Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Nov, 2017 10:55 AM
नगर निगम चुनावों की तिथियों को लेकर अभी तक असमंजस बरकरार है और पंजाब सरकार ने चुनावों के जल्द होने के संकेत तो दिए हैं लेकिन अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, परंतु हरेक वार्ड में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में टिकट के चाहवानों में जोर-आजमाइश शुरू हो...
जालंधर (चोपड़ा): नगर निगम चुनावों की तिथियों को लेकर अभी तक असमंजस बरकरार है और पंजाब सरकार ने चुनावों के जल्द होने के संकेत तो दिए हैं लेकिन अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, परंतु हरेक वार्ड में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में टिकट के चाहवानों में जोर-आजमाइश शुरू हो चुकी है। उधर प्रदेश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस से टिकट के चाहवानों की निरंतर बढ़ती तादाद को नजरअंदाज करके दावेदारों ने खुद को प्रत्याशी मानते हुए चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता अपने संबंधित वार्डों में समर्थकों को संग लेकर सुबह ही मतदाताओं के घरों के दरवाजे खटखटाने लगे हैं।
एक के बाद दूसरे व तीसरे कांग्रेसी द्वारा अपने पक्ष में समर्थन मांगने आने के कारण मतदाताओं में भी असमंजस की स्थिति बनती जा रही है। लोग सोचने को मजबूर हो रहे हैं कि उक्त नेता टिकट के दावेदार हैं अथवा पार्टी के उम्मीदवार? नगर निगम के 80 वार्डों में से 50 प्रतिशत वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं और जिन कांग्रेसी नेताओं का इन आरक्षित सीटों के कारण पत्ता कटा है उन्होंने अपनी-अपनी पत्नियों को आगे करते हुए प्रचार आरम्भ किया हुआ है। कुछ वार्डों में धन-बल का उपयोग शुरू होने की चर्चाएं भी जोर पकड़ रही हैं और गुप्त मीटिंगों के जरिए जोड़-तोड़ और पार्टियों का आयोजन भी होने लगा है। हरेक नेता खुद की टिकट सुनिश्चित होने के दावे कर रहा है। ऐसे हालात कांग्रेस के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा कर सकते हैं क्योंकि एक नेता को टिकट मिलने के उपरांत इलाका निवासियों के समक्ष बाकी नेताओं की स्थिति नामोशी से कम नहीं होगी और उनके पास पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवार का विरोध करने अथवा चुपचाप घर बैठने के अलावा कोई चारा नहीं होगा।