शर्मनाकः जल्दबाजी में किया ऑपरेशन, कोरोना Positive आने पर तड़पती मां सहित बच्चे को भेजा घर

Edited By Vatika,Updated: 19 Nov, 2020 12:33 PM

corona positive case in amritsar

सेहत विभाग जिले के कुछ प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना गाइडलाइंस की पालना करवाने में फेल साबित हो रहा है।

अमृतसर(दलजीत): सेहत विभाग जिले के कुछ प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना गाइडलाइंस की पालना करवाने में फेल साबित हो रहा है। शहर के एक प्रसिद्ध प्राइवेट अस्पताल द्वारा एक गर्भवती महिला के परिवार से हजारों रुपए लेकर बिना कोरोना टैस्ट की रिपोर्ट का इंतजार किए ऑप्रेशन कर दिया गया, जब गर्भवती की टैस्टिंग रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो जच्चा-बच्चा को 24 घंटे में दर्द से तड़पते हुए अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया। पीड़ित परिवार द्वारा सेहत विभाग को मामले की लिखित शिकायत करते हुए इंसाफ की गुहार लगाई है।

जानकारी के अनुसार जिले में कुछ प्राइवेट अस्पताल कोरोना संबंधी बनाई गई गाइडलाइन की पालना नहीं कर रहे हैं तथा सेहत विभाग भी इन अस्पतालों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। विभाग की लापरवाही के कारण अस्पतालों के हौसले बुलंद हुए पड़े हैं व अस्पताल अपनी मनमर्जी करते हुए मरीजों का शोषण कर रहे हैं। आर.टी.आई. एक्टिविस्ट व समाज सेवक जय गोपाल लाली तथा सुधीर सूरी ने बताया कि शहर के एक प्रसिद्ध प्राइवेट अस्पताल में मजीठा रोड के रहने वाले एक परिवार द्वारा अपनी गर्भवती बेटी का चैकअप करवाया जा रहा था, 29 अक्तूबर को गर्भवती महिला का परिवार चैकअप के लिए जब उक्त अस्पताल में गया तो डाक्टरों द्वारा गर्भवती को कोरोना टैस्ट करवाने के लिए कहा गया, 2 नवम्बर को प्रसव के लिए अस्पताल में दाखिल होने के लिए बोला गया। परिवार द्वारा 1 नवम्बर को जिला स्तरीय सिविल अस्पताल में गर्भवती का कोरोना सैंपल दिया गया व इसी दौरान गर्भवती को अस्पताल में दाखिल करवा दिया गया। अभी कोरोना की रिपोर्ट आई नहीं थी कि 2 नवम्बर को अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा गर्भवती का ऑप्रेशन कर दिया गया, 3 नवम्बर को जब महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उसे तथा उसके बच्चे को अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया।

63 हजार रुपए लेने के बावजूद नहीं रखा मरीज का ध्यान
लाली व सूरी ने कहा कि अस्पताल प्रशासन द्वारा प्रसव के लिए पीड़ित परिवार से 45,000 का पैकेज किया गया, परंतु इसके बावजूद 18000 और परिवार से लिया गया। पैकेज होने के बावजूद बिना टांके खोले दर्द से तड़पती हुई महिला को छुट्टी दे दी गई। समाज सेवकों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन द्वारा पहले तो खुद गलती करते हुए बिना टैस्ट की रिपोर्ट का इंतजार किए बिना गर्भवती का प्रसव कर दिया गया व जब रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उसका ध्यान रखने की बजाय उसे हड़ताल से बाहर निकाल दिया गया।

सेहत विभाग ने भी मौके पर नहीं निकाला समस्या का समाधान
उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने मौके पर सेहत विभाग के अधिकारियों से भी फोन पर बातचीत की परंतु किसी ने भी समस्या का समाधान नहीं निकाला व वह भी अस्पताल प्रशासन का भी पक्ष लेते रहे। उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारियों की बात सुनकर वह भी दंग रह गए व इससे स्पष्ट होता है कि प्राइवेट अस्पतालों से उनकी सांठगांठ है व वह मरीजों के हो रहे शोषण को रोकने में पूरी तरह प्राइवेट अस्पतालों के साथ मिले हुए हैं। वह कई दिन तक सिविल सर्जन डा. नवदीप सिंह को इस मामले संबंधी लिखित शिकायत देने के लिए जाते रहे, परंतु वह अपने कार्यालय में नहीं मिलते रहे, इसके बाद उन्होंने जिला परिवार भलाई अधिकारी डा. जसप्रीत शर्मा को मामले की लिखित शिकायत दी। जिले के कुछ प्राइवेट अस्पताल कोरोना वायरस की गाइडलाइन को दरकिनार कर रहे हैं व सेहत विभाग कुंभकरिणी की नींद सोया हुआ है। लोगों का शोषण हो रहा है व प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। यदि ऐसे ही होता रहा तो नियमों को ठेंगा दिखाने वाले प्राइवेट अस्पतालों के हौसले बुलंद हो जाएंगे व मरीज इंसाफ के लिए दर-दर भटकते रहेंगे। यदि शीघ्र ही इस मामले में उक्त अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई न की गई तो वह सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर अनिश्चित समय के लिए भूख हड़ताल शुरू करेंगे व पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलवा कर रहेंगे।

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