Edited By Vatika,Updated: 03 Apr, 2020 02:22 PM
देश में अब तक विनाशकारी कोरोना वायरस के 2397 से ज्यादा मरीज पॉजीटिव पाए जा चुके हैं।
जालंधर(सोमनाथ): देश में अब तक विनाशकारी कोरोना वायरस के 2397 से ज्यादा मरीज पॉजीटिव पाए जा चुके हैं। देशभर में लॉकडाऊन के बावजूद जिस तरह की स्थिति पैदा हुई है उससे ये मामले और बढऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित दूसरे राज्यों की सरकारें भारत में इटली जैसे हालात पैदा न हों, इसे रोकने में लगी हुई हैं।
सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि अस्पतालों में कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में जुटे डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्टाफ के पास खुद को सुरक्षित रखने के लिए उचित मात्रा में निजी सुरक्षा उपकरण (पी.पी.ई.) ही मौजूद नहीं हैं। वहीं यदि कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में इसी तरह बढ़ौतरी होती रही तो उस हिसाब से देश में वैंटिलेटर्स भी उपलब्ध नहीं हैं। जहां एक हजार लोगों के पीछे एक डॉक्टर है वहीं हजारों लोगों के पीछे एक वैंटिलेटर उपलब्ध है। देशभर में कुल वैंटिलेटर्स 80 हजार से 1 लाख के बीच उपलब्ध बताए जा रहे हैं। बात करने पर इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर मैडिसिन (आई.एस.सी.सी.एम.) के प्रैजीडैंट डॉ. ध्रुव चौधरी ने बताया कि वर्तमान में वैंटिलेटर्स से ज्यादा डॉक्टरों और अन्य स्टाफ के पास पी.पी.ई. (निजी सुरक्षा उपकरण) होने बेहद जरूरी हैं। कुछ राज्यों में डॉक्टरों को निजी सुरक्षा उपकरण मिलने शुरू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि लापरवाही न बरती जाए तो सही इलाज से 80 फीसदी मरीज ठीक हो जाते हैं।
यूरोप जैसे हालात न बन जाएं भारत में
डॉ. ध्रुव चौधरी ने कहा कि हालांकि यूरोप के कुछ देशों में स्थिति खराब हो गई है मगर भारत में अभी वह स्थिति नहीं आई है। भारत में वह स्थिति न आए इसके लिए हमें खुद आगे आना होगा। देशभर में सरकार ने लॉकडाऊन किया है तो हर किसी को सरकार का साथ देते हुए देश में बढ़ रहे खतरे को यहीं पर रोकना होगा।
कम पड़ सकते हैं वैंटीलेटर्स
चीन से ज्यादा अब कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या अमरीका में बढ़ रही है और इटली दूसरे नंबर पर और चीन तीसरे नंबर पर आ गया है। जहां तक भारत में कोरोना वायरस से निपटने की तैयारियां हैं तो भारत में वैंटीलेटर्स की संख्या आबादी के हिसाब से कम है। अब जो भारत के बाद वैंटीलेटर्स की उपलब्धता का आंकड़ा है वह पर्याप्त माना जा रहा है लेकिन यदि यह आंकड़ा 20 हजार को पार करेगा तो वैंटिलेटर कम पडऩे लगेंगे। आई.एस.सी.सी.एम. के सुझाव और सरकार के आदेश अनुसार लॉकडाऊन और सोशल डिस्टैंसिंग बेहतर उपाय हैं। वहीं डॉ. चौधरी ने बताया कि वैंटिलेटर्स के साथ-साथ इसको ऑप्रेट करने के लिए डॉक्टर, रैस्पिरेटरी थैरेपिस्ट और अन्य स्टाफ की भी भारी जरूरत होती है। अकेले इंजन का कोई फायदा नहीं जब तक उसे चलाने वाला ही न हो। वर्तमान में देश में स्पैशलिस्ट डॉक्टरों के साथ-साथ अन्य स्टाफ की भारी कमी है।