर्ति के तमाम साधन बंद हैं। नशे के आदी लोगों के लिए  यह एक बेहतर अवसर है कि वे नशे से तौबा करके एक अच्छे जीवन की शुरूआत कर सकते हैं। 

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23 मार्च से जारी लॉकडाऊन के दौरान कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें नशे के आदी लोगों ने नशा छुड़ाओ केंद्रों(ओट) में नशा छोडऩे के लिए  संपर्क किया है। नशा छोडऩे के इच्छुक लोगों के ओट में संपर्क किए जाने के संबंध में जब पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने नशा छोडऩे वालों के लिए विशेष अभियान चलाया है। उन्होंने बताया कि लॉकडाऊन के पीरियड के दौरान अब तक 80 हजार लोग नशा छोडऩे की इच्छा जता चुके हैं। राज्यभर में 198 ओट सैंटर, 35 सरकारी डी-एडिक्शन सैंटर्स और 108 लाईसैंस्ड पाईवेट डी-एडिक्शन सैंटर्स में लॉकडाऊन से पहले 4.14 लाख नशे के आदी लोग रजिस्टर्ड थे लेकिन 3 मई तक रजिस्ट्रेशन का यह आंकड़ा 4.94 लाख के पार पहुंच गया। प्राप्त जानकारी के अनसार जिला जालंधर में ओट और सरकारी डी-एडिक्शन सैंटरों में 2500 से अधिक और प्राइवेट डी-एडिक्शन सैंटरों में 1050 ने नशा छोडऩे के लिए रजिस्ट्रेशन करवाई है। लुधियाना में 2600, मोगा में 2200, मोहाली में 1800, पटियाला में 1600 और संगरूर में 1300 नई रजिस्ट्रेशन हुई है। 
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सत्ता परिवर्तन में बड़ी भूमिका निभा चुका है ‘उड़ता पंजाब’
वर्ष 2014 में देश में हुए आम चुनावों के दौरान पंजाब में नशा एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा था। तब राज्य में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन की सरकार थी। हालांकि तत्कालीन सरकार पंजाब में नशे के बहते दरिया के दावों में झुठलाती रही मगर इसका अहसास उसे तब हुआ जब राज्य की 4 संसदीय सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत हुई। संसदीय चुनावों के बाद आनन-फानन में सिविल अस्पतालों में नशे के आदी हजारों नौजवानों को पकड़कर इलाज के लिए भर्ती करवाया गया। आम आदमी पार्टी के समन्यवक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी द्वारा नशे के मुद्दे पर बादल सरकार को दी गई पटखनी के बाद पंजाब में सत्ता परिवर्तन की आंधी चल पड़ी। समय की करबट ने बाजी कांग्रेस की तरफ पलट दी। 2017 में पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों में नशे का मुद्दा एक बार फिर सियासी मंचों से जोर-शोर से उठा।
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अकाली दल-भाजपा के हाथों से सत्ता की चाबी खिसक कर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के पास आ गई।  भले ही कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने राज्य में चार सप्ताह में नशा खत्म करने की शपथ ली थी लेकिन नशे का मुद्दा आज भी ठंडा नहीं हुआ। इसका पता इसी बात से चलते है कि लॉकडाऊन के कारण नशे की सप्लाई के सारे साधन बन हो जाने पर नशे के आदी हजारों नौजवान नशा छोडऩे की इच्छा जताने लगे हैं। कृषि प्रधान पंजाब में जहां बड़े पैमाने पर खेती होती है और पशु पालन का काम किया जाता है। उस राज्य में लाखों नौजवान नशे की चपेट में आ गए हैं। भारतीय सेना को सबसे ज्यादा जवान देने वाला पंजाब आज छठे स्थान पर खिसक गया है। 

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9 लाख लोग लेते हैं ड्रग्स
गत वर्ष एन.सी.बी. की जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में 9 लाख लोग नशा करते हैं। इनमें साढ़े तीन लाख लोग एडिक्ट हैं। राज्य में हर महीने नशे अथवा इससे जनित बीमारी से मरने वालों की संख्या 112 दर्ज की गई है।  वहीं प्रतिवर्ष 1344 युवा दम तोड़ देते हैं। एन.सी.बी. की रिपोर्ट की मानें तो (2007-17) भारत में 25 हजार लोगों ने नशे की पूर्ति न होने के कारण आत्महत्या कर ली, इसमें 74 प्रतिशत मामले पंजाब के हैं। 

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ज्यादातर मामले पुलिस के पास पहुंचते ही नहीं
2012 में नशे से मौत के 4000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2013 में यह संख्या बढ़कर 4500 हो गई थी। संयुक्त राष्ट्र की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक 2017 के दौरान पूरे विश्व में नशे की वजह से 2.6 लाख लोगों की मौत हुई थी। यह तो वो मामले हैं जिनमें ड्रग्स की लत या शराब की वजह से होने वाली आत्महत्याएं जो थानों में दर्ज हुई हैं और नैशनल क्राइम ब्यूरो उन्हीं के आधार पर आंकड़े तैयार करता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कई मामले दर्ज ही नहीं हो पाते है। ऐसे भी कई मामले पाए गए हैं, जो बदनामी के कारण आत्महत्याओं की वजह मानसिक परेशानी बता दिए जाते हैं। नशे से होने वाली मौत के 70 प्रतिशत से अधिक मामले पुलिस के पास नहीं पहुंचते हैं। 

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औसतन 215 नए लोग हर रोज नशाखोरी की गर्त में
नई दिल्ली में फरवरी महीने में ‘नशे की तस्करी से मुकाबला’ विषय पर हुए दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान पंजाब में नशे के सनसनीखेज आंकड़े सामने आए। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पिछले महीने जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि एक साल में करीब 80 हजार नए नशेडिय़ों के केस सामने आए हैं, जो हेरोइन का सेवन करने के आदी हो गए हैं। इस तरह औसतन 215 नए लोग हर रोज नशाखोरी की गर्त में उतर रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि एक साल में 2.09 लाख नए नशेड़ी अफीम, भुक्की या कोई अन्य नशा कर रहे हैं, वे भी इलाज के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं। जनवरी से दिसंबर 2019 के दौरान हेरोइन का सेवन करने वालों की संख्या में 35 फीसदी इजाफा हुआ है। रिकार्ड के अनुसार, जनवरी 2019 में जहां हेरोइन के 5439 नए मामले सामने आए थे, दिसंबर 2019 में यह संख्या बढ़कर 8230 तक पहुंच गई। वहीं, बीते साल पुलिस द्वारा 4700 छोटे-बड़े नशा तस्करों को पकड़ा गया है। इसका आशय है कि राज्य सरकार और पंजाब पुलिस के दावों के बावजूद पंजाब में हेरोइन की सप्लाई जारी है। 

चार साल में 47 हजार नशा तस्कर पकड़े गए
खास बात यह है कि देश के मुकाबले पंजाब में नशे की बरामदगी और नशा तस्करों की गिरफ्तारी सबसे ज्यादा हुई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2015-2018 तक राज्या में भारी मात्रा में गांजा, हेरोइन, अफीम, भुक्की और नशे की गोलियां बरामद की गईं। बरामदगी में पंजाब का स्थान उत्तर और राजस्थान से भी आगे है। चार साल में पंजाब में हेरोइन 1884 किलो, गांजा 5414 किलो, अफीम 1670 किलो, नशे की 1 करोड़ 58 लाख गोलियां पकड़ी गईं, जबकि इस अवधि में 46,909 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

नशा छोडऩे के लिए यह भी जरूरी  
परिवार का सहयोग जरूरी: यदि कोई व्यक्ति नशा छोडऩे चाहता है तो उसके लिए परिवार का सहयोग बहुत जरूर है। जब कभी नशे की लत महसूस हो तो अपनों के बीच बैठ जाएं और उनके साथ समय व्यतीत करें

4डी फैक्टर: नशे से छुटकारा दिलाने में 4डी फैक्टर यानि डीप ब्रीङ्क्षथग, डिनाय, डिले और ड्रिंक मोर वाटर बहुत ही कारगर साबित हो सकता है। जब कभी नशे की लत महसूस हो गहरी सांस लें और दूसरे कामों में मन लगाएं, कोई अगर नशे के लिए आफर भी करे तो मना करने की आदत डालें, नशे की लत महसूस हो तो अन्य कार्यों को तरजीह देकर नशे को टालें और खूब पानी पियें ताकि पेट भरा हुआ महसूस हो ताकि नशे की इच्छा ही न हो। 

सरकार ने युवाओं को मौका दिया है लाभ उठाए: स्वास्थ्य मंत्री
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू का कहना है कि नशा छुड़ाओ केंद्रों में 43 दिनों के भीतर 80 हजार के करीब नशे के आदी नौजवानों ने रजिस्ट्रेशन करवाई है। पंजाब सरकार नशे छोडऩे के लिए उनकी हरसंभव सहायता कर रही है। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने पंजाब को नशामुक्त करने की शपथ ली थी और पंजाब सरकार इसके लिए पहले ही काफी तेजी के साथ प्रयास कर रही है। पंजाब में काफी हद तक पहले ही नशे की सप्लाई तोड़ी  जा चुकी है और कफ्र्यू के दौरान नौजवानों के पास एक मौका है कि वे नशों को छोड़कर अपने परिवारों के बीच स्वस्थ जीवन जिएं। 

नशा छोडऩे के इच्छुक लोगों के लिए बेहतर मौका: डॉ. अमन सूद  
कर्फ्यू के कारण नशे की आपूर्ति के तमाम साधन बंद हैं। इसलिए जो लोग नशा छोड़ कर स्वस्थ जीवन की शुरूआत करना चाहते हैं उनकी लिए यह समय एक सुनहरी अवसर लेकर आया है। यह कहना है सिविल अस्पताल जालंधर के नशा छुड़ाओ केंद्र के इंचार्ज डॉ. अमन सूद का। डॉ. सूद ने बताया कि कर्फ्यू के दौरान नशे के आदी हजारों नौजवानों ने ओट सैंटर जालंधर में नशा छोडऩे के लिए रजिस्ट्रेशन करवाई है। वैसे भी नशा करने वालों में किसी भी प्रकार का संक्रमण तेजी से फैलता है। नशा करने वालों के अंदर किसी भी बीमारी से लडऩे की क्षमता कम हो जाती है। 

दृढ़ इच्छाशक्ति के लिए करें योगासन: योगाचार्य 
नशा छोडऩे के लिए व्यक्ति के अंदर दृढ़ इच्छाशक्ति का होना बहुत जरूरी है और योगासन इसमें काफी सहायक हैं। नशा छोडऩे के इच्छुक व्यक्ति को नेती क्रिया और दूधपान करना चाहिए। इसके अलावा तान आसन, पद चालन, नाड़ी संचालन, बज्र आसन, भुजंगासन और प्राणायाम करना चाहिए इससे व्यक्ति में खुद ही नशे के प्रति कुदरती नफरत पैदा होने लगती है। 

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