सुधारी जा रही हैं ‘पुरानी गलतियां’, कांग्रेसी विधायकों की बेचैनी दूर करने में जुटी सरकार

Edited By Updated: 30 Apr, 2017 12:16 PM

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प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारियों के तबादले को लेकर पंजाब कांग्रेस विधायकों में फैली बेचैनी से उत्पन्न स्थिति से निपटने हेतु अमरेंद्र सरकार ने काम शुरू कर दिया है।

चंडीगढ़(ए.एस. पराशर): प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारियों के तबादले को लेकर पंजाब कांग्रेस विधायकों में फैली बेचैनी से उत्पन्न स्थिति से निपटने हेतु अमरेंद्र सरकार ने काम शुरू कर दिया है। बदलियां करने से पहले सरकार अब संबंधित जिलों के कांग्रेस विधायकों तथा सांसदों से सुझाव मांगने लगी है। इसके आधार पर बदलियां की जा रही हैं और पहले किए गए तबादलों के दौरान हुई ‘गलतियों’ को सुधारा जा रहा है। विधायकों से अब अधिकतर पोस्टों के लिए कम से कम 3 संभावित अधिकारियों की लिस्टें मांगी जा रही हैं । इनमें से सबसे उपयुक्त अधिकारी को उन पर नियुक्त किया जा रहा है।

10 वर्ष वनवास 
पंजाब के अधिकतर कांग्रेस विधायकों, यहां तक कि कुछ मंत्रियों की भी, यह शिकायत है कि 10 वर्ष तक वनवास काटने के पश्चात जिस भारी बहुमत से उनकी पार्टी की सरकार बनी है उसका स्थानीय स्तर पर उतना प्रभाव नजर नहीं आ रहा जितना आना चाहिए था। नई सरकार के बनते ही प्रशासन तथा पुलिस के हर स्तर पर भारी फेरबदल होना चाहिए था ताकि जनता में यह संदेश जा सके कि नई सरकार अपनी मर्जी और अपने ढंग से प्रशासन चलाना चाहती है।

... जैसे ताश के पत्ते 
एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि जिस प्रकार ताश की गड्डी में केवल 52 पत्ते ही होते हैं, उसी प्रकार सरकार को चलाने के लिए ब्यूरोक्रेसी में भी अधिकारियों की संख्या सीमित ही होती है। ताश को जितना चाहे शफल कर लो पत्ते वही रहेंगे। इसी प्रकार ब्यूरोक्रेसी में अधिकारियों की जितनी मर्जी रि-शफल कर लो अधिकारी वहीं रहेंगे।

पुरानों का कब्जा  
हालत यह है कि बेशुमार ऐसी जगह है जहां पुराने अधिकारी अहम पदों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। इन्हीं प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के जरिए शिअद राज में तंग किया जाता था झूठे पर्चे दर्ज कर थानों में जलील किया जाता था। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि जब नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक दफ्तरों में मिलने जाते हैं तो कोई सीधे मुंह बात करने को भी तैयार नहीं होता। इसके चलते उन्हें आम जनता के कामकाज करवाने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

सियासी इनपुट
फिर भी सभी 77 कांग्रेस विधायकों से उनके हलकों के बारे में दी गई सियासी इनपुट को ध्यान में रखकर बदलियां की जा रही हैं लेकिन डिप्टी कमिश्नर और एस.एस.पी. स्तर की नियुक्तियां तथा बदलियां खुद मुख्यमंत्री मैरिट के आधार पर कर रहे हैं।

नया सिस्टम 
मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि जिन हलकों में कांग्रेसी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाएं हैं, वे भी अब चंडीगढ़ आकर अपनी मर्जी के अधिकरियों की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं लेकिन ऐसा करना संभव नहीं होगा क्योंकि यह भी एक तरह का हलका इंचार्ज सिस्टम ही होगा।

पुलिस विभाग के तबादलों को लेकर सबसे अधिक हाए-तौबा 
सबसे अधिक हाए-तौबा पुलिस विभाग के तबादलों को लेकर मचाई जा रही है जिसके चलते कई पुलिस अधिकारी कई बार बदले जा चुके हैं। पी.पी.एस. अधिकारी राज जीत सिंह को 17 मार्च को खन्ना का एस.एस.पी. नियुक्त किया गया लेकिन 1 अप्रैल को उनकी बदली बतौर डी.सी.पी. जालंधर कर दी गई। 24 अप्रैल को उन्हें मोगा का एस.एस.पी. नियुक्त कर दिया गया।

अभी टाइम नहीं  
एक विधायक का कहना है कि कुछ दिन पहले जब जिला पुलिस मुखिया से मिलने गए तो आधा घंटा कार्यालय के बाहर इंतजार करवाया। फिर बाद में मैसेज भेज दिया कि ‘साहब के पास मिलने का टाइम नहीं है’। सी.एम. से शिकायत के बाद अब उस अधिकारी को बदल दिया गया है।

ब्यूरोक्रेसी में बदलाव 
कै. अमरेंद्र सिंह का कहना है कि 10 वर्षों में जब सत्ता से बाहर थे, उस दौरान ब्यूरोक्रेसी में काफी बदलाव आया है। सीनियर प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। जो नए अधिकारी आए हैं, उन्हें वह निजी तौर पर नहीं जानते। इसलिए उनकी नियुक्तियों तथा बदलियों का काम सीनियर अधिकारियों पर ही छोड़ दिया था।

 बार-बार ट्रांसफर 
17 मार्च को सुशील कुमार व बलजोत सिंह को बरनाला व  मुक्तसर का  एस.एस.पी. लगाया गया। 24 अप्रैल को दोनों की फिर बदली कर दी। 17 मार्च को संदीप गोयल  को मोगा का  एस.एस.पी. लगाया गया लेकिन बाद में बदलकर राज जीत सिंह को लगा दिया। उसी दिन लुधियाना, अमृतसर के कमिश्नर्स का भी बाद में ट्रांसफर कर दिया गया।

फेरबदल मैरिट बेस्ड 
सी.एम. ऑफिस में उच्च अधिकारियों का कहना है कि प्रशासनिक तथा पुलिस फेरबदल मैरिट के आधार पर हो रहा है। शिअद के दौर में प्रशासन-पुलिस के राजनीतिकरण को खत्म करना है। शिअद के हलका इंचार्ज सिस्टम को भी खत्म किया जा रहा है। यह तभी हो सकता है जब बदलियां मैरिट के आधार पर की जाएं।

स्पीकर ने किया तलब 
एक अन्य विधायक ने पंजाब विधानसभा के स्पीकर के.पी. सिंह राणा से शिकायत की है कि उनके जिले के मिल्क प्लांट के एक अधिकारी ने उनके साथ दुव्र्यवहार किया है। उन्हें मिल्क प्लांट संबंधी जरूरी जानकारी देने से इंकार कर दिया गया। स्पीकर ने अब उस अधिकारी को अपने कार्यालय में तलब किया है।

हल होगी समस्या : रवीन 
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने कहा कि सरकार ने विधायकों की इनपुट्स के आधार बदलियां तथा नियुक्तियां करनी शुरू कर दी हैं। सरकार को सभी पहलु देखने होते हैं। बदलियां करते समय सरकार को पूरी चेन तैयार करनी पड़ती है। विश्वास है कि यह समस्या धीरे-धीरे हल हो जाएगी।

रजिया ने जताया था विरोध  
1985 बैच के वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी डी.जी.पी. मुहम्मद मुस्तफा को डी.जी.पी. पंजाब ह्यमून राइट्स कमीशन के पद से स्थानांतरित कर डी.जी.पी. होमगार्ड व सिविल डिफैंस नियुक्त किया गया लेकिन उनकी पत्नी, राज्य मंत्री रजिया सुल्ताना द्वारा विरोध प्रकट करने पर बदली के आर्डर रद्द कर दिए गए।

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